सौगातों और सुधारों का बजट

इस बजट की सफलता के लिए बजट का लक्ष्य के अनुरूप समुचित क्रियान्वयन और राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण अहम जरूरत होंगे…

वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2023-24 का बजट एक ऐसा दूरदर्शी और रणनीतिक बजट है जिसके सिक्के पर एक ओर आर्थिक सौगातें दिखाई दे रही हैं, वहीं दूसरी ओर विकास दर बढ़ाने वाली रणनीति है। इसी आधार पर वित्तमंत्री ने वर्ष 2023-24 के लिए 6 फीसदी से अधिक की विकास दर का अनुमान जताया जो कि दुनिया की सर्वाधिक विकास दर होगी। साथ ही वित्तमंत्री ने राजकोषीय प्रबंधन का बेहतर रोडमैप प्रस्तुत करते हुए वित्तीय घाटे को जीडीपी के 5.9 फीसदी तक रखने का आदर्श लक्ष्य निर्धारित किया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि अमृतकाल का यह पहला बजट चुनौतीपूर्ण वैश्विक आर्थिक हालत में देश ही नहीं दुनियाभर में इसलिए रेखांकित हो रहा है क्योंकि इस बजट से एक ओर भारत खाद्यान्न व ऊर्जा आपूर्ति के वैश्विक मददगार देश के रूप में दुनिया में नई भूमिका के लिए आगे बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर दुनिया की पांचवीं अर्थव्यवस्था के रूप में रेखांकित हो रहा भारत 2026-27 तक पांच ट्रिलियन डॉलर के साथ-साथ विकसित अर्थव्यवस्था वाला देश बनने की डगर पर आगे बढ़ता हुआ दिखाई दे सकेगा। नि:संदेह वर्ष 2023-24 का बजट प्रस्तुत करते हुए जहां वित्तमंत्री की एक मुठ्ठी आम आदमी की आकांक्षाओं को पूरा करने में सौगातों की झड़ी लगाने के लिए खुली, वहीं दूसरी मुठ्ठी आर्थिक सुधारों संबंधी प्रावधानों के लिए खुलते हुए दिखाई दी।

नए बजट से रोजगार वृद्धि, कृषि और किसान हितों, बुनियादी ढांचे की मजबूती, उद्योग-कारोबार की गतिशीलता, कौशल विकास, रोजगार के नए अवसर, महंगाई पर नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवाओं, पर्यावरण सुधार, डिजिटल शिक्षा, ग्रीन एनर्जी पर खर्च बढ़ाने के अलावा छोटे करदाताओं, मध्यम वर्ग, महिला वर्ग, युवा वर्ग और वरिष्ठ नागरिकों की उम्मीदों को पूरा करने के साथ-साथ बेहतर विकास दर के लक्ष्य के लिए कदम बढ़ाए गए हैं। आगामी वर्ष के बजट के माध्यम से अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों को गतिशील किए जाने के ऐसे कई प्रावधानों की लम्बी श्रृंखला है जिनसे वर्ष 2023-24 में निर्यात और विदेशी निवेश में वृद्धि, बाजारों में उपभोक्ता मांग में तेजी, विनिर्माण और सर्विस क्षेत्र में बड़ा सुधार, शेयर बाजार की ऊंचाई, बेहतर राजकोषीय नतीजे, जीएसटी संग्रह में उछाल का परिदृश्य निर्मित होते हुए दिखाई दे सकेगा। निश्चित रूप से नए बजट में रोजगार बढ़ाने के मद्देनजर वित्तमंत्री बुनियादी ढांचे पर अब तक के रिकॉर्ड पूंजीगत व्यय की रणनीति पर आगे बढ़ी हैं। चालू वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपए पूंजीगत व्यय का प्रावधान है। इस बार वित्तमंत्री ने वर्ष 2023-24 के लिए पूंजीगत व्यय को 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के स्तर पर पहुंचाया है। चूंकि दुनियाभर में भारत मैन्युफैक्चरिंग हब बनकर उभरने की पूरी संभावनाएं रखता है, अतएव इस परिप्रेक्ष्य में वित्तमंत्री ने मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के लिए नए बजट में बड़े ऐलान किए हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत नए बजट में प्रोडक्शन लिंक्ड स्कीम (पीएलआई) योजना को गतिशील करने के लिए आवंटन बढ़ाया गया है। आगामी वर्ष 2023-24 के बजट का चमकीला पक्ष नई पीढ़ी को नए तकनीकी दौर की जरूरतों से सुसज्जित करने का भी है। वित्तमंत्री ने नए बजट के तहत युवाओं को सशक्त और समृद्ध बनाने के लिए एजुकेशन, इनोवेशन, स्किल डेवलपमेंट और स्टार्टअप के क्षेत्र में कौशल कार्य योजना-4 की शुरुआत की है। इसके तहत कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स, 3डीप्रिंटिग, ड्रोन और सॉफ्ट स्किल्स जैसे प्रशिक्षण युवाओं को दिए जाएंगे। यह प्रावधान किया गया है कि देश के 47 लाख युवाओं को कौशल विकास के लिए वजीफा दिया जाएगा। यह तीन वर्ष के लिए होगा। वजीफे की राशि का युवाओं के खातों में नगद हस्तांतरण होगा।

इतना ही नहीं युवाओं को अंतरराष्ट्रीय मौकों के मद्देनजर तैयार करने के लिए देश में 30 स्किल इंडिया इंटरनेशनल सेंटर स्थापित होंगे। साथ ही युवाओं को 5 जी सर्विस पर चलने वाले एप्लीकेशन बनाने के लिए प्रशिक्षित करने हेतु इंजीनियरिंग संस्थानों में 100 लैब बनाई जाएंगी। नए बजट में खेती और किसानों के हितों को उच्च प्राथमिकता दी गई है। 20 लाख करोड़ रुपए के सरल कृषि ऋण, फंड की व्यवस्था नए बजट में सुनिश्चित की गई है। नए बजट में खेती किसानी को नए हाइटेक दौर में ले जाने के प्रावधान हैं। कृषि की विकास दर बढ़ाने, छोटे किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि सुधारों को व्यापक प्रोत्साहन, खाद्य और उर्वरक सब्सिडी की उपलब्धता, बीजों की गुणवत्ता, कृषि तकनीक, कृषि में निजी निवेश, मांग आधारित खेती, खाद्य प्रसंस्कृत क्षेत्र के तेज विकास, एग्री फूड प्रोसेसिंग को बढ़ावा, ग्रामीण उद्योगों को विशेष प्रोत्साहन के बढ़े ऐलान नए बजट में किए गए हैं।

प्राकृतिक खेती के लिए एक करोड़ किसानों के लिए पीएम प्रणाम योजना शुरू की जाएगी। कृषि क्षेत्र के लिए दिए गए भारी प्रोत्साहनों के कारण वर्ष 2023 में ग्रामीण मांग को बढ़ावा मिलेगा और इससे विनिर्माण में सुधार के साथ ही कृषि एवं संबद्ध उत्पादों के रिकॉर्ड निर्यात हेतु प्रोत्साहन भी सुनिश्चित किए गए हैं। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट में मिलेट्स की पैदावार में इजाफा करने का ऐलान किया है। उन्होंने मोटे अनाजों के लिए श्री अनाज नाम दिया है और देश को श्री अनाज का वैश्विक हब बनाने की रणनीति प्रस्तुत की है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि आर्थिक तस्वीर को बेहतर बनाने के लिए वर्ष 2023-24 के नए बजट के माध्यम से वित्तमंत्री ने बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्रों में सुधारों के लिए आगे बढ़ी हैं। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को पटरी पर लाने के लिए नौ हजार करोड़ रुपए की नई क्रेडिट गारंटी योजना, खुदरा कारोबार की सरलता, स्टार्टअप को प्रोत्साहन, डिजिटलीकरण के बुनियादी ढांचे और प्राथमिक सहकारी समितियों की मजबूती के लिए अधिक प्रोत्साहन नए बजट में किए गए हैं। साथ ही सरकार ग्रामीण आवास योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) को आगे बढ़ाने के प्रभावी प्रावधान करते हुए दिखाई दी है। नए बजट में आतिथ्य, पर्यटन और अन्य संपर्क वाली सेवाओं को समर्थन दिया गया है।

साथ ही रक्षा बजट में 13 फीसदी का इजाफा किया गया है। इस बार वित्तमंत्री भारतीय मध्यम वर्ग की टैक्स छूटों में वृद्धि की अपेक्षा पूरे करते हुए भी दिखाई दी हैं। वित्तमंत्री सीतारमण वित्त वर्ष 2023-24 का बजट पेश करते हुए छोटे करदाताओं व मध्यम वर्ग की आर्थिक मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ी हैं। नई कर छूटों से अनुमान है कि करीब 90 फीसदी आयकरदाता कर भुगतान से राहत पाएंगे। छोटे करदाताओं और मध्यम वर्ग की मुश्किलों के बीच आयकर के नए प्रारूप वाले टैक्स स्लैब का पुन: निर्धारण किया गया है। नई टैक्स व्यवस्था में कुल 7 लाख रुपये तक की कमाई वालों पर कोई टैक्स नहीं लगेगा। निश्चित रूप से वित्तमंत्री सीतारमण ने राजकोषीय घाटे को जीडीपी के करीब 5.9 फीसदी तक विस्तारित करते हुए अर्थव्यवस्था को गतिशील करने, रोजगार अवसरों को बढ़ाने, निवेश के लिए प्रोत्साहन देने तथा विभिन्न वर्गों को राहत देने के लिए आर्थिक प्रोत्साहनों से सजे-धजे वर्ष 2023-24 के अभूतपूर्व बजट प्रस्तुत किया है। इससे एक ओर मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति बढ़ेगी, जिससे नई मांग का निर्माण होगा और उद्योग-कारोबार की गतिशीलता बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर विकास दर वर्ष 2023-24 के अंत में 6 फीसदी से अधिक स्तर पर पहुंचते हुए दुनिया में उच्च स्तरीय विकास दर दिखाई दे सकेगी। इस बजट की सफलता के लिए बजट का लक्ष्य के अनुरूप समुचित क्रियान्वयन और राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण अहम जरूरत होंगे।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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