सेना और गणेश चतुर्थी

अगस्त माह के अंत तथा सितंबर की शुरुआत से बरसात का मौसम धीरे-धीरे कम होने लगता है। मक्की तथा धान की फसल अपने अंतिम पड़ाव पर पहुंच रही होती है, देश का किसान फसल को देखकर खुश होता है, उसी दौरान गणेश चतुर्थी के त्यौहार को लगभग पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। आज इंटरनेट के समय में हर गली, हर शहर, हर जिला तथा राज्य और कहा जाए तो पूरा विश्व ही एक दूसरे से जुड़ चुका है और एक दूसरे राज्य और क्षेत्रों के त्योहारों को मनाने के तरीके और परंपरा के बारे में भी पता चलने लगा है तथा लोगों ने अब इन सब त्यौहारों को पूरी शिद्दत और खुशी के साथ हर जगह मनाना शुरू कर दिया है। अगर कुछ वर्ष पहले की बात करें तो गणेश चतुर्थी का त्योहार महाराष्ट्र तथा दक्षिणी पठार में बसने वाले क्षेत्रों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था। विशेषकर महाराष्ट्र में गणेश चतुर्थी के दौरान दो सप्ताह तक हर मोड़ एवं चौराहे पर गणेश स्थापना के बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते थे और वहां पर भजन कीर्तन संध्या आरती के अलावा मलखंभ का प्रदर्शन भी किया जाता था। मलखंभ महाराष्ट्र की मराठा शैली का खेल है जिसमें एक पोल पर साहसिक करतब किए जाते हैं। मलखंभ पोल पर होने वाला भारतीय जिम्नास्ट है, जिसने पहली बार बर्लिन में 1936 ओलंपिक के दौरान पूरी दुनिया का ध्यान आकर्षित किया था। मलखंभ कबड्डी की तरह स्वदेशी भारतीय खेलों में से एक है। इसका अर्थ देखें तो मल का शाब्दिक अर्थ कुश्ती तथा खंभ का अर्थ है खंभा। दोनों साथ मिलकर मलखंभ बनते हैं।

पुराने जमाने में कुश्ती पहलवान और योद्धाओं ने मार्शल आर्ट ट्रिक्स को सफल बनाने के लिए प्रशिक्षण उपकरण के रूप में पोल का इस्तेमाल करते थे, जिसको बाद में रिंग या युद्ध के मैदान में विरोधियों के खिलाफ इस्तेमाल करते थे। आज कल गणेश चतुर्थी के बड़े-बड़े पंडाल दक्षिण भारत में ही नहीं अपितु उत्तर भारत में भी लगभग हर शहर और गांव में सजने लगे हैं। गणेश चतुर्थी के त्योहार को सेना में भी बड़े ही रीति रिवाज के साथ मनाया जाता है। सेना की हर यूनिट में अलग-अलग क्षेत्र, प्रांतों तथा जिलों से आए हुए सैनिक अपने मराठा सैनिक दोस्तों की राय अनुसार गणेश प्रतिमा को स्थापित करते हैं तथा पूजा-अर्चना, संध्या आरती की रोजाना कार्रवाई के बाद पूरे विधि विधान के साथ गणेश विसर्जन की कार्रवाई की जाती है। आजकल सरकार ने जल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए गणेश विसर्जन पर कुछ कानून बनाए हैं पर फिर भी लोगों की आस्था और विश्वास के आधार पर आज भी गणेश प्रतिमा की स्थापना तथा विसर्जन इस सप्ताह का मुख्य आकर्षण का केंद्र होता है। गणपति बप्पा एक ऐसी ताकत है जिसके उद्गार से मन जोश से भर जाता है और उद्धेलित हो जाता है। सैनिकों द्वारा गणेश चतुर्थी के दौरान किए जाने वाले प्रदर्शनों में मलखंभ जिसे मराठा सैनिक करते हैं, जिनके साहसिक करतब को देखकर आंखें खुली की खुली रह जाती हैं। ऐसे भी माना जाता है कि शिवाजी के सैनिकों को लड़ाई का जो प्रशिक्षण दिया जाता था उसमें मलखंभ एक बड़ा ही महत्वपूर्ण हिस्सा होता था। इसके अलावा गणेश चतुर्थी सप्ताह में मराठा शैली के अलग-अलग नृत्य जिसमें विशेषकर मल्हारी जो मराठा सैनिक जिस जोश से करते हैं देखते ही बनता है। मल्हारी नृत्य सैनिकों में जोश भरने के लिए तथा अपने अराध्य देव की पूजा के दौरान किया जाता है। मल्हारी एक जोश भरने वाला नृत्य है जिसे पुराने जमाने में योद्धा युद्ध के दौरान मिले खाली समय में मनोरंजन तथा जोश बढ़ाने के लिए करते थे और आधुनिक समय में सेना में गणेश चतुर्थी के दिन सैनिक करते हैं।

कर्नल (रि.) मनीष

स्वतंत्र लेखक