लोकतंत्र का महान नायक श्याम शरण नेगी

उनके निधन पर श्रद्धांजलि देने के लिए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, उप निर्वाचन आयुक्त नितेश कुमार, हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने उनके पैतृक गांव कल्पा में जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। श्याम शरण नेगी प्रथम मतदाता के रूप में भारतीय लोकतंत्र की एक ऐतिहासिक पहचान तथा मिसाल बन चुके हैं। उनका जीवन भारतवासियों के लिए एक प्रेरणा है। प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना चाहिए कि लोकतंत्र मजबूत करने के लिए आवश्यक रूप से मतदान कर अपने राष्ट्रीय कत्र्तव्य का पालन करें। यही श्याम शरण नेगी के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मतदान हमारा अधिकार है, वहीं पर राष्ट्रीय कत्र्तव्य भी है। कई लोग मतदान के प्रति उदासीन रहते हैं। उन्हें श्याम शरण नेगी से सीख लेकर मतदान अवश्य करना चाहिए। सरकार के निर्माण में हर व्यक्ति की शत-प्रतिशत भागीदारी जरूरी है…

भारतवर्ष विश्व का महान तथा सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस देश की प्रतिष्ठा, आन-बान-शान के लिए अनगिनत वीरों, योद्धाओं, स्वतंत्रता सेनानियों, वीर सैनिकों तथा महान नेताओं ने अपनी कुर्बानी दी है। इस देश की रक्षा के लिए अनेक वीर शहीदों ने हंसते-हंसते मौत को गले लगा लिया। अनेकों वीरगाथाएं इसकी गवाही देती हैं। कई शताब्दियों से अनेकों हमलावरों, आक्रमकारियों, मुगलों तथा अंग्रजों की लूट तथा ग़ुलामी, दमन तथा हमलों की अनगिनत यातनाएं सहने वाले इस देश ने 15 अगस्त 1947 को अपनी नई सुबह देखी जब ऐतिहासिक एवं महान स्वतंत्रता संघर्ष के पश्चात भारतवर्ष परतंत्रता तथा गुलामी की बेडिय़ों से मुक्त हुआ। भारतवर्ष में लोकतंत्र बहाल हुआ। देश के प्रबुद्ध विद्वानों, कानूनविदों, राजनेताओं, समाज सुधारकों, विचारकों ने अपना संविधान बनाया। लोकतांत्रिक प्रणाली के अंतर्गत देश के सभी व्यक्तियों की भागीदारी सुनिश्चित की गई। भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक को मतदान का अधिकार प्रदान किया गया। इसी मतदान से लोकतंत्र सशक्त होता है। स्वतंत्र भारतवर्ष के प्रथम मतदाता श्याम शरण नेगी तत्कालीन ब्रिटिश राज में गांव कल्पा, किन्नौर बुशहर रियासत से सम्बन्ध रखते थे। हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे से राज्य के लिए निश्चित रूप से बहुत बड़ी बात है कि भारतीय लोकतंत्र का प्रथम मतदाता अनुसूचित जनजातीय क्षेत्र किन्नौर से सम्बन्ध रखता है। स्वतन्त्र भारत के प्रथम मतदाता के रूप में इतिहास के पन्नों में दर्ज हो चुके इस महान लोकतन्त्र के नायक का जन्म एक जुलाई सन् 1917 में हुआ।

श्याम शरण नेगी कल्पा में एक प्राथमिक शिक्षक थे। 1940 से 1946 तक नेगी जी ने अपनी सेवाएं वन विभाग में वन रक्षक के रूप में प्रदान की। श्याम शरण नेगी ने 1951 में भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए अपना पहला मतदान किया था। हालांकि देश का अधिकांश मतदान 12 फरवरी सन् 1952 को हुआ था, लेकिन हिमाचल प्रदेश में विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों तथा अत्यधिक बर्फबारी के कारण इस जनजातीय क्षेत्र में यह चुनाव 25 अक्तूबर 1951 को ही सम्पन्न करवाया गया था। उस समय इक्कीस वर्ष की आयु पूर्ण करने वालों को ही मतदान का अधिकार प्राप्त था। शिक्षक होने के चलते श्याम शरण नेगी की पहला चुनाव सम्पन्न करवाने की ड्यूटी लगी। सुबह सात बजे से मतदान प्रारंभ होना था। नेगी लोकतन्त्र के प्रथम पर्व में अपना पहला मत देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सुबह वोट देकर चुनाव ड्यूटी पर जाने की अनुमति मांगी। नेगी के निवेदन पर उन्हें मतदान की अनुमति मिली। श्याम शरण नेगी इस मतदान केंद्र पर सुबह छह बजे ही पहुंच गए तथा अपना पहला मत 25 अक्तूबर 1951 को सुबह 6.15 बजे शोनथोंग मतदान केंद्र पर डाला। तत्पश्चात नेगी चुनाव सम्पन्न करवाने के लिए मतदान दल के सदस्यों के साथ दूसरे मतदान केंद्र के लिए रवाना हुए। श्याम शरण नेगी ने अपना पहला मतदान 33 वर्ष की आयु में किया था तथा अपनी मृत्यु तक सभी पंचायत, विधानसभा तथा लोकसभा के चुनावों में अपना मतदान किया। 34वीं बार मतदान करने वाले नेगी ने अपना अन्तिम मत 2 नवम्बर, 2022 को डाक मत पत्र के माध्यम से डाला।

श्याम शरण नेगी ने चुनाव से पूर्व मतदान, बैलेट पेपर से ईवीएम तथा मतदान से पूर्व डाक मतदान प्रक्रिया के परिवर्तन को भी अपने जीवन काल में अनुभूत किया। उन्होंने सोलह बार लोकसभा तथा चौदह बार विधानसभा के लिए अपने मत का प्रयोग किया। नेगी ने अपने जीवन का अन्तिम मत हिमाचल प्रदेश विधानसभा के दस दिन पूर्व तथा अपनी मृत्यु से साठ घण्टे पूर्व डाक मतपत्र की सुविधा का प्रयोग करते हुए डाला। श्याम शरण नेगी सन् 2014 से हिमाचल प्रदेश निर्वाचन आयोग के ब्रांड एंबेसेडर भी थे। भारतीय लोकतंत्र के इस महान नायक का चार नवम्बर को 106 वर्ष की आयु में निधन हो गया। देश के प्रधानमंत्री ने उनके निधन पर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि मृत्यु से पूर्व भी उनका पोस्ट बैलेट से मतदान करना प्रत्येक नागरिक तथा मतदाता को राष्ट्रीय कत्र्तव्य निर्वहन के लिए प्रेरित करता है। उनके निधन पर श्रद्धांजलि देने के लिए देश के मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, उप निर्वाचन आयुक्त नितेश कुमार, हिमाचल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनीष गर्ग ने उनके पैतृक गांव कल्पा में जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की। श्याम शरण नेगी प्रथम मतदाता के रूप में भारतीय लोकतंत्र की एक ऐतिहासिक पहचान तथा मिसाल बन चुके हैं। उनका जीवन भारतवासियों के लिए एक प्रेरणा है। प्रत्येक नागरिक को यह संकल्प लेना चाहिए कि लोकतंत्र मजबूत करने के लिए आवश्यक रूप से मतदान कर अपने राष्ट्रीय कत्र्तव्य का पालन करें। यही श्याम शरण नेगी के लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मतदान हमारा अधिकार है, वहीं पर राष्ट्रीय कत्र्तव्य भी है। कई लोग मतदान के प्रति उदासीन रहते हैं। उन्हें श्याम शरण नेगी से सीख लेकर मतदान अवश्य करना चाहिए। सरकार के निर्माण में हर व्यक्ति की शत-प्रतिशत भागीदारी जरूरी है।

प्रो. सुरेश शर्मा

लेखक घुमारवीं से हैं


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