मधुमेह-कैंसर से निजात दिलाएगा काला गेहूं, दो किलो बीज से 40 किलो उत्पादन
सुंदरनगर के संजय सकलानी ने तैयार की फसल, दो किलो बीज से 40 किलो उत्पादन
स्टाफ रिपोर्टर—सुंदरनगर
मधुमेह, कैंसर, डायबीटीज, मोटापा और तनाव जैसी बीमारियों से काला गेहूं निजात दिलाएगा। सुंदरनगर के प्रगतिशील किसान संजय कुमार सकलानी ने काले गेहूं की फसल तैयार कर ली है। मात्र दो किलो काले गेहूं के बीच से उन्होंने 40 किलोग्राम फल तैयार की है। लोगों की सेहत का ख्याल रखने के लिए काला गेहूं किसानों के लिए भी मददगार बना है। बाजार में इसकी कीमत 300 रुपए प्रति किलो मिल रही है। संजय ने गुजरात से काले गेहंू का बीज ऑनलाइन 300 रुपए किलो के हिसाब से मंगवाया था। नवंबर में दो किलो काले गेहूं की खेती करने के बाद अप्रैल-मई में कटाई के बाद उन्हें 40 किलो गेहूं की तैयार फसल मिली है। संजय कुमार खेती में अपनी प्रतिभा को लेकर कृषि विभाग से कई खिताब हासिल कर चुके हैं। जैविक खेती के लिए कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर से प्रशिक्षु भी उनके खेतों का शैक्षणिक भ्रमण करने आते हैं।
60 प्रतिशत आयरन
काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 प्रतिशत आयरन अधिक होता है। इसके अतिरिक्त आम गेहूं में एंथोसाएनिन महज 5 पीपीएम होता है, लेकिन काले गेहूं में यह 100 से 200 पीपीएम के आसपास होता है। एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है।
गेहूं की दो प्रजातियों को मिलाकर बना है काला गेहूं
काले गेहूं को नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीच्यूट मोहाली की वैज्ञानिक मोनिका गर्ग द्वारा तैयार कर पेटेंट किया गया है। गेहूं की इस प्रजाति को दो प्रकार के गेहूं की प्रजातियों को मिलाकर बनाया गया है। काले गेहूं को मेडिसिनल वीट के नाम से भी जाना जाता है। ब्लैक व्हीट में जिंक की मात्रा अधिक होने के कारण इसकी गुणवत्ता अधिक हो जाती है।
किसानों के लिए अच्छा विकल्प
कृषि विज्ञान केंद्र सुंदरनगर के प्रभारी डा. पंकज सूद ने बताया कि काले गेहूं की पैदावार को लेकर किए गए प्रयोगों में इसकी पैदावार आम गेहूं के बराबर पाई गई है। प्रदेश में अभी काले गेहूं को छोटे स्तर पर किसानों द्वारा अपने खेतों में उगाया गया है और कृषि विश्वविद्यालय में काले गेहूं को लेकर प्रयोग जारी है। भविष्य में प्राकृतिक खेती की ओर बढ़ रहे किसानों के लिए एक अच्छा विकल्प हो सकता है।