‘आप’ का अपमानजनक आचरण

पंजाब के मुख्यमंत्री राज बहादुर से माफी मांग कर इस प्रकरण को समाप्त करना चाह रहे हैं, लेकिन उसके विपरीत अन्य मंत्री और आम आदमी पार्टी का संगठन राज बहादुर के अपमान को पार्टी की विजय बता रहे हैं। पंजाब के प्रशासन पर बुरी तरह नियंत्रण किए बैठे केजरीवाल इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी धारण किए बैठे हैं। अन्यथा पंजाब में कोई नई बस भी चलती है तो उसको हरी झंडी दिखाने के लिए केजरीवाल दिल्ली से चलकर पंजाब में आते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के झंडे के नीचे जो जमावड़ा एकत्रित हुआ है, वह अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग वाला जमावड़ा है…

पिछले दिनों पंजाब में आम आदमी पार्टी के स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह जौडामाजरा ने शेख फरीद मेडिकल विश्वविद्यालय फरीदकोट के कुलपति डा. राज बहादुर के साथ जो अपमानजनक व्यवहार किया, उसकी सर्वत्र निंदा हो रही है। डा. राज बहादुर स्पाईनल सर्जरी के अंतरराष्ट्रीय ख्याति के विशेषज्ञ हैं। हिमाचल प्रदेश के ऊना के रहने वाले राज बहादुर एक साधारण परिवार से उठकर अपनी मेहनत और योग्यता के बलबूते इस मुक़ाम तक पहुंचे हैं। यदि वे किसी प्राइवेट अस्पताल में काम करते तो बतौर उस विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार डा. प्यारे लाल गर्ग, ‘वे अपने लिए सोने के महल बना सकते थे।’ वे अपना अस्पताल खोल कर करोड़ों रुपए कमा सकते थे। लेकिन उन्होंने अपने लिए सोने के महल बनाने की बजाय सरकारी अस्पतालों में काम करना ही बेहतर समझा ताकि गऱीब लोगों को भी उनकी योग्यता का लाभ मिल सके। डा. राज बहादुर उस मेडिकल विश्वविद्यालय को संभाल रहे थे जिसको समुचित बजट देने की चिंता पंजाब सरकार नहीं करती। विश्वविद्यालय के पूर्व रजिस्ट्रार के अनुसार अस्पताल के लिए सरकार ने जो बजट रखा है, उतने पैसे का अस्पताल में केवल साबुन ही लग जाता है। यह विश्वविद्यालय पंजाब के उस हिस्से में स्थित है, जहां कोई ख्याति प्राप्त चिकित्सक या प्रोफेसर जाना नहीं चाहता। लेकिन डा. राज बहादुर ने पिछले छह-सात साल से प्रयास किया कि विश्वविद्यालय की गुणवत्ता में सुधार हो।

यह भी ध्यान रखना होगा कि विश्वविद्यालय के भवनों का रखरखाव सरकार के लोक निर्माण विभाग को करना होता है और अस्पताल व विश्वविद्यालय को अन्य सामान की आपूर्ति पंजाब हैल्थ कारपोरेशन को करनी होती है। वैसे भी अस्पताल के रखरखाव की जि़म्मेदारी अस्पताल के मेडिकल सुपरिंटैंडेंट की होती है, न कि विश्वविद्यालय के कुलपति की। लेकिन आम आदमी पार्टी के मंत्रियों का इन बातों से कुछ लेना-देना नहीं है। वे अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं की फौज लेकर व यूट्यूब चैनलों के तथाकथित पत्रकारों को साथ लेकर अस्पताल में शिकार के लिए निकले दिखाई देते हैं। किसी सरकारी अधिकारी को घेरकर, उसको अपमानित करके शिकार मारने जैसा ही आनंद प्राप्त करते दिखाई दे रहे हैं। यह हैरानी की बात है कि मंत्री को यह नहीं पता कि सरकारी अस्पतालों में अधिकांश पद थाली पड़े हैं। स्पैशलिस्ट डाक्टर इन अस्पतालों में आना नहीं चाहते। सरकार अस्पतालों को बजट देने के लिए तैयार नहीं है। पीजीआई चंडीगढ़ ने तो आयुष्मान स्कीम के तहत आने वाले पंजाब के मरीज़ों का इलाज करना ही बंद कर दिया है क्योंकि पंजाब सरकार ने इसका सोलह करोड़ के लंबित बिल का आज तक भुगतान नहीं किया है। अस्पतालों में दवाइयां नदारद हैं। स्टाफ की कमी है। यह सारी स्थिति जानने के लिए चेतन सिंह स्वास्थ्य मंत्री को अस्पतालों में एवं विश्वविद्यालयों में शिकार पर जाने की जरूरत नहीं है, बल्कि यह सारी स्थिति उन्हें राज्य सरकार के स्वास्थ्य निदेशक ही अच्छी तरह बता सकते हैं। लेकिन जिन्हें शौक़ ही शिकार का हो, वह स्वास्थ्य निदेशक के पास भला क्या करने जाएगा? चेतन सिंह व उसके दूसरे साथियों का एक और शौक़ भी है।

