निवेशकों को लुभाने का नया परिदृश्य

यह बात भी महत्वपूर्ण है कि 2 मार्च 2023 को नई दिल्ली में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद सभी विदेश मंत्रियों ने भारत के महाशक्ति जैसे रुख की प्रशंसा की…

इस समय जब पूरी दुनिया में वैश्विक सुस्ती का दौर है और दुनिया के विभिन्न देशों में देशी-विदेशी निवेश घट रहे हैं, तब भारत में विभिन्न राज्यों में आयोजित निवेशक सम्मेलनों के माध्यम से देशी-विदेशी निवेश छलांगे लगाकर बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। नि:संदेह पूरी दुनिया अचंभित होकर देख रही है कि भारत के विभिन्न प्रदेश निवेश आकर्षित करने की स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए अपने-अपने प्रदेशों में उद्योगीकरण, विकास और रोजगार के लिए देशी-विदेशी निवेश का ढेर लगा रहे हैं। हाल ही में 23-24 फरवरी को पंजाब के मोहाली में दो दिवसीय प्रोग्रेसिव पंजाब इन्वेस्टर्स समिट इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस के ऑडिटोरियम में आयोजित हुआ। इसमें शामिल होने देश-विदेश के करीब 3000 उद्यमी पहुंचे। नौ सत्रों की इन्वेस्टर्स मीट में यूके-जापान के लिए विशेष सत्र आयोजित किए गए। पंजाब में आप सरकार बनने के बाद यह पहला निवेशक सम्मेलन था। जर्मनी, जापान, यूके और सउदी अरब जैसे कई देशों से करीब 230 प्रतिनिधि इस समिट में शिरकत करने आए। खास बात यह भी रही कि विदेश से करीब 1951 करोड़ के निवेश प्रस्ताव मिले। जापान की कंपनी टोक्कन पैकेजिंग क्षेत्र में 548 करोड़ का निवेश करेगी। स्विटजरलैंड की नेस्ले खाद्य प्रसंस्करण में 423 करोड़, जापान की आइची स्टील 342 करोड़, जर्मनी की विब्राकॉस्टिक्स 338 करोड़ और यूके की एचयूएल 281 करोड़ के प्रस्ताव दिए हैं। राज्य सरकार के मुताबिक अब तक 38 हजार 175 करोड़ के निवेश के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इन प्रस्तावों के धरातल पर उतरने से राज्य में 2.43 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। मुख्यमंत्री भगतवंत मान ने समिट में पंजाब को सबसे पसंदीदा स्थान के रूप में उभारने के लिए सभी को धन्यवाद दिया। मुख्यमंत्री ने कहा कि टेक्स्टाइल, एग्रो इंडस्ट्री, फूड प्रोसेसिंग तथा विभिन्न तकनीकी उद्योगों के लिए बड़े निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इससे पंजाब में उद्योगीकरण बढ़ेगा और रोजगार बढ़ेंगे।

गौरतलब है कि प्रोग्रेसिव पंजाब इन्वेस्टर्स समिट के पहले 10 फरवरी से 12 फरवरी तक उत्तरप्रदेश में तीन दिवसीय वैश्विक निवेशक समिट-यूपीजीआईएस के तहत निवेशकों से प्राप्त प्रस्तावों और आयोजन की सफलता अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ते हुए दिखाई दी है। इस वैश्विक निवेशक सम्मेलन में 10 पार्टनर देशों के तौर पर ब्रिटेन, नीदरलैंड, डेनमार्क, सिंगापुर, जापान, इटली, दक्षिण कोरिया, आस्ट्रेलिया, यूएई और मारीशस से निवेशकों व उद्यमियों के बड़े दल ने भाग लिया। इसके अलावा 30 अन्य देशों के निवेशक भी बड़ी संख्या में आये। यह भी उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने वैश्विक निवेशक सम्मेलन के तहत करीब 17 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा था लेकिन स्थिति यह है कि निवेशक समिट के दौरान ही लक्ष्य से कहीं ज्यादा 33.50 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हंै। इस दौरान करीब 17000 समझौता पत्रों पर हस्ताक्षर किये गए हैं। इस निवेश के चलते प्रदेश के 93 लाख से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) सेक्टर में सबसे ज्यादा रोजगार इसी क्षेत्र के जरिए ही पैदा होने वाला है।

यदि हम यूपीजीआईएस के तहत आए प्रस्तावों को देखें तो पाते हैं कि प्रदेश में सबसे ज्यादा निवेश प्रस्ताव ऊर्जा व शिक्षा क्षेत्र में मिले हैं। शिक्षा क्षेत्र में भी बड़ी संख्या में निवेश प्रस्ताव आए हैं। प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय व कालेज के साथ ही अन्य तरह के शिक्षा संस्थान खोलने के लिए कई प्रस्ताव मिले हैं। वहीं आईटी एवं इलेक्ट्रानिक्स विभाग के तहत बड़े निवेश के लिए प्रस्ताव मिले हैं। खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के साथ-साथ वैकल्पिक एवं गैर पारंपरिक ऊर्जा विभाग को भी तय लक्ष्य से कई गुना के प्रभावी निवेश प्रस्ताव मिले हैं। इस बार के निवेशक सम्मलेन में प्रदेश के सभी 75 जिलों में निवेश आया है। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि देश व दुनिया के करीब 25000 लोगों ने इस वैश्विक निवेशक सम्मलेन में भाग लिया। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जहां 11 और 12 जनवरी को इंदौर में आयोजित वैश्विक निवेशक सम्मलेन इन्वेस्ट मध्यप्रदेश के तहत 15.42 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इस निवेशक सम्मलेन में 68 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसके पहले नवंबर 2022 में कर्नाटक वैश्विक निवेशक सम्मलेन में 10 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इसमें कोई दो मत नहीं है कि देश के विभिन्न प्रदेशों में आयोजित ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के माध्यम से विभिन्न देशों के विदेशी निवेशक भारत में तेजी से अपना निवेश बढ़ा रहे हैं। भारत में निवेश का मतलब लोकतंत्र और विश्व के लिए निवेश है।

यद्यपि यह दुनिया के लिए आर्थिक संकट और युद्ध की परिस्थितियों से जूझने का समय है, लेकिन दुनियाभर के अर्थ विशेषज्ञ प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिए भारत को चमकता हुआ देश बता रहे हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि वर्ष 2021-22 में भारत के रिकॉर्ड स्तर पर 84 अरब डॉलर का विदेशी निवेश मिला था। सचमुच जब पूरी दुनिया में आर्थिक और वित्तीय मंदी का माहौल है, विश्व की अर्थव्यवस्था में बड़ी गिरावट है, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों के द्वारा भारत को एफडीआई के लिए प्राथमिकता देना भारत के लिए गर्व और आगे बढऩे का आधार है। नि:संदेह देश में विदेशी निवेश के लिए आकर्षक पारदर्शी व स्थाई नीति है। देश में विदेशी निवेश के लिए रेड कार्पेट बिछाकर विदेशी निवेशकों को हर संभव प्रोत्साहन दिया जा रहा है। दुनिया का मानना है कि भारत में मजबूत राजनीतिक नेतृत्व है। दुनिया के कई दूसरे देशों की तुलना में भारत में निवेश पर बेहतर रिटर्न हैं। भारतीय बाजार बढ़ती डिमांड वाला बाजार है। भारत का स्टॉक एक्सचेंज फरवरी 2023 में दुनिया के पांच सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में चमकते हुए दिखाई दे रहा है। दुनिया के विदेशी मुद्रा भंडारों के मद्देनजर भारत के पास चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार है। भारत की विकास दर 6 फीसदी से अधिक के स्तर पर होते हुए दुनिया की सबसे अधिक विकास दर है। देश में प्रतिभाशाली नई पीढ़ी की कौशल दक्षता, आउटसोर्सिंग और देश में बढ़ते हुए मध्यम वर्ग की चमकीली क्रयशक्ति के कारण विदेशी निवेश भारत की ओर तेजी से बढऩे लगा है। वस्तुत: भारतीय घरेलू बाजार और अर्थव्यवस्था की बुनियाद मजबूत है। इस समय भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में एक फरवरी को प्रस्तुत वर्ष 2023-24 के रणनीतिक और दूरदर्शी बजट के बाद भारत के विभिन्न राज्यों में विदेशी निवेश की संभावनाएं बढ़ेंगी।

इसके साथ-साथ चूंकि इस वर्ष 2023 में जी-20 देशों की अध्यक्षता भारत के पास है और इस पूरे वर्ष देश के 50 से अधिक शहरों में 200 से अधिक विभिन्न समूह बैठकों में दुनिया के कोने-कोने से आने वाले जी-20 और अन्य देशों के प्रतिनिधि और उद्यमी भाग लेंगे। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि 2 मार्च 2023 को नई दिल्ली में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद सभी विदेश मंत्रियों ने भारत के महाशक्ति जैसे रुख की प्रशंसा की और भारत के तेज विकास की संभावनाएं बताई हैं। ऐसे में वर्ष 2023 में देश के विभिन्न प्रदेशों में विदेशी निवेश और तेजी से बढ़ते हुए दिखाई दे सकेंगे। हम उम्मीद करें कि हाल के महीनों में पंजाब, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान जैसे प्रदेशों ने जैसे देशी और विदेशी निवेश प्राप्त करने में नई पहचान बनाई है, इसी तरह अन्य प्रदेश भी वैश्विक निवेशक सम्मेलनों के तहत देशी और विदेशी निवेश की अभूतपूर्व संभावनाओं को मुठ्ठियों में लेने के लिए आगे बढ़ेंगे। इससे युवाओं के लिए रोजगार के मौके बढ़ेंगे। ऐसे में विभिन्न प्रदेश अपने देशी-विदेशी निवेश की शक्ति से देश की अर्थव्यवस्था को 2026-27 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 2047 में विकसित भारत