जयराम रमेश ने दी चुनाव आयोग को सलाह चुनावी रेवडिय़ों पर नहीं, स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर दें ध्यान

By: Oct 28th, 2022 10:59 pm

फ्रीबीज पर भारत के चुनाव आयोग को कांग्रेस ने दिया ‘ज्ञान’
जयराम रमेश का जवाब, यह मसला आपके दायरे में नहीं आता
ईसी मौजूदा कानूनों का पालन ही करवा दे, तो काफी होगा

दिव्य हिमाचल ब्यूरो — नई दिल्ली
राजनीतिक दलों की ओर से मुफ्त स्कीमों के ऐलान को लेकर चुनाव आयोग की ओर से उसके खर्च का प्लान मांगे जाने पर कई दलों ने ऐतराज जताया है। आयोग के प्लान का भाजपा और अकाली दल की ओर से समर्थन किया गया है, तो वहीं कांग्रेस और वामपंथी दलों ने उसके दायरे पर ही सवाल उठा दिया है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश की ओर से चुनाव आयोग को दिए गए जवाब में कहा गया है कि यह ऐसा मसला है, जो आपके दायरे में नहीं आता। उन्होंने अपने जवाब में कहा कि न तो सरकार, न ही अदालत और न चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है कि वह ऐसे मुद्दों पर कोई निर्णय ले। यही नहीं, संविधान में दिए नियमों का हवाला देते हुए कांग्रेस ने चुनाव आयोग को उसके अधिकार क्षेत्र की याद दिलाई है। कांग्रेस ने अपने लेटर में कहा कि चुुनाव आयोग का यह काम है कि वह फ्री एंड फेयर इलेक्शन कराए। इसके लिए आर्टिकल 324 में उसे अधिकार दिए गए हैं।

आयोग के पास अधिकार है कि वह नफरती भाषण, सांप्रदायिक तनाव फैलाने वाली चीजों या प्रभाव के बेजा इस्तेमाल पर रोक लगाए। कांग्रेस की ओर से चुनाव आयोग को उलटे सीख दी गई कि चुनाव आयोग को सबसे पहले मौजूदा कानूनों को ही ढंग से लागू करने पर ध्यान देना चाहिए। एक नियम तो यही है कि चुनाव के दौरान कोई भी राजनीतिक दल सुरक्षा बलों की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए श्रेय नहीं लेगा, लेकिन 2019 के आम चुनाव में ऐसा ही हुआ था, जब पीएम और गृह मंत्री ने सीधे तौर पर सेना की उपलब्धियों का श्रेय लेने का प्रयास किया। कांग्रेस ने कहा कि इसी तरह कई मौकों पर आचार संहिता का उल्लंघन किया गया, लेकिन चुनाव आयोग ने कोई कदम नहीं उठाया। इसके साथ ही फ्रीबीज की परिभाषा भी कांग्रेस ने बताते हुए कहा कि हर राजनीतिक दल चुनाव में वादे करता है। उसके बाद यदि सरकार बनती है, तो उसकी ओर से उन वादों को पूरा करने का प्रयास भी किया जाता है। हालांकि कई मौकों पर ऐसा भी होता है कि वह प्रयास पूरा नहीं होता है, लेकिन अगले चुनाव में फिर उस पर आगे बढऩे की बात कही जाती है। यह बात कहना बहुत कठिन है कि कौन सा वादा कितना पूरा हो पाएगा। ऐसे में फ्रीबीज की परिभाषा में सुधार की जरूरत है।


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