ओपीएस के साथ जिम्मेवारियां भी बढ़ी

प्रदेश सरकार को बाहरी निवेशकों को बेहतरीन सुविधाएं दे करके इनके दोहन की एक पारदर्शी तथा समयबद्ध नीति लानी होगी। यदि प्रदेश की आर्थिक स्थिति सरकार के नियंत्रण में आ गई तो निश्चित तौर पर प्रदेश की आम जनता का भविष्य भी सुनहरे मार्ग को प्रशस्त करेगा….

13 जनवरी 2022 को लोहड़ी के पावन अवसर पर हिमाचल प्रदेश कांग्रेस पार्टी की सरकार ने अपनी प्रथम कैबिनेट की मीटिंग में हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों के लिए बहुचर्चित व लंबित मांग पुरानी पेंशन को बहाल करके प्रदेश के करीब 126000 कर्मचारियों के बुढ़ापे को सहारा देकर एक नया इतिहास रचा है। कांग्रेस पार्टी ने गत वर्ष विधानसभा चुनावों में कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग प्रमुखता से उठाई थी। प्रथम कैबिनेट की मीटिंग में इसकी बहाली करके अन्य राज्य के कर्मचारियों के लिए भी एक उदाहरण पेश किया है। वर्तमान हिमाचल प्रदेश सरकार पर करीब 75000 करोड़ रुपए का कर्ज है। इसके अलावा कर्मचारियों का एरियर, भत्ते इत्यादि अनेकों देनदारी अभी भी लंबित पड़ी है जिस पर करीब 11000 करोड़ रुपए का खर्चा होना प्रस्तावित है। ऐसी वितरित आर्थिक परिस्थितियों में भी श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार ने अपने प्रदेश के कर्मचारियों के आने वाले भविष्य को बेहतरीन, सुखद व समृद्ध बनाने का ऐतिहासिक निर्णय धरातल पर उतारा है। जिस प्रदेश या घर का मुखिया अपने वायदों तथा जिम्मेदारियों को अपनी कार्यशैली में भी अमल में लाए तो उस प्रदेश तथा घर की खुशहाली, समृद्धि व सुखद भविष्य को कोई नकार नहीं सकता। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री सुखविंदर सिंह सुक्खू एक आम परिवार की पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं। ताउम्र कड़ा संघर्ष करने के बाद आज प्रदेश के सर्वोच्च पद पर विराजमान हुए हैं। पिछले 1 महीने के कार्यकाल में इन्होंने बड़ी स्पष्टतता, कर्तव्यनिष्ठा, ईमानदारी तथा प्रदेश की जनता के हितों में काम करने का जो प्रण लिया है, वह आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश के इतिहास में सुनहरे शब्दों में उद्धृत होगा।

वर्तमान समय में सरकारी नौकरी प्राप्त करना काफी कठिन हो गया है। प्रदेश में 10 लाख के करीब बेरोजगार सरकारी नौकरी की कतार में खड़े हैं। हिमाचल प्रदेश में छोटी से छोटी नौकरी के लिए भी हजारों की संख्या में बेरोजगार आवेदन करते हैं। उसके बाद अनुबंध पर अपनी सेवाएं देते हैं। तदोपरांत जब वे नियमित होते हैं तो उसके उपरांत होने 2 वर्ष का प्रोबेशनरी पीरियड भी बिताना पड़ता है जिसमें उन्हें पुराना वेतनमान ही दिया जाता है। इन सभी परिस्थितियों से गुजरने के बाद एक कर्मचारी अपनी सारी जिंदगी सरकार के आदेशों के अनुरूप निर्वहन करता है। ऐसे में जब भी कर्मचारी रिटायर्ड होता है तो उसे एक सुखद व समृद्ध भविष्य मिले, यह उसके नियोक्ता का परम कर्तव्य बन जाता है। लेकिन वर्ष 2003 से हिमाचल प्रदेश में नई पेंशन स्कीम आने से कर्मचारियों की रिटायरमेंट की जिंदगी दयनीय बन चुकी थी। कर्मचारियों को पेंशन के नाम पर महज चंद रुपए ही मिलते थे, जिससे एक कर्मचारी को अपने घर के खर्चे पूरे करने के भी लाले पड़ गए थे। ऐसी परिस्थिति में सभी कर्मचारियों ने एकजुटता के साथ पुरानी पेंशन की बहाली को लेकर आंदोलन का रास्ता अख्तियार किया और अनेकों उतार-चढ़ाव के फलस्वरूप अंतत: प्रदेश के कर्मचारियों को पेंशन बहाली का तोहफा प्रदेश सरकार की तरफ से नसीब हुआ। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में कांग्रेस पार्टी को 68 सीटों में से 40 सीटों पर जीत दर्ज हुई थी। कांग्रेस पार्टी को सत्ता 0.90 फीसदी अंतराल से प्राप्त हुई थी। भारतीय जनता पार्टी को 43 फीसदी मत तथा कांग्रेस पार्टी को 43.90 फीसदी मत प्राप्त हुए थे।

