शांत हिमाचल में सिसकती मानवता

जहां इस प्रकार की अनैतिक, अवैध तथा घृणित घटनाएं हमें मानवीय दृष्टि से शर्मसार करती हैं, वहीं पर ये घटनाएं हमें डर तथा भय के साये में जीने के लिए विवश करती हैं। इन घटनाओं की सामाजिक रूप से कड़ी निंदा की जानी चाहिए तथा समाज में ऐसी घृणित एवं गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने वाले व्यक्तियों का विरोध होना चाहिए। प्रदेश वासियों को भी इस दिशा में जागरूक तथा संवेदनशील होने की आवश्यकता है…

हिमाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी प्रदेश को देश और दुनिया में सुखी, समृद्ध और शांत प्रदेश कहा जाता है। इस प्रदेश के लोग अत्यधिक भौतिकवाद से परे है। इज्ज़त से कमाकर, जीवन यापन करते सुख-चैन से रहते हैं। थोड़े में गुजऱ-बसर कर संतोषपूर्ण जीवन व्यतीत करते ईश्वर को धन्यवाद देते हैं। पहाड़ी लोगों में अति महत्त्वाकांक्षा तथा संसाधनों के लिए छीना-झपटी नहीं होती। भोले-भाले कहे जाने वाले हिमाचली जीवन मूल्यों, विरासत से मिले पारिवारिक संस्कारों तथा परम्परागत सांस्कृतिक परिधि में रहते हुए मान-सम्मान से संतुष्ट होकर जीवन जीते हैं। ऐसा भी नहीं है कि हिमाचली जनमानस भौतिकवाद तथा जीवन के विषय विकारों से निर्लिप्त है, लेकिन दुनिया की आपाधापी, छीनाझपटी, महत्त्वाकांक्षा तथा पनपते अति भौतिकवाद की तुलना में बहुत कम हैं। कुछ समय से इस शांत प्रदेश के लोगों तथा आब-ओ-हवा को भी दुनिया की नजऱ लगने लगी है। अब यहां भी व्यवसायीकरण तथा भौतिकवाद लोगों की मानसिकता, व्यवहार तथा जीवन शैली पर असर करने लगा है। धीरे-धीरे अब हिमाचल पर भी दुनिया का रंग चढऩे लगा है। इस शांत प्रदेश में भी मानवीय मूल्यों का पतन होने लगा है। अपराधों में बढ़ोतरी होने लगी है।

अनाचार, भ्रष्टाचार, हत्या, बलात्कार, चोरी, ठगी, डकैती तथा लूटपाट जैसी घटनाएं अब आम होने लगी हैं जिससे लोगों में डर तथा भय का वातावरण पनपने लगा है। अभी हाल ही में जि़ला बिलासपुर के झण्डूता उपमण्डल के अंतर्गत गांव समोह में अंकित हत्याकांड ने इस क्षेत्र के लोगों को हिलाकर रख दिया है। इस जघन्य हत्याकांड में हत्यारों ने मानवीय सीमाओं की हदें पार करते हुए इक्कीस वर्षीय अंकित की हत्या कर दी। हत्यारों ने मृतक के शव के दो हिस्से काटकर एक हिस्सा बंद बोरी में डालकर मृतक के घर से डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर फैंक दिया। अंकित राजकीय पॉलिटेक्निक कॉलेज कलोल में अंतिम वर्ष का छात्र था। इस हत्याकांड से इस क्षेत्र में डर और दहशत का वातावरण बन गया है। जि़ला पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मृतक के चचेरे परिवार की बाईस वर्षीय महिला सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। फौरेंसिक टीम की जांच के बाद आरोपियों के घर पर से तेजधार हथियार बरामद कर लिए हैं। पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में पेश किया तथा न्यायालय ने उन्हें छह दिन का रिमांड दिया है। यह तो पुलिस प्रशासन की गहन जांच का विषय है तथा लम्बी न्यायिक प्रक्रिया से ही पता चलेगा कि हत्यारा कौन था तथा उसे क्या सज़ा मिलेगी, लेकिन सत्य यह है कि एक सामान्य एवं गरीब परिवार ने अपना युवा बेटा खो दिया है। जि़ला बिलासपुर में हुई हत्या की यह जघन्य घटना मानवता को शर्मसार तथा प्रदेश को बाह्य प्रभावों से प्रभावित करने वाली है। दूसरी ओर जि़ला कुल्लू के मणिकर्ण में घूमने आए हरियाणा के सोनीपत के प्रतीक कुंडू को भी हत्यारों द्वारा पत्थर मार कर, दौड़ा-दौड़ा कर मार देने की घटना अति निंदनीय है।

