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Seasonal Affective Disorder: सीजनल इफेक्टिव डिसआर्डर की समस्या, जानें इसकी वजह

By: Jan 21st, 2023 9:40 pm

क्या आप सैड यानी सीजनल इफेक्टिव डिसआर्डर के बारे में जानते हैं। जिसे मूड डिसआर्डर के रूप में भी जाना जाता है। जो हर साल एक विशिष्ट समय पर यानी आमतौर पर सर्दियों में ही होता है। ये मौसम में आए बदलाव के कारण ही होता है। इसमें प्रभावित व्यक्ति डिप्रेशन, उदासी, नेगेटिव विचारों से घिरना, चिड़चिड़ापन, अत्यधिक थकान, शुगर क्रेविंग्स, रोजमर्रा के कार्यों में दिलचस्पी न लेना, लोगों से बेवजह खुद ब खुद दूरी बनाने लगता है। जिसके कारण वह अंदर ही अंदर इतना परेशान होने लगता है कि उसे समझ ही नहीं आता कि उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है। ऐसे में इस परेशानी की वजह को जानकर इससे समय रहते बाहर निकलना बहुत जरूरी होता है ताकि व्यक्ति सामान्य जीवन जी सके, तो आइए जानते हैं कैसे।

हर समय उदास रहना

अकसर लोग मौसम में आए बदलाव के बाद जीवन में खुशी का अनुभव करने लगते हैं। सर्दी, गर्मी व मानसून सीजन आते ही वे खुशी से झूम उठते हैं। क्योंकि नया मौसम शरीर में हैप्पी होर्मोंस को बढ़ावा देने का काम जो करता है। लेकिन खासकर सर्दियों में जब शरीर को सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है तो उन्हें अपनी जिंदगी में अंधेरा, निराशा लगने लगती है। क्योंकि हमारी रिदम का काफी हद तक कंट्रोल सूर्य की रोशनी से जुड़ा होता है। जो खुशी व उदासी जैसे भावों के लिए जिम्मेदार माना जाता है और इसकी कमी से व्यक्ति खुद को हमेशा उदास सा फील करने लगता है।

नेगेटिव सोचना

शरीर में सारा खेल हार्मोंस का ही होता है। जब इन होर्मोंस में किसी वजह से गड़बड़ी होनी शुरू हो जाती है, तो शरीर प्रॉपर ढंग से कार्य करने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे ही जब शरीर को सूर्य की रोशनी नहीं मिल पाती है, तो शरीर में हैप्पी हार्मोंस के स्तर में कमी आने लगती है, जो न तो हमें खुश रहने देती है और फिर इसकी वजह से ही हम हर चीज को नेगेटिव नजरिए से देखना शुरू कर देते हैं, जो हमें परेशान करने का काम करता है।

हर काम से मन हटना

जिस काम को अभी तक हम पूरे मन व लगन से करते थे, लेकिन धीरे-धीरे उन चीजों से भी इंटरेस्ट हटना शुरू हो जाता है। ऐसा अकसर शरीर को पर्याप्त रोशनी नहीं मिलने की वजह से होता है। क्योंकि शरीर में विटामिन डी की कमी हमारी हड्डियों को कमजोर बनाने के साथ हमारे एनर्जी लेवल में भी कमी लाती है, जिसकी वजह से हमारा काम से मन हटने लगता है।

शुगर के्रविंग

जब शरीर को प्रॉपर सूरज की रोशनी नहीं मिल पाती है, तो उससे मेलाटोनिन का लेवल बढ़ता है, जो हमें स्लीपी फील करवाने का काम करता है, तो वहीं सेरोटोनिन के लेवल में गिरावट आने से हमारे मूड पर प्रभाव पडऩे के साथ ये हमारी भूख को बढ़ाने का काम करता है और ऐसे समय में हम हाई काब्र्स फूड को ही खाने की इच्छा रखते हैं। जो हमारे वजन व हमारी हैल्थ को भी बिगाडऩे का काम करता है। जितना संभव हो सके नेचुरल लाइट के संपर्क में रहें।


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