कांग्रेस पार्टी को सत्तासीन करने के पीछे प्रदेश के कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग कांग्रेस के लिए संजीवनी बूटी का काम कर गई थी। यही कारण है कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने अपनी पहली ही कैबिनेट की मीटिंग में कर्मचारियों की बड़ी मांग को बड़ी सजगता के साथ सुलझा कर प्रदेश के कर्मचारियों को प्रदेश के बेहतरीन भविष्य के लिए काम करने के लिए प्रेरित किया है। हिमाचल प्रदेश सरकार का यह निर्णय अन्य राज्यों की सरकारों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बनेगा क्योंकि हिमाचल से ज्यादा समृद्ध कई अन्य राज्य हैं, जो कि अपने कर्मचारियों के लिए पेंशन दे सकते हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार के इस निर्णय से कर्मचारी पूर्ण तन्मयता, विश्वसनीयता, ईमानदारी तथा कर्तव्यनिष्ठता से अपने कार्य को करने के लिए सुदृढ़ होंगे। वर्तमान प्रदेश सरकार द्वारा व्यवस्था परिवर्तन करने का जो नारा बुलंद किया है उसके पीछे प्रदेश के कर्मचारी एक बड़ी ताकत बन सकते हैं। प्रदेश का कर्मचारी पूरी लगन, मेहनत तथा ईमानदारी के साथ सरकार की योजनाओं तथा कार्यों को आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए लग जाए तो निश्चित तौर पर प्रदेश सरकार आने वाले समय में नए आयाम स्थापित कर सकती है। अब हिमाचल प्रदेश सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल करके अपनी जिम्मेदारी को निभा दिया है। अब कर्मचारियों को भी प्रदेश के आम जनमानस के लिए कार्य करने के लिए पूर्ण ईमानदारी के साथ जुट जाना होगा।

वर्तमान सरकार के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती आर्थिक संसाधनों की व्यवस्था करना होगा। सरकार के बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा कर्मचारियों के वेतन, भत्ते तथा पेंशन पर चला जाएगा। ऐसे में समाज के अन्य वर्गों के कल्याण के लिए भी सरकार को राज्य में उपलब्ध संसाधनों के बेहतरीन दोहन पर ध्यान केंद्रित करना होगा। जिसमें प्रदेश का कर्मचारी तथा अधिकारी वर्ग की भूमिका भी अग्रणीय होगी। प्रदेश सरकार को पर्यटन, कृषि, पन विद्युत, सौर ऊर्जा तथा औद्योगिकरण से प्रदेश की आर्थिकी को सुधारना होगा। जिसमें बाहरी निवेशकों की अहम भूमिका होगी। प्रदेश में अनेकों ऐसे डेस्टिनेशन उपलब्ध हैं, यदि उनका उत्थान बाहरी निवेशकों के माध्यम से किया जाए तो भी प्रदेश सरकार की आर्थिक स्थिति को सुधारा जा सकता है। इसके अलावा प्रदेश का शांत व स्वास्थ्यवर्धक वातावरण, गगनचुंबी पहाडिय़ां, हसीन वादियां, स्वच्छ नीर तथा प्राकृतिक कृषि के लिए समृद्ध भूमि इत्यादि संसाधन बाहरी निवेशकों के लिए आकर्षण का केंद्र सदैव बने हुए हैं। प्रदेश सरकार को बाहरी निवेशकों को बेहतरीन सुविधाएं दे करके इनके दोहन की एक पारदर्शी तथा समयबद्ध नीति लानी होगी। यदि प्रदेश की आर्थिक स्थिति सरकार के नियंत्रण में आ गई तो निश्चित तौर पर प्रदेश की आम जनता का भविष्य भी सुनहरे मार्ग को प्रशस्त करेगा।

कर्म सिंह ठाकुर

लेखक सुंदरनगर से है


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