‘दिव्य हिमाचल’ के कार्यक्रम शिमला के मेधावी में राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बांटा सम्मान

By: Aug 25th, 2022 12:06 am

शाबाश

विद्यापीठ ने बांटी 3.63 लाख की स्कॉलरशिप

कोरोना काल के दो साल बाद हुआ वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह

रोहित शर्मा — शिमला

शिमला के मेधावी कार्यक्रम के दौरान कोचिंग संस्थान विद्यापीठ शिमला ने आठ छात्रों को 363769 की स्कॉलरशिप बांटी। इस राशि के चेक राज्यपाल के हाथों बच्चों को दिए गए। विद्यापीठ ने नीट की परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान की गई। कार्यक्रम के दौरान आस्था खजूरिया को 37500, चिराग ठाकुर को 70763, पंकज कुमार को 42372, पवन शर्मा को 42372, शिवम ठाकुर को 21186, शिवांगी को 66525, सोनिया 58051 और रिषुराज को 25 हजार रुपए का चेक प्रदान किया गया। विद्यापीठ की ओर से बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप प्रदान की जाती हैं। इससे छात्रों का फीस का पैसा भी रिफंड हो गया।

कोचिंग संस्थान विद्यापीठ के निदेशक डा. रमेश शर्मा ने बताया कि विद्यापीठ पहला ऐसा प्राइवेट कोचिंग संस्थान हैं, जो छात्रों को छात्रवृत्तियां प्रदान कर निशुल्क शिक्षा प्रदान करवाता हैं। उन्होंने कहा कि गरीब परिवार से संबंध रखने वाले पांच मेधावी छात्रों को विद्यापीठ की ओर से मुफ्त शिक्षा प्रदान की जाती हैं। अगर कोई छात्र पढ़ाई में अच्छा हैं गरीबी की वजह से कोचिंग का खर्च उठाने में सक्षम नहीं हैं, तो विद्यापीठ की ओर से उसे मुफ्त में कोचिंग प्रदान की जाएगी। डा. रमेश शर्मां ने बताया कि विद्यापीठ की ओर से दो साल के बाद वार्षिक पारितोषिक वितरण समारोह मनाया गया। इससे पहले कोविड के कारण विद्यापीठ पारितोषिक वितरण समारोह नहीं मनाया गया था। ऐसे में बुधवार को दो साल बाद छात्रों को विद्यापीठ की ओर से छात्रवृत्तियां प्रदान की गई। (एचडीएम)

मंच पर सुनाई विद्यापीठ की कहानी

कोचिंग संस्थान विद्यापीठ के निदेशक डा. रमेश शर्मा ने विद्यापीठ की स्थापना से जुड़ी कहानी भी साझा की। उन्होंने बताया कि विद्यापीठ की स्थापना से पहले छात्रों को कोचिंग के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ के लिए जाना पड़ता था। 2006 में विद्यापीठ की शुरुआत हुई थी। शुरुआत में सिर्फ दो कमरों के साथ विद्यापीठ कोचिंग संस्थान शुरू किया गया। पहले ही साल विद्यापीठ के समक्ष कई तरह की चुनौतियां का सामना करना पड़ा। 2006 में एचपीसीपीएमटी पेपर लीक मामला सामने आया। पेपर लीक होने के कारण विद्यापीठ को जिस छात्रा के टॉप में आने की उम्मीद थी। वह छात्रा टॉपर की सूची में ही नहीं थी। विद्यापीठ ने इस मामलें की जांच करवाने के लिए एसपी शिमला से आग्रह किया, लेकिन पुलिस ने यह कहकर मामले को गंभीरता से नहीं लिया गया कोचिंग संस्थान की इसमें व्यक्तिगत रूचि हैं।

बाद में जब जांच हुई, तो पता चला कि एक पेपर लीक करने के लिए 15 लाख रुपए लिए गए हैं। जांच के बाद दोबारा से एग्जाम करवाया गया। एग्जाम के बाद विद्यापीठ की छात्रा में टॉपर की सूची में पहला स्थान प्राप्त किया। इसके बाद विद्यापीठ ने कई आयाम तय किए और आज एक बेहतर मुकाम हासिल किया है। विद्यापीठ को 2012 में एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के अलावा पंजाब के शिक्षा मंत्री से भी विद्यापीठ को सम्मान दिया जा चुका हैं।

