टीबी…अफवाहों से रहें दूर, समय पर इलाज करवाएं जरूर

By: Sep 28th, 2022 12:10 am

एक्टिव केस फाइंडिगं में कांगड़ा में मिले 11 नए मरीज, अभी तक 1565 टीबी मरीजों का सुचारू रूप से चल रहा इलाज

नरेन कुमार—धर्मशाला
विश्व भर में टयूबरकलोसिस टीबी यानी क्षय रोग उन्मूलन के लिए वर्ष 2030 का लक्ष्य रखा गया है, जबकि भारत में 2025 तय किया गया है। वहीं, हिमाचल में टीबी को समाप्त किए जाने के लिए 2024 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसी कड़ी में एक्टिव केस फाइडिगं अभियान प्रदेशभर सहित जिला कांगड़ा में भी चलाया जा रहा है, जिसमें संभावित क्षेत्रों में घर-घर से सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। जिसमें 11 टीबी रोगियों की पहचान अब तक स्वास्थय विभाग ने की है, जबकि काफी सैंपल एकत्रित करके भेजे गए हैं, जिनकी रिपोर्ट आना बाकि है। वहीं, राज्य के सबसे बड़े जिला कांगड़ा में मौजूदा समय में 1565 टीबी मरीजों का सूचारू रूप से इलाज चल रहा है। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के सीएमओ कांगड़ा डा. गुरदर्शन गुप्ता ने लोगों से किसी भी प्रकार ही अफवाहों से दूर रहते हुए समय पर इलाज करवाने की सलाह दी है। साथ ही कहा है कि सही समय में उपचार शुरू होने से पूरी तरह से क्षय रोग टीबी का इलाज संभव है।

प्रधानमंत्री टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत राज्य भर सहित जिला कांगड़ा में एक्टिव केस फाइडिगं अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें टीबी से संभावित क्षेत्रों में घर-घर पहुंचकर स्वास्थ्य विभागों की टीमों की ओर से सैंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही टीबी मरीजों के परिवारों के भी सैंपल एकत्रित करके जांच की जा रही है, जिससे बीमारी को आगे बढऩे से पूरी तरह से रोका जा सकें। वहीं, टीबी सैंपल की जांच के लिए जिला कांगड़ा के कुल 13 स्वास्थ्य ब्लॉक में 15 आत्याधुनिक लैब हाईटेक मशीनों के साथ स्थापित की गई है। इसमें सीवीनेट व ट्रूनेट टेस्ट की सुविधा प्रदान की जा रही है। स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से खुद भी लक्षण पाए जाने पर स्वास्थ्य केंद्रों में पहुंचकर जांच करवाने की अपील की है। जिला क्षय रोग नियंत्रक अधिकारी डा. आरके सूद ने बताया कि समस्त क्षेत्र में एक्टिव केस फाइडिगं अभियान चल रहा है, जिसमें रोगियों की पहचान करके इलाज किया जा रहा है।

सुपर लेटेस्ट लैब में हो रही टीबी की जांच

जिला कांगड़ा स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. गुरदर्शन गुप्ता ने बताया कि अत्याधुनिक लैब में टीबी की जांच की जा रही है। अभियान के तहत संभावित क्षेत्रों में घर-घर से सेंपल एकत्रित किए जा रहे हैं। इसके साथ ही टीबी का इलाज पूरी तरह से संभव है, उचित दवाइयों से उपचार किया जा रहा है।


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