वे इस शिकार का सीधा लाईव प्रसारण भी करते हैं। जिस तरह चेतन सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति डा. राज बहादुर को मानो धक्का देकर ज़बरदस्ती बैड पर लिटा रहे थे, वह एक प्रकार से सभी नागरिकों का परोक्ष रूप से अपमान ही था। पंजाब में यह चर्चा भी हो रही है कि आम आदमी पार्टी के 92 विधायकों में से दस विधायक व्यवसाय से डाक्टर हैं। लेकिन केजरीवाल व भगवंत सिंह मान को इन दस डाक्टरों में से एक भी विधायक डाक्टर ऐसा नहीं लगा जो स्वास्थ्य मंत्रालय का काम संभाल सके। भगवंत सिंह मान को बारहवीं पास चेतन सिंह ही इतना योग्य दिखाई दिया कि उसके हवाले पूरे प्रदेश के अस्पताल कर दिए गए। अब वह बदलाव की आंधी प्रदेश सरकार के हर विभाग में ‘हा हा ही ही’ करके भयंकर आवाज़ें निकाल रही है। उसी का शिकार डा. राज बहादुर हो गए। सरकार व प्रशासन चलाने का यह उचित तरीक़ा नहीं है। प्रशासन में एक चेन आफ कमांड होती है। इसको भंग करने से ही प्रशासन की अनेक बीमारियां पैदा होती हैं जिसका परिणाम आम आदमी को भुगतना पड़ता है। इस चेन को भंग करने से ही प्रशासन में अनुशासनहीनता फैलती है और उससे पूरा तंत्र भ्रष्ट होता है। किसी अधिकारी को दंडित भी करना हो, उसका भी प्रशासन संहिता में तरीक़ा है। किसी भी अधिकारी को दोष सिद्धी के बिना दंडित नहीं किया जा सकता। सार्वजनिक रूप से अपमानित करना शायद किसी भी स्वाभिमानी व्यक्ति के लिए सबसे बड़ा दंड है। स्वास्थ्य मंत्री चेतन सिंह ने वह दंड राज बहादुर को बिना किसी दोष के सार्वजनिक रूप से दिया है।

जहां तक क़ैदियों के वार्ड में फटे पुराने गद्दे को इतनी मेहनत से चेतन सिंह द्वारा तलाश लिए जाने का संबंध है, चेतन सिंह को सबसे पहले इस बात की विभागीय जांच कर लेनी चाहिए थी कि इसके लिए उत्तरदायी कौन है? यक़ीनन उसके लिए कुलपति उत्तरदायी नहीं थे। लेकिन यदि आम आदमी पार्टी के मंत्रियों का उद्देश्य ही अपने समर्थकों के बीच सत्ता का भौंडा प्रदर्शन रहा हो, फिर तो सरकार के नए स्वास्थ्य माडल का भगवान ही मालिक है। केजरीवाल पिछले दिनों हिमाचल में आकर कह भी गए हैं कि मुझे राजनीति नहीं आती, मैं तो स्कूल और अस्पताल बनाने जानता हूं। लेकिन जिस प्रकार पंजाब में सरेआम अंतरराष्ट्रीय ख्याति के सर्जन डा. राज बहादुर से दुव्र्यवहार किया गया है, उससे केजरीवाल का अस्पताल माडल तो जनता के सामने प्रकट हो ही गया है। पंजाबी में एक कहावत है, ‘चिडिय़ां दी मौत गंवारा दा हासा’। पंजाब के मुख्यमंत्री राज बहादुर से माफी मांग कर इस प्रकरण को समाप्त करना चाह रहे हैं, लेकिन उसके विपरीत अन्य मंत्री और आम आदमी पार्टी का संगठन राज बहादुर के अपमान को पार्टी की विजय बता रहे हैं। पंजाब के प्रशासन पर बुरी तरह नियंत्रण किए बैठे केजरीवाल इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी धारण किए बैठे हैं। अन्यथा पंजाब में कोई नई बस भी चलती है तो उसको हरी झंडी दिखाने के लिए केजरीवाल दिल्ली से चलकर पंजाब में आते हैं। इसका एक कारण यह भी है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी के झंडे के नीचे जो जमावड़ा एकत्रित हुआ है, वह अपनी-अपनी डफली अपना-अपना राग वाला जमावड़ा है। यह जमावड़ा पंजाब के प्रशासकीय ढांचे को नष्ट तो कर सकता है, लेकिन उसे दक्ष नहीं बना सकता। क्योंकि उसका परोक्ष उद्देश्य ही प्रशासकीय तंत्र को नष्ट कर अराजकता फैलाना है। लेकिन ऐसा क्यों है, इसका उत्तर तो केजरीवाल ही दे सकते हैं। यदि चेतन सिंह जौडामाजरा को मंत्री पद से नहीं हटाया जाता तो यही माना जाएगा कि केजरीवाल प्रशासन को आम जनता के लिए लाभदायक एवं उत्तरदायी बनाने की बजाय उसे अस्थिर करना चाहते हैं। वे दिल्ली की रामलीला मैदान की सभाओं में कभी ख़ुद कहा करते थे, कि मैं देश में अराजकता फैलाना चाहता हूं। लेकिन अपने इस राजनीतिक उद्देष्य की पूर्ति के लिए उन्हें डा. राज बहादुर को अपमानित नहीं करना चाहिए था। यह अनैतिक भी है और अमानवीय भी।

कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

ईमेल: kuldeepagnihotri@gmail.com 


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