कर्मचारी महासंघ के चुनाव को हलचल तेज, चेहरे बदलने की परंपरा खत्म कर लोकतांत्रिक तरीके से इलेक्शन की पैरवी

By: Jan 3rd, 2023 12:06 am

चेहरे बदलने की परंपरा खत्म कर लोकतांत्रिक तरीके से इलेक्शन की पैरवी

विशेष संवाददाता — शिमला

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ में लोकतांत्रिक तरीके से महासंघ का गठन करने या सरकार के करीबियों को सत्ता देने के बीच मची छटपटाहट में तीसरे दल की एंट्री हो गई है। लोकतांत्रिक तरीके से चुनाव की पैरवी करने वाले संगठन ने एनजीओ पर दावा ठोंक दिया है। साथ ही यह भी जाहिर किया है कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही चेहरे बदलने की परंपरा को खत्म करना होगा। जिन कर्मचारी नेताओं ने गत पांच साल तक विपक्ष की भूमिका निभाई है, उन्हें अब अवसर दिया जाना चाहिए। फिलहाल, अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के अब तीन हिस्से होते नजर आ रहे हैं। अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ इस बार सीधी तकरार में उतरा है। सेवाएं महासंघ ने मुख्यमंत्री से मुलाकात की बात कही है, जबकि इससे पूर्व महासंघ इस बारे में ही मुख्य सचिव से भी मुलाकात कर चुका है। सेवाएं महासंघ ने चुनाव से पहले पूर्व में गठित कार्यकारिणी से हिसाब मांगा है।

सदस्यता शुल्क को लेकर कई तरह के सवाल भी उठाए हैं। साथ ही चुनाव के माध्यम से महासंघ की नई कार्यकारिणी को गठित करने की बात कही है। अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष विनोद कुमार ने कहा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात कर वह कर्मचारियों का पक्ष रखेंगे। साथ ही कर्मचारियों को लोकतांत्रिक तरीके से अपना नेता चुनने का अधिकार देने की बात भी करेंगे। पूर्व सरकार के कार्यकाल में उन्होंने अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ के चुनाव लड़े और जीते, लेकिन पूर्व भाजपा सरकार ने अपने चेहतों को सत्ता सौंप दी। इससे कर्मचारियों और सरकार के बीच गतिरोध चलता रहा। इस बार इस तरह की हालत न हो, इसे देखते हुए पहले ही कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव से मुलाकात कर उन्होंने यह सभी बातें सरकार के ध्यान में पहले ही ला दी हैं। अब मुख्यमंत्री से मुलाकात कर दोबारा इस मांग को पुख्ता किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सत्ता परिवर्तन के साथ ही चेहरे बदलने की परंपरा को इस बार खत्म किया जाएगा।

बोर्ड-निगमों पर होगा मंथन

अराजपत्रित कर्मचारी महासंघ में इस बार बोर्ड और निगम के कर्मचारियों को भी शामिल किया जा सकता है। निगम और बोर्ड के कर्मचारी एनजीओ में अहम पदों से नवाजे जा सकते हैं। अराजपत्रित कर्मचारी सेवाएं महासंघ ने इसका इशारा किया है। उन्होंने कहा कि एनजीओ फेडरेशन में अब तक निगम और बोर्ड के लिए नो एंट्री थी। अब उन्हें भी मुख्य धारा में लाने की कोशिश की जाएगी। जो कर्मचारी संगठनों में मची घमासान से बंटे हुए नजर आ रहे हैं, उन्हें भी एक छत के नीचे लाने का प्रयास किया जाएगा।


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