प्रतीक अपने दोस्तों के साथ कुल्लू के बरशैणी से खीरगंगा के लिए पैदल यात्रा के लिए निकला था कि रास्ते में स्थानीय शराबियों ने मामूली नोंकझोंक तथा बहसबाजी के बाद उसे पथराव कर मौत के घाट उतार दिया। अगले दिन चौबीस वर्षीय प्रतीक का शव पार्वती नदी के किनारे पाया गया। इस मामले में पुलिस ने छह आरोपियों को हिरासत में ले लिया है। ऊना जि़ले के अम्ब उपमंडल में भी बीस वर्षीय युवक द्वारा महज पांच वर्ष ग्यारह महीने की अबोध बालिका के साथ दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। आरोपी युवक पर पास्को एक्ट के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है। इससे पूर्व भी कुछ समय पहले अम्ब क्षेत्र के प्रतापनगर में पन्द्रह वर्षीय प्राची राणा की एक युवक द्वारा एकतरफा प्यार में दिन-दिहाड़े गला रेत कर हत्या कर दी थी। इसी प्रकार किन्नौर के भावानगर में तेरह वर्षीय नेपाली मूल की छात्रा की हत्या कर लाश को बेड बॉक्स में छुपाकर रखने की घटना ने दहशत फैला दी थी। पिछले दिनों मनाली के होटल में एक व्यक्ति द्वारा आधी रात को पिस्तौल से युवती की हत्या से भी शांत प्रदेश विचलित हुआ था। कुछ समय पूर्व मंडी के चौवन वर्षीय राजकुमार नाम के व्यक्ति पर दो परिवारों के झगड़े में मृतक द्वारा अपने बचाव में नदी में छलांग लगाने तथा पीछे से लोगों द्वारा उसके ऊपर पत्थर तथा डंडे मारकर डुबो देने की घटना ने भी प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था। प्रदेश में वर्तमान में चरस, भांग तथा चिट्टे का करोबार भी चरम सीमा पर है। यह कारोबार नशा माफियाओं द्वारा गली, मुहल्ले तथा घर-घर तक पहुंच चुका है।

प्रदेश के गांवों एवं शहरों में नशे का यह अवैध कारोबार दस्तक दे चुका है। प्रदेश पुलिस ने वर्ष 2021 में विभिन्न स्थानों पर कार्रवाई करते हुए 14.9 किलोग्राम की खेप पकड़ी है। पिछले वर्ष प्रदेश में एनडीपीएस एक्ट के तहत 1537 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें कांगड़ा में 231 व कुल्लू में 206 मामले एनडीपीएस एक्ट में दर्ज किए गए हैं। इस शांत प्रदेश में नशे का अवैध कारोबार होना समाज के लिए खतरे की घंटी है। यही नशा समाज में इन घृणित घटनाओं को जन्म देता है। सरकार, सामान्य प्रशासन, पुलिस प्रशासन को इस दिशा में स्थानीय गैर सरकारी संगठनों तथा लोगों के सहयोग से आवश्यक कदम उठाने की आवश्यकता है। जघन्य हत्याकांड, बलात्कार, भ्रष्टाचार, अनाचार, चोरी, ठगी डकैती तथा पनपता हुआ नशे का अवैध कारोबार प्रदेश की शांति, सौहार्द तथा सेहत के लिए अच्छा संकेत नहीं है। जहां इस प्रकार की अनैतिक, अवैध तथा घृणित घटनाएं हमें मानवीय दृष्टि से शर्मसार करती हैं, वहीं पर ये घटनाएं हमें डर तथा भय के साये में जीने के लिए विवश करती हैं। इन घटनाओं की सामाजिक रूप से कड़ी निंदा की जानी चाहिए तथा समाज में ऐसी घृणित एवं गैरकानूनी गतिविधियों को अंजाम देने वाले व्यक्तियों का विरोध होना चाहिए। प्रदेश वासियों को भी इस दिशा में जागरूक तथा संवेदनशील होने की आवश्यकता है। तभी इन वारदातों पर अंकुश लग सकेगा।

प्रो. सुरेश शर्मा

लेखक घुमारवीं से हैं


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