हाइब्रिड लर्निंग से स्मार्ट बन रहे छात्र

विद्यापीठ शिमला के निदेशक इंजीनियर रविंद्र अवस्थी ने बताया कि कोविड के बाद से पढऩे और पढ़ाने के तरीके में काफी अंतर आया हैं। ऐसे में विद्यापीठ शिमला ने भी तकनीक को अपनाया हैं। छात्रों को आसान तरीके से समझाने के लिए एनिमेशन और वीडियों का प्रयोग किया जा रहा है। हाईब्रिड लर्निंग से छात्रों को समझाना आसान हो गया हैं। उन्होंने बताया कि विद्यापीठ शिमला की ओर से छात्रों की सुविधाओं के लिए ऐप भी तैयार किया गया है। इस ऐप में स्टडी मेटिरल उपलब्ध हैं। नोटस और वीडियो छात्रों के लिए इस ऐप पर उपलब्ध हैं। इसके अलावा उन्होंने नुक्कड़ फिजिक्स के नाम से एक यूट्यूब चैनल भी बनाया हैं। इस चैनल पर छात्रों के लिए कई सारे वीडियों उपलब्ध हैं।

‘दिव्य हिमाचल’ के प्रयास शानदार

शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने सराहा मीडिया ग्रुप शिक्षा के सरोकारों को संरक्षित करना अच्छी पहल

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

‘दिव्य हिमाचल’ प्रदेश में छपने वाला पहला दैनिक अखबार है, जिसने प्रदेश की खबरों को आम जन तक पहुंचाया है। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा शिमला के पोर्टमोर में शिमला के मेधावी कार्यक्रम में ये बात कही। उन्होंने कहा कि आज पूरे प्रदेश में मुख्यमंत्री गृहिणी योजना के तहत अलग-अलग जिलों में कार्यक्रम थे और शिमला के कार्यक्रम में उन्हें भी शामिल होना था, लेकिन ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा स्कूली बच्चों के लिए यह कार्यक्रम रखा गया था, इसलिए वह कार्यक्रम के बीच से ही चले आए। उन्होंने कहा कि शिक्षा के सरोकारों को संरक्षित करना अच्छी पहल है और ‘दिव्य हिमाचल’ ने इस प्रयास को किया है। शिक्षा का मकसद राष्ट्र को विश्वगुरु बनाना है। देश में सृजन के 75 साल पूरे हुए हैं और केंद्र सरकार भी अमृत महोत्सव मना रही है। पहले प्रदेश की साक्षरता दर बेहद कम थी, लेकिन अब प्रदेश में 99 फीसदी लोग साक्षर हो गए हैं यह अपने आप में एक बड़ी सफलता है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि पहले प्रदेश के अधिकतर गांव ऐेसे थे, जहां सडक़ें नहीं थी बिजली नहीं थी, लेकिन आज प्रदेश में 125 यूनिट तक बिजली फ्री हो गई है और प्रदेश सरकार की ये बड़ी सफलता है कि 18 हजारों घरों के बिजली के जीरो बिल आए हैं।

प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में भी स्कूलों का अव्वल प्रदर्शन रहा है, खासकर छात्राओं ने हर क्षेत्र में बाजी मारी है। इसके साथ ही उन्होंने विद्यापीठ कोचिंग संस्थान द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की भी सराहना की। भारद्वाज ने कहा कि कुछ लोग शिक्षा मॉडल का ढिंढोरा पीट रहे हैं, लेकिन सही मायने में हिमाचल शिक्षा क्षेत्र में मॉडल है। हिमाचल की मुश्किल भौगोलिक परिस्थितयों के बावजूद भी प्रदेश के हर कोने में शिक्षण संस्थान हैं। उन्होंने कहा कि दिल्ली के स्कूलों का हिमाचल से मुकाबला हो तो हिमाचल बेहतर स्थिति में हैं। शिमला का पोर्टमोर स्कूल ही दिल्ली के कई स्कूलों से बेहतर है। उन्होंने कहा कि 1948 में मात्र 350 सरकारी स्कूल थे, जो अब 16 हजार हो गए हैं तथा 146 सरकारी कालेज हैं। यह सब यहां के लोगों की मेहनत और नेतृत्व का परिणाम है। उन्होंने वर्तमान प्रदेश सरकार की विकासात्मक योजनाओं और उपलब्धियों की जानकारी दी। उन्होंने मेधावी विद्यार्थियों के लिए आयोजित इस सम्मान समारोह के लिए दिव्य हिमाचल को बधाई दी।

