एसवाईएल पर बैठक बेनतीजा; केंद्रीय जल संसाधन मंत्री, हरियाणा-पंजाब के मुख्यमंत्रियों की नहीं बनी सहमति
दिल्ली में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री, हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की विस्तृत चर्चा में नहीं बनी सहमति
चंडीगढ़, ४ जनवरी (मुकेश संगर)
सतलुज-यमुना लिंक नहर (एसवाईएल) के मुद्दे पर हरियाणा और पंजाब के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई। केंद्रीय जल संसाधन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान के साथ दिल्ली में मीटिंग की। बैठक के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि इस बैठक में कोई सहमति नहीं बनी है। उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा है कि एसवाईएल का निर्माण होना चाहिए, लेकिन पंजाब के मुख्यमंत्री, अधिकारी इस विषय को एजेंडे पर ही लाने को तैयार नहीं है। वे पानी नहीं होने की बात कह रहे हैं और पानी के बंटवारे पर बात करने को कह रहे हैं, जबकि पानी बंटवारे के लिए अलग से ट्रिब्यूनल बनाया गया है। ट्रिब्यूनल के हिसाब से जो सिफारिश होगी उस हिसाब से पानी बांट लेंगे। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी स्वीकार नहीं कर रही है, जिसमें 2004 में पंजाब सरकार द्वारा लाए गए एक्ट को निरस्त कर दिया गया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री का कहना है कि 2004 का एक्ट अभी भी मौजूद है, जो कि पूरी तरह से असंवैधानिक है। मुख्यमंत्री ने कहा कि एसवाईएल नहर बननी चाहिए और वो इस बारे में सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाएंगे। सुप्रीम कोर्ट को बताया जाएगा कि पंजाब एसवाईएल नहर के लिए तैयार नहीं है। इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट जो निर्णय देगा वो हमें स्वीकार होगा। मनोहर लाल ने स्पष्ट किया कि एसवाईएल हरियाणा वासियों का हक है और उन्हें पूरी आशा है की उन्हें उनका यह हक अवश्य मिलेगा। हरियाणा के लिए एसवाईएल का पानी अत्यंत आवश्यक है। अब इस मामले में एक टाइम लाइन तय होना जरूरी हैए ताकि प्रदेश के किसानों को पानी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके। सर्वविदित है कि सर्वोच्च न्यायालय के दो फैसलों के बावजूद पंजाब ने एसवाईएल का निर्माण कार्य पूरा नहीं किया है। सर्वोच्च न्यायालय के फैसलों को लागू करने की बजाय पंजाब ने वर्ष 2004 में समझौते निरस्तीकरण अधिनियम बनाकर इनके क्रियान्वयन में रोड़ा अटकाने का प्रयास किया। पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के प्रावधान के अंतर्गत भारत सरकार के आदेश दिनांक 24-3-1976 के अनुसार हरियाणा को रावी-ब्यास के फालतू पानी में से 3.5 एमएएफ जल का आबंटन किया गया था।
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