राम नाम का सहारा

By: Dec 3rd, 2022 12:20 am

श्रीराम शर्मा

मनुष्य की दुर्बलता का अनुभव करके हमारे परम कारुणिक साधु संतों ने उद्धार के बहुत से रास्ते ढूंढ़े। अंत में उन्हें भगवान का नाम मिला। इससे उन्होंने गाया कि राम नाम ही हमारा आधार है। सब तरह से हारे हुए मनुष्य के लिए बस राम नाम ही एक तारक मंत्र है। राम नाम यानी श्रद्धा ईश्वर की मंगलमयता पर श्रद्धा। युक्ति, बुद्धि, कर्म, पुरुषार्थ, सब सत्य हैं, परंतु अंत में तो राम नाम ही हमारा आधार है। लेकिन आजकल का जमाना तो बुद्धि का जमाना कहलाता है। इस तार्किक युग में श्रद्धा का नाम ही कैसे लिया जाए? सच है कि दुनिया में अबुद्धि और अंधश्रद्धा का साम्राज्य छाया है। तर्क, युक्ति और बुद्धि की मदद के बिना एक कदम भी नहीं चला जा सकता। बुद्धि की लकड़ी हाथ में लिए बिना छुटकारा ही नहीं। परंतु बुद्धि अपंगु है। जीवन यात्रा में आखिरी मुकाम तक बुद्धि साथ नहीं देती। बुद्धि में इतनी शक्ति होती, तो पंडित लोग कभी के मोक्ष धाम तक पहुंच चुके होते। जो चीज बुद्धि की कसौटी पर खरी न उतरे, उसे फेंक देना चाहिए। बुद्धि जैसी स्थूल वस्तु के सामने भी जो टिक सके उसकी कीमत ही क्या है? परंतु जहां बुद्धि अपना सर्वस्व खर्च करके थक जाती हैं और कहती है ‘न एतदशकं विज्ञातुं यदेतद्यक्षमिति’।

वहां श्रद्धा क्षेत्र शुरू हो जाता है। बुद्धि की मदद से कायर भी मुसाफिरी के लिए निकल पड़ता है। परंतु जहां बुद्धि रुक जाती है, वहां आगे पैर कैसे रखा जाए? जो वीर होता है, वही श्रद्धा के पीछे-पीछे अज्ञान की अंधेरी गुफा में प्रवेश करके उस पुराणह्वरेष्ठ को प्राप्त कर सकता है। बालक की तरह मनुष्य अनुभव की बातें करता है। माना कि अनुभव कीमती वस्तु है, परंतु मनुष्य का अनुभव है ही कितना? क्या मनुष्य भूत भविष्य का पार पा चुका है? आत्मा की शक्ति अनंत है। कुदरत का उत्साह भी अथाह है। केवल अनुभव की पूंजी पर जीवन का जहाज भविष्य में नहीं चलाया जा सकता।

प्रेरणा और प्राचीन खोज हमें जहां ले जाए वहां जाने की कला हमें सीखनी चाहिए। जल जाए वह अनुभव, धूल पड़े उस अनुभव पर जो हमारी दृष्टि के सामने से श्रद्धा को हटा देता है। दुनिया यदि आज तक बढ़ सकी है, तो वह अनुभव या बुद्धि के आधार पर नहीं, परंतु श्रद्धा के आधार पर ही। इस श्रद्धा का माथा जब तक खाली नहीं होता, जब तक यात्रा में पैर आगे पड़ते ही रहेंगे, तब तक हमारी दृष्टि अगला रास्ता देख सकेगी और तब तक दिन के अंत होने पर आने वाली रात्रि की तरह बार-बार आने वाली निराशा की थकान अपने आप ही उतरती जाएगी। इस श्रद्धा को जाग्रत रखने का, इस श्रद्धा की आग पर से राख उड़ाकर इसे हमेशा प्रदीप्त रखने का, एकमात्र उपाय है राम नाम। राम नाम ही हमारे जीवन का साथी और हमारा हाथ पकडऩे वाला परम गुरु है। जब चारों ओर से इनसान निराश और हताश हो जाता है, तो एक राम नाम का सहारा ही उसकी डूबती नाव को पार लगा सकता है। इसलिए बुद्धि की बजाय अपने अंतर्मन की गहराइयों से इस राम नाम के आधार का अनुभव करें।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App