सेना में सीडीएस

यहां एक तरफ आज गुजरात और हिमाचल में चुनावी माहौल पूरी तरह से गर्म हो रखा है और प्रधानमंत्री जी की बिलासपुर में हुई रैली तथा मुख्यमंत्री के पूरे प्रदेश की हर विधानसभा में लगातार हो रहे दौरों से हिमाचली जनता चुनावमयी हो चुकी है तो दूसरे राज्य गुजरात में आम आदमी पार्टी की बढ़ती लोकप्रियता और पार्टी के बड़े नेताओं के लगातार दौरों तथा गारंटियों के वायदे से ऐसे लग रहा है कि अभी तक गुजरात और हिमाचल में मुख्यत: भाजपा और कांग्रेस का ही मुकाबला होता था, अभी तीसरा दल भी इस पुराने रिवाज को चुनौती देगा। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बीच नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी बड़े दिलचस्प मोड़ पर है तो दिल्ली सरकार की शराब नीति पर चल रहे संशय पर लगातार ईडी की छापेमारी से क्या परिणाम निकलने वाले हैं यह तो वक्त के गर्भ में छिपा है और समय आने पर आम जनता के सामने भी आ जाएगा। अगर सेना की बात करें तो पिछले शुक्रवार को लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान रिटायर्ड ने देश के नए प्रमुख रक्षा अध्यक्ष के रूप में कार्यभार ग्रहण किया। इस नियुक्ति के बाद तीनों सेनाओं के बीच तालमेल तथा सेना की थिएटर कमान के पुनर्गठन का जो अभियान जनरल बिपिन रावत पूर्व सीडीएस ने शुरू किया था, उस कार्य को आगे सुचारू रूप से चलाने में अभी ध्यान केंद्रित होने के आसार हैं।

जनरल चौहान रक्षा विभाग के सचिव के रूप में भी काम करेंगे। जनरल चौहान पिछले साल पूर्वी सेना कमांडर के रूप में अपनी सेवानिवृत्ति के बाद वह राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय में सैन्य सचिव के रूप में कार्य करते रहे हैं। जनरल चौहान ने भारत के दूसरे सीडीएस के रूप में कार्यभार संभाला है। यह देश के पहले सेवानिवृत्त अधिकारी होंगे जो 4 सितारा अधिकारी के रूप में सेवा में वापसी करेंगे। 2019 में बालाकोट हवाई हमलों के दौरान जनरल चौहान डीजीएमओ के महानिदेशक थे, जब भारतीय लड़ाकू विमानों ने पुलवामा आतंकवादी हमले के जवाब में पाकिस्तान के एक आतंकवादी प्रशिक्षण शिविर पर हमला किया था। जनरल बिपिन रावत पूर्व सीडीएस का 9 महीने पहले एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में जब निधन हो गया था उसके बाद यह पद रिक्त था। जनरल रावत भारतीय सेना के 11 गोरखा राइफल से संबंध रखते थे और संजोग यह है कि जनरल चौहान भी उसी पलटन का हिस्सा रहे हैं । जनरल चौहान का जन्म 18 मई 1961 को हुआ तथा 1981 में भारतीय सेना में कमिश्निंग हुई। 40 वर्ष से अधिक के अपने कैरियर में जनरल चौहान ने कई कमान एवं स्टाफ और महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया है।

उन्हें जम्मू-कश्मीर तथा पूर्वोत्तर भारत में आतंकवादी विरोधी अभियानों का व्यापक अनुभव है। जनरल चौहान को भारतीय सेना की हर कमान तथा क्षेत्र की युद्ध नीति तथा रणनीति के बारे में व्यापक तजुर्बा है और आशा है कि वह अपने इस समृद्ध एक्सपीरियंस का इस्तेमाल वर्तमान में चीन तथा पंजाब के बॉर्डर पर हो रही मुश्किलों को हल करने में इस्तेमाल करते हुए भारतीय सेना के तीनों अंगों के बीच में समन्वय बिठाते हुए भारतीय सेना की वैश्विक स्तर पर साख बढ़ाएंगे।

कर्नल (रि.) मनीष

स्वतंत्र लेखक


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