श्री अमरनाथ यात्रा

By: Jul 2nd, 2022 12:25 am

अमरनाथ गुफा : भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है, क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है …

हर इनसान के मन में जीवन में एक बार चार धाम यात्रा करने की तमन्ना होती है। कुछ लोगों को यह सौभाग्य मिलता है, लेकिन कुछ लोगों के दिल में अरमान ही रह जाते हैं। बहुत खुशनसीब होते हैं वे लोग जिन्हें भगवान के दर पर नतमस्तक होने का मौका मिलता है। जैसे-जैसे सावन का महीना नजदीक आता है, भक्तों के मन में भगवान शिव के पावन धाम पर जाकर दर्शन करने की आस्था बढ़ती ही जाती है। भक्त और भगवान का अटूट संबंध इस बात का संकेत देता है कि चाहे कितनी भी कठिनाइयों का सामना क्यों न करना पड़े, सच्चे भक्त कभी पीछे नहीं हटते। भोलेनाथ के इस धाम पर श्रद्धालु पूरी श्रद्धा और आस्था के साथ आते हैं। मन में बाबा बर्फानी के दर्शनों की चाहत उन्हें हर संकट से बचाती है। अमरनाथ यात्रा इस साल 30 जून से शुरू हो गई है और 11 अगस्त तक चलेगी। कोरोना काल के बाद पूरे दो साल बाद यह यात्रा शुरू हो रही है। ऐसे में शिव भक्त बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए काफी उत्साहित हैं। अमरनाथ हिंदुओं का एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। यह श्रीनगर शहर के उत्तर-पूर्व में 135 सहस्रमीटर दूर समुद्रतल से 13600 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस गुफा की लंबाई 19 मीटर और चौड़ाई 16 मीटर है। गुफा 11 मीटर ऊंची है। अमरनाथ गुफा भगवान शिव के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है, क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था। यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है।

प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं। गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूंदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूंदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। चंद्रमा के घटने-बढऩे के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। श्रावण पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और अमावस्या तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है, जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग-अलग हिमखंड हैं। इस साल जून से अमरनाथ यात्रा शुरू हो गई है और अगस्त तक चलेगी। बाबा अमरनाथ धाम की यात्रा दो प्रमुख रास्तों से की जाती है। पहला रास्ता पहलगाम से बनता है और दूसरा सोनमार्ग बालटाल से। श्रद्धालुओं को यह रास्ता पैदल ही पार करना पड़ता है। पहलगाम से अमरनाथ की दूरी 28 किलोमीटर है। ये रास्ता थोड़ा आसान है और सुविधाजनक है। जबकि बालटाल से अमरनाथ की दूरी तकरीबन 14 किलोमीटर है, लेकिन ये रास्ता पहले रूट की तुलना में कठिन है। बाबा बर्फानी की यात्रा धार्मिक दृष्टि से तो महत्त्वपूर्ण है ही साथ ही यहां के रोचक नजारे भी सबका मन मोह लेते हैं। पांच किमी. की लंबी दुर्गम पैदल यात्रा करने के बाद जब व्यक्ति अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी हिमलिंग के दर्शन करता है, तो उसको एक अलग ही अनुभूति और सुकून का एहसास होता है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App