बेहतर इनसान बनो फिर प्रोफेशन चुनो

‘दिव्य हिमाचल’ के शिमला के मेधावी’ कार्यक्रम में 350 टॉपर्स को राज्यपाल के मंत्र

सोनिया शर्मा — शिमला

शिक्षा का मकसद सबसे पहले अच्छा इनसान बनना होना चाहिए। उसके बाद यह तय हो कि हमें प्रोफेशन कौन सा चुनना है? राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने शुक्रवार को पोर्टमोर स्कूल के आडिटोरियम में ‘दिव्य हिमाचल’ के शिमला के मेधावी कार्यक्रम के दौरान बच्चों को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि आज के बच्चों से यदि ये पूछा जाए कि वे किस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं, तो अधिकतर बच्चों की रूचि इंजीनियर और डाक्टर बनने में ही है, लेकिन कोई भी छात्र टीचर नहीं बनना चाहता, जबकि एक शिक्षक ही समाज के निर्माण में अहम भूमिका निभा सकता है। उन्होंने ‘दिव्य हिमाचल’ के इस कार्यक्रम की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि शिक्षा का मकसद केवल किताबें पढऩा और उन्हेंं रटना ही नहीं होना चाहिए, बल्कि बच्चों को व्यवहारिक ज्ञान होना जरूरी है।

इसके साथ ही हम सभी को यह भी मूल्याकंन करना जरूरी है कि जो बच्चे आज तक टॉपर रहे हैं वे आज कहां पर है? उन्होंने कहा कि मैनें बीकॉम का ग्रेजुएट छात्र हूं और हमेशा से एक एवरेज छात्र रहा हूं। मेरा ये मानना है कि अंकों के निर्धारण से काबिलियत साबित नहीं होती, बल्कि हम जीवन में किस मंजिल तक पहुंचे हैं, हमारी अचीवमेंट क्या रही है ये मायने रखता है। जिन बच्चों को इस कार्यक्रम में सम्मान मिलेगा, वे सभी सम्मान के पात्र है और अन्य बच्चों के लिए भी एक प्रेरणा है। इससे अन्य बच्चों को भी आगे आने भी प्रेरणा मिलेगी। (एचडीएम)

नई शिक्षा नीति पर है फोकस

राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति पर भी फोकस किया और कहा कि इस नीति ने देश में पढ़ाई के सिस्टम को बदला है। शिक्षा का मूल उद्देश्य क्या हो यह ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। केंद्र सरकार इस दिशा में बेहतर कार्य कर रही है। शिक्षा हमेशा जमीन से जुड़ी होनी चाहिए और साथ ही बच्चों को संस्कारित करना जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का मूल उद्देश्य संस्कार देना है, जो हम किस रूप में देते हैं यह महत्त्वपूर्ण हैं। अभिभावकों का कर्तव्य है कि वे घर पर शिक्षा का वातावरण तैयार करें। शिक्षा का लक्ष्य अच्छा इनसान बनाने पर होना चाहिए, बाकि उपलब्धियां अपने आप जुड़ती चली जाती हैं।

और सुनाया जिंदगी का वह किस्सा

बच्चों को संबोधित करते हुए राज्यपाल आर्लेकर ने अपने जीवन का एक किस्सा भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने कहा कि एक बार जब उनके मित्र ने फुटबाल मैच में हिस्सा लिया, तो वह उसके बाद काफी परेशान हो गए थे। मित्र ने बताया कि 90 मिनट के मैच में वह इधर से उधर भागते रहे, लेकिन एक बार भी उनके पैर को फुटबाल टच नहीं हो सका। राज्यपाल ने बच्चों को उदाहरण दिया कि हमें वह व्यक्ति नहीं बनना है, जिसके पैर में एक बार भी फुटबाल न लगे, यानी हमारे जीवन का एक लक्ष्य होना चाहिए और उस लक्ष्य तक पहुंचने के लिए हमें कड़ा प्रयास करना चहिए।

बारिश के बाद भी नहीं रुके होनहारों के कदम

शिमला के मेधावी कार्यक्रम में बारिश के बावजूद भी बड़ी संख्या में शहर के स्कूलों से छात्र मौजूद रहे। छात्रों के साथ उनके शिक्षक और अभिभावक भी मौजूद रहे। राजधानी शिमला में मौसम विभाग की ओर से बुधवार को यलो अलर्ट जारी किया गया था। इसके कारण सुबह के समय शिमला में भारी बारिश का दौर चलता रहा। भारी बारिश के बीच भी पोर्टमोर स्कूल में आयोजित शिमला के मेधावी कार्यक्रम ऑडिटोरियम पूरी तरह से भर गया। सम्मान पाकर शहर के टॉपर खुश हुए। वहीं, शिमला के मेधावी कार्यक्रम में पोर्टमोर स्कूल की छात्राओं ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए। कार्यक्रम का आगाज पोर्टमोर स्कूल की छात्राओं ने सरस्वती वंदना से हुआ। इसके बाद छात्राओं ने समूह गान पेश कर मंच पर तालियां बटोरीं। देशभक्ति कार्यक्रम सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा ने सबका मन मोहा।

कार्यक्रम में सम्मान का दौर

समाचार पत्र के साथ डिजिटल तक का सफर

शिमला के मेधावी कार्यक्रम में बोले मीडिया ग्रुप के राज्य ब्यूरो प्रमुख राजेश मंढोत्रा, स्थापना की सिल्वर जुबली मना रहा ‘दिव्य हिमाचल’

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

इस साल आजादी के 75 वर्ष पूरे होने पर देश अमृत महोत्सव मना रहा हैं, वहीं, ‘दिव्य हिमाचल’ मीडिया गु्रप भी अपनी स्थापना की सिल्वर जुबली मना रहा है। ‘दिव्य हिमाचल’ समूह की स्थापना वर्ष 29 दिसंबर, 1997 में हुई थी। यह बात ‘दिव्य हिमाचल’ के राज्य ब्यूरो प्रमुख राजेश मंढोत्रा ने शिमला के पोर्टमोर स्कूल में आयोजित शिमला के मेधावी कार्यक्रम के दौरान कही। उन्होंने कहा कि ‘दिव्य हिमाचल’ हिमाचल प्रदेश का पहला दैनिक समाचार पत्र है। हमारा मीडिया ग्रुप ने समाचार पत्र साथ-साथ डिजिटल प्लेटफार्म में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने साथ ही कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से आजादी के अमृत महोत्सव पर लिए गए प्रण को पूरा करने के लिए ‘दिव्य हिमाचल’ भी भूमिका निभा रहा। बात अगर शिक्षा से संबंधित मुद्दों की हो, तो ‘दिव्य हिमाचल’ समूह की ओर से हमेशा ही नए-नए प्रयास किए जाते हैं।

इसी कड़ी में ‘दिव्य हिमाचल’ की ओर से शिमला के मेधावी कार्यक्रम का आयोजन किया गया हैं। इस कार्यक्रम में 33 स्कूलों के 350 मेधावियों को ‘दिव्य हिमाचल’ की ओर से सम्मानित किया गया हैं। उन्होंने बताया कि बहुत कम अंतराल में ‘दिव्य हिमाचल’ प्रदेश का अग्रणी दैनिक समाचार पत्र बन गया, लेकिन ‘दिव्य हिमाचल’ की श्रम साधना यहीं संतुष्ट होकर नहीं ठहर गई। इसके बाद ‘दिव्य हिमाचल’ इंटरनेट पर दुनिया भर में छा गया और इसे फख्र हासिल हुआ हिमाचल का नंबर वन मीडिया ग्रुप बनने का। नंबर वन बनने के बाद भी ‘दिव्य हिमाचल’ ने आराम न करने की नीति पर अमल करते हुए परंपरा से हटकर जनसेवा करने की ठानी और उदय हुआ ‘दिव्य हिमाचल’ रिलीफ फंड का। इससे प्रदेश भर के लोगों का आपार सहयोग मिला। इसीके बूते ‘दिव्य हिमाचल’ रिलीफ फंड ने कई जरूरतमंद लोगों को मौत के मुंह से बचाया।

कोंकणी भजन से भावुक

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला में आयोजित शिमला के मेधावी कार्यक्रम के दौरान कोंकणी भजन पर राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भावुक हो गए। कार्यक्रम के दौरान द्यपोर्टमोर स्कूल की छात्रा कनिका गौतम ने कौंकणी भजन प्रस्तुत किया। छात्रा की ओर से दी गई प्रस्तुति से राज्यपाल काफी ज्यादा प्रभावित हुए। दरअसल राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर गोवा से संबंध रखते हैं। कोंकणी गोवा में बोली जाने वाली भाषा हैं। छात्रा द्वारा कोंकणी में गए भजन पर राज्य पाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर भावुक हो गए। इतना ही नहीं, भजन समाप्त होने के बाद राजेंद्र विश्वनाथ ने छात्रा कनिका गौतम के गायन को तालियों के साथ सराहा। साथ ही कनिका गौतम की तारीफ भी की।

छात्रा द्वारा गए भजन पर न सिर्फ राज्यपाल, बल्कि शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज समेत उपस्थित सभी अतिथि प्रभावित हुए। छात्रों के लिए गायन को लेकर पूरे ऑडिटोरियम में वाहवाही भी हुई। कार्यक्रम के दौरान पोर्टमोर स्कूल की अन्य छात्राओं ने भी प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन के साथ की गई। दीप प्रज्ज्वलन के दौरान पोर्टमोर स्कूल की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना भी पेश की गई। इसके अलावा छात्राओं की ओर से समूहगान भी पेश किया गया।


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