विवाह पंचमी : सीता जी से राम जी के विवाह की तिथि

By: Nov 19th, 2022 12:30 am

धर्म ग्रंथों के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी को भगवान राम ने माता सीता के साथ विवाह किया था। अत: इस तिथि को श्रीराम विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाता है। इसको विवाह पंचमी भी कहते हैं। भगवान राम चेतना के प्रतीक हैं और माता सीता प्रकृति शक्ति की, अत: चेतना और प्रकृति का मिलन होने से यह दिन काफी महत्त्वपूर्ण हो जाता है। इस बार यह पर्व 28 नवंबर को है। इस उत्सव को सबसे अधिक नेपाल में मनाया जाता है क्योंकि माता सीता जनक की पुत्री थीं, जो कि मिथिला नरेश थे और मिथिला नेपाल का हिस्सा है। इस अवसर पर हम आपको बता रहे हैं कि श्रीरामचरितमानस के अनुसार श्रीराम ने सीता को पहली बार कहां और कब देखा था तथा श्रीराम-सीता विवाह का संपूर्ण प्रसंग, जो इस प्रकार है…

यहां देखा था श्रीराम ने पहली बार सीता को

जब श्रीराम व लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ जनकपुरी पहुंचे तो राजा जनक सभी को आदरपूर्वक अपने साथ महल लेकर आए। अगले दिन सुबह जब श्रीराम और लक्ष्मण फूल लेने बागीचे में गए तो वहीं उन्होंने देवी सीता को देखा। अगले दिन राजा जनक के बुलावे पर ऋषि विश्वामित्र, श्रीराम और लक्ष्मण सीता स्वयंवर में गए।

जब श्रीराम पहुंचे सीता स्वयंवर में…

जब श्रीराम सीता स्वयंवर में पहुंचे तो जो राक्षस राजा का वेष बनाकर वहां आए थे, उन्हें श्रीराम के रूप में अपना काल नजर आने लगा। इसके बाद शर्त के अनुसार वहां उपस्थित सभी राजाओं ने शिव धनुष उठाने का प्रयास किया, लेकिन वे सफल नहीं हो पाए।

जब श्रीराम ने तोड़ा शिव धनुष…

अंत में श्रीराम शिव धनुष को उठाने गए। श्रीराम ने बड़ी फुर्ती से धनुष को उठा लिया और प्रत्यंचा बांधते समय वह टूट गया। सीता ने वरमाला श्रीराम के गले में डाल दी। उसी समय वहां परशुराम आ गए। उन्होंने जब शिवजी का धनुष टूटा देखा तो वे बहुत क्रोधित हो गए और राजा जनक से पूछा कि ये किसने किया है, मगर भय के कारण राजा जनक कुछ बोल नहीं पाए।

ऐसे दूर हुआ परशुराम के मन का संदेह

परशुराम ने जब श्रीराम के रूप में भगवान विष्णु की छवि देखी तो उन्होंने अपना विष्णु धनुष श्रीराम को देकर उसे खींचने के लिए कहा। तभी परशुराम ने देखा कि वह धनुष स्वयं श्रीराम के हाथों में चला गया। यह देख कर उनके मन का संदेह दूर हो गया और वे तप के लिए वन में चले गए।

ब्रह्माजी ने लिखी थी विवाह की लग्न-पत्रिका

सूचना मिलते ही राजा दशरथ भरत, शत्रुघ्न व अपने मंत्रियों के साथ जनकपुरी आ गए। ग्रह, तिथि, नक्षत्र योग आदि देखकर ब्रह्माजी ने उस पर विचार किया और वह लग्न-पत्रिका नारदजी के हाथों राजा जनक को पहुंचाई। शुभ मुहूर्त में श्रीराम की बारात आ गई। श्रीराम व सीता का विवाह संपन्न होने पर राजा जनक और दशरथ बहुत प्रसन्न हुए।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App