कला की अप्रतिम कृति है हमारा संविधान

संविधान सभा में 299 प्रतिनिधि शामिल थे। संविधान को बनाने से पहले सभा के सदस्यों ने विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन किया। अंतत: 10 देशों के संविधान के विभिन्न तत्वों को इसमें शामिल किया गया। यह 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन में बन कर तैयार हुआ…

किसी भी राष्ट्र की कानून की सबसे पवित्र किताब होती है संविधान। संविधान न होने का अर्थ है जंगल राज। हमारे देश के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद, अथर्ववेद, मनु स्मृति, पाणिनी के अष्टाध्यायी व कौटिल्य के अर्थशास्त्र से हमें ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में सभा और समितियों के माध्यम से नियमों का निर्माण होता था व उनके अनुसार ही व्यवस्था का कार्यान्वयन होता था। मानव विकास के साथ विभिन्न राष्ट्र बने और हर राष्ट्र को संविधान की आवश्यकता थी। अमेरिका विश्व का पहला देश बना जिसने 21 जून 1788 को संविधान लागू किया। जाहिर है हमारे देश का भी एक संविधान है जो हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने की रीढ़ है। हमारा संविधान कागज़ के पन्ने या महज़ किताब नहीं, बल्कि यह हमारे देश का सबसे पवित्र ग्रंथ है जिसकी अनुपालना के लिए देश का हर नागरिक बाध्य है। हालांकि हमारा देश 15 अगस्त 1947 को आज़ाद हुआ, परंतु कहा जा सकता है कि हमें पूर्ण आजादी 26 जनवरी 1950 को हासिल हुई थी क्योंकि इसी दिन भारतीय संविधान लागू किया गया था। इस दिन भारत संप्रभुतासंपन्न अर्थात पूर्ण रूप से स्वतंत्र गणराज्य बना। देश के हर नागरिक को संविधान की जानकारी होनी चाहिए। आमतौर पर हमारे रोज़मर्रा के जीवन में संविधान का जिक़्र होता रहता है।

परंतु हम में से बहुत से लोग ऐसे होंगे जिन्हें संविधान के बारे में कई बातों का इल्म नहीं होगा। उन रोचक, ऐतिहासिक व महत्वपूर्ण बातों को जानने का प्रयास करते हैं। हमारे संविधान के प्रावधानों को सुंदर शब्दों व अद्वितीय कलाकृतियों से खूबसूरत बनाया गया है। स्मरणीय तथ्य है कि भारत सरकार अधिनियम 1935 पर आधारित हमारा संविधान विश्व के किसी भी गण्तांत्रिक देश का सबसे लंबा व लिखित संविधान है। यह अमेरिका के संविधान से 30 गुणा लंबा है। इसे संविधान सभा द्वारा तैयार किया गया जिसकी पहली बैठक 9 दिसंबर 1946 को हुई। संविधान सभा में 299 प्रतिनिधि शामिल थे। संविधान को बनाने से पहले सभा के सदस्यों ने विभिन्न देशों के संविधानों का अध्ययन किया। अंतत: 10 देशों के संविधान के विभिन्न तत्वों को इसमें शामिल किया गया। यह 2 वर्ष, 11 महीने और 18 दिन में 26 नवंबर 1949 को बन कर तैयार हुआ। इस दौरान 12 सत्र व 167 बैठकें हुईं। संविधान पर 4 नवंबर 1948 को चर्चा शुरू हुई जो 32 दिनों तक चली थी। इस अवधि के दौरान 7635 संशोधन चर्चा के लिए आए और 2473 पर विस्तार से चर्चा हुई। 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया।

26 नवंबर को संविधान दिवस मनाया जाता है। डा. भीमराव अंबेदकर को भारतीय संविधान का निर्माता कहा जाता है क्योंकि वे ड्राफ़्िटंग कॉमिटी के अध्यक्ष थे जबकि डा. राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष थे। संविधान पर 10 पृष्ठों में संविधान सभा के 284 सद्स्यों ने 24 जनवरी 1950 को हस्ताक्षर किए। इनमें 15 महिलाएं थीं। अधिकतर हस्ताक्षर अंग्रेज़ी में किए गए हैं, कुछ हिंदीं में किए गए हैं। अबुल कलाम आजाद ऐसे अकेले सदस्य थे जिन्होंने उर्दू में हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षर वाले पहले पृष्ठ पर सबसे ऊपर तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद के हस्ताक्षर हैं, उसके बाद पहले तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के हस्ताक्षर हैं और अंतिम हस्ताक्षर फिरोज़ गांधी के हैं। मौलिक रूप से हमारा संविधान 22 भागों में है, जिसमें 395 धाराएं व 8 अनुसूचियां हैं। आम तौर पर हम सोचते हैं कि हमारा संविधान टंकणित या मुद्रित होगा, जबकि ऐसा नहीं है। भारत का मौलिक संविधान हस्तलिखित है। मौलिक संविधान की एक प्रति अंग्रेज़ी में और एक प्रति अनुवादित हिंदी में है। हमारे संविधान की सुंदरता भी अद्वितीय है। यह शब्द-शिल्प व कला की बेमिसाल बानगी है। संविधान को हस्तलिखित करने का कार्य सुलेखक प्रेम बिहारी नारायण रायज़ादा को सौंपा गया। उन्होंने बहते हुए इटैलिक शैली में लिख कर संविधान के पन्नों को खूबसूरती प्रदान की है। उन्होंने होल्डर पैन निब का प्रयोग करते हुए स्याही से संविधान को शब्दित किया था।

इस कार्य को पूर्ण करने में उन्हें 6 महीने लगे थे और उन्होंने 303 नम्बर की 432 होल्डर निबों का इस्तेमाल किया, जिन्हें इंग्लैंड के बर्मिंघम से आयात किया गया था। संविधान को लिखने के लिए सुलेखक रायजादा ने 16 गुणा 22 इंच के पार्चमेंट शीट अर्थात चर्म-पत्र का इस्तेमाल किया जो एक हज़ार साल तक संरक्षित रह सकता है। किसी भी पृष्ठ पर स्याही का कोई धब्बा नहीं जैसे इसे किसी दिव्य मानव ने बनाया हो। उल्लेखनीय है कि इस कार्य के लिए रायजादा ने कोई मेहनताना नहीं लिया। उनकी मांग थी कि संविधान के प्रत्येक पन्ने पर वे अपना नाम और अंतिम पन्ने पर अपना और अपने दादाजी का नाम लिखेंगे। इस मांग को सरकार ने मान लिया। हमारे संविधान के शब्द ही खूबसूरत नहीं, बल्कि इसका हर एक पन्ना कलाकृतियों से अलंकृत है। ये कलाकृतियां भारत की विविध व गौरवमयी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक मूल्यों को दर्शाती हैं। यह कार्य तत्कालीन सरकार ने शांतिनिकेतन के नंद लाल बोस को सौंपा। नंद लाल बोस ने यह कार्य अपने कुशल शिष्य ब्यौहार राम मनोहर सिन्हा के साथ बखूबी पूर्ण किया। प्रस्तावना हमारे संविधान का मुख्य पृष्ठ है। हालांकि यह संवैधानिक प्रावधानों का हिस्सा नहीं, तथापि यह संविधान के रूप, भावना व उद्देश्य को निर्धारित करती है। तभी इसे संविधान की आत्मा भी कहा जाता है। इस पृष्ठ पर लिखे शब्दों व भावना के अनुरूप इसे सबसे सुंदर ढंग से सजाया गया है। सुंदर बॉर्डर से रेखांकित किए गए इस पृष्ठ को सिन्हा ने धैर्य व कड़ी मेहनत से गढ़ा है। इस पर कोनों में सिन्हा ने बैल, घोड़े, शेर व हाथी के चित्र गढ़े हैं। बॉर्डर को फूलों की आकृतियों से सुसज्जित किया गया है। इसी तरह संविधान के अन्य पन्ने भी शब्दशिल्प व कला के बेहतरीन नमूने हैं। रामायण, महाभारत की घटनाओं व अन्य कलाकृतियों से सजा भारत का संविधान हमारी विविधता में एकता व सद्भावना का प्रतीक है। हमारे संविधान के दोनों भाषाओं के मौलिक संस्करण देश के संसदीय पुस्तकालय में हीलियम से भरे कांच के 55 गुणा 70 गुणा 25 सेमी. माप के पारदर्शी व सीलबंद बॉक्सों में संरक्षित व सुरक्षित रखे गए हैं। इन बॉक्सों को अमेरिका की कंपनी ने केलिफोर्निया में बनाया था। प्रावधानों के साथ-साथ हमारा संविधान सुलेखन व भारत के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक धरोहरों को प्रदर्शित करती चित्रकला का भी बेमिसाल नमूना है।

जगदीश बाली

लेखक शिमला से हैं


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