प्रदेश को अब बल्क ड्रग पार्क का तोहफा

लगभग 40,000 लोगों को इन में रोजग़ार के अवसर मिलने की संभावना है। प्रदेश के युवाओं को अपने ही राज्य में पहली बार इतना बड़ा अवसर रोजग़ार प्राप्त करने का मिलेगा। 100 करोड़ रुपया ‘‘चिकित्सा उपकरण पार्क’’ व 1000 करोड़ रुपया ‘‘बल्क ड्रग पार्क’’ को विकसित करने के लिए अनुदान के रूप में केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाएगा। अपने सीमित संसाधनों के बावजूद प्रदेश सरकार ने भी यह मन बना लिया है कि इन दोनों महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं को नियत समय के अंदर अमलीजामा पहनाया जाए, जिससे प्रदेश न केवल देश के औद्योगिक मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बना सकेगा, अपितु ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’’ के अंतर्गत भी अपनी एक सशक्त भागीदारी निभा सकेगा। यदि अन्य राज्यों से निवेश आकर्षित करने में हिमाचल की तुलना करें तो पलड़ा भारी बैठता है…

दिनांक 05.10.2022 को बिलासपुर के ‘‘लुहणू मैदान’’ से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने इस बात का विशेष उल्लेख किया कि हिमाचल जैसा छोटा पहाड़ी प्रदेश देश का एक मात्र ऐसा राज्य बन गया है, जिसे पहले ‘‘मैडिकल डिवाइस पार्क’’ व उसके बाद ‘‘बल्क ड्रग पार्क’’ की स्वीकृति मिली। हिमाचल के इतिहास में यह एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। कोई भी सरकार औद्योगिकरण को इस लिए बढ़ावा देती है कि इससे एक तो प्रदेश की आर्थिकी सुदृढ़ होती है तथा दूसरी ओर रोजग़ार के नए अवसरों का सृजन होता है। 2273 करोड़ रूपए की इन दोनों परियोजनाओं (350 करोड़ की मैडिकल डिवाइस परियोजना व 1923 करोड़ लागत की बल्क ड्रग पार्क परियोजना) के फलीभूत होने पर 55,000 करोड़ के संभावित निवेश का प्रदेश में अनुमान है, जो कि यहां के औद्योगिक निवेश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ। लगभग 40,000 लोगों को इन में रोजग़ार के अवसर मिलने की संभावना है। प्रदेश के युवाओं को अपने ही राज्य में पहली बार इतना बड़ा अवसर रोजग़ार प्राप्त करने का मिलेगा। 100 करोड़ रुपया ‘‘चिकित्सा उपकरण पार्क’’ व 1000 करोड़ रुपया ‘‘बल्क ड्रग पार्क’’ को विकसित करने के लिए अनुदान के रूप में केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाएगा। अपने सीमित संसाधनों के बावजूद प्रदेश सरकार ने भी यह मन बना लिया है कि इन दोनों महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय महत्व की परियोजनाओं को नियत समय के अंदर अमलीजामा पहनाया जाए, जिससे प्रदेश न केवल देश के औद्योगिक मानचित्र पर अपनी अलग पहचान बना सकेगा, अपितु ‘‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’’ के अंतर्गत भी अपनी एक सशक्त भागीदारी निभा सकेगा।

पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के गत 50 वर्षों में यदि अन्य राज्यों से निवेश आकर्षित करने में हिमाचल की तुलना करें तो हिमाचल का पलड़ा भारी बैठता है। ‘‘बल्क ड्रग पार्क’’ की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तय समय से पहले ही बनाकर प्रदेश सरकार ने केन्द्र को अंतिम मंजूरी के लिए भेज दी है। इस ‘‘मैगा परियोजना’’ के अंतर्गत कई सांझा सुविधाएं, यहां अपना उद्यम लगाने वाले उद्यमियों को प्राप्त होंगी जैसे- 300 टी.पी.एच. क्षमता का स्टीम प्लांट, 120 मैगावाट क्षमता की विद्युत आपूर्ति सुविधा, 15 एम.एल.डी. क्षमता की जलापूर्ति सुविधा, सौलवेंट एक्सटै्रक्शन संयंत्र, शून्य तरल स्त्राव (डिस्चार्ज) वाला 5 एम.एल.डी क्षमता का ‘‘सांझा प्रवाह संयंत्र’’ आदि।

‘‘राज्य कार्यान्यवन अभिकरण’’ द्वारा इस पार्क का निर्माण, कार्यान्वयन व रखरखाव किया जाएगा। इस पार्क में 6 ‘‘मल्टी-फ्यूल बॉयलर’’ प्रस्तावित हैं, जिनसे उद्यमियों की ताप के लिए वांछित भाप की आवश्यकता पूरी होगी व साथ ही 36 मैगावाट अतिरिक्त बिजली का उत्पादन भी होगा। दवा उद्योग निर्माण में प्रयोग होने वाले सक्रिय दवा घटक (ए.पी.आई.) की मांग को यह पार्क काफी हद तक पूरा करेगा। इस पार्क में स्थापित होने वाले उद्यमों की कुशल कामगारों की मांग को ध्यान में रखते हुए, परियोजना में एक ‘‘सैंटर ऑफ एक्सीलेंस’’ का भी प्रावधान किया गया है। इसके अतिरिक्त ‘‘राष्ट्रीय औषधीय शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान’’ का एक सैटेलाइट केन्द्र भी ‘‘अनुसंधान व विकास के लिए यहां स्थापित किया जाएगा’’। फार्मा जगत से जुड़े बड़े उद्यमों ने पहले ही इस प्रस्तावित ‘‘बल्क ड्रग पार्क’’ में अपना उद्यम स्थापित करने की रुचि दर्शाई है। बल्क ड्रग उत्पादों को बनाने का श्रेय अब तक ‘‘जवाहर लाल नेहरू फार्मा सिटी’’ जो कि विशाखापटनम के ‘‘परवादा’’ में स्थित है, को जाता है। यह पार्क 2143 एकड़ में फैला है व लगभग 18 – 19 वर्ष पूर्व इसने कार्य करना आरंभ किया। उस समय इसकी परियोजना लागत 315 करोड़ थी। आज यहां बायोकॉन, जी.वी.के. इण्डस्ट्रीज, स्माइलैक्स लैब्स, मैट्रिक्स लैब, ऑर्किड केमिकल, माईलैन, ग्लैण्ड फार्मा तथा शासुन जैसे नामी-गिरामी फार्मा उद्योग कार्य कर रहे हैं।

प्रारंभ में वर्ष 2020 के उतरार्ध में जब उद्योग विभाग इस परियोजना की रूपरेखा तैयार कर रहा था तो प्रारंभिक जानकारी जुटाने के लिए अधिकारियों का एक दल इस ‘‘फार्मा सिटी’’ के दौरे पर भी गया था, क्योंकि हिमाचल के लिए इस तरह का प्रोजेक्ट तैयार करना एक अभिनव प्रयोग था। विश्व में और जगह भी जहां अच्छे ‘‘बल्क ड्रग पार्क’’ कार्य कर रहे हैं, वहां से भी इस परियोजना को बनाने के लिए जानकारी जुटाई गई ताकि इस पार्क को विकसित करने में नवोन्नत तकनीक का प्रयोग किया जा सके। बहुत ही आकर्षक यूटिलिटी दरों के साथ उदार प्रोत्साहन पैकेज केन्द्र सरकार को भिजवाया गया था व 30 अगस्त 2022 को ‘‘औषध विभाग भारत सरकार’’ ने इस पार्क के लिए ‘‘सैद्धांतिक मंजूरी’’ प्रदेश के पक्ष में दी। आशा की जानी चाहिए कि केन्द्र सरकार से शीघ्र ही इसकी अंतिम मंजूरी मिलने के पश्चात एक समयबद्ध कार्य योजना के अंतर्गत इस पार्क के विकास पर द्रुत गति से काम प्रारंभ होगा। देश व विदेश की प्रतिष्ठित फार्मा कंपनियां ‘‘बल्क ड्रग’’ निर्माण हेतु यहां निवेश करेंगी तथा प्रदेश के हजाऱों कुशल युवाओं को इसके माध्यम से रोजग़ार के अवसर मिलेंगे। हिमाचल प्रदेश पहले ही अपने दवा निर्माण उद्यमों के कारण एशिया का सबसे बड़ा ‘‘फार्मा हब’’ भी कहलाता है।

संजय शर्मा

लेखक शिमला से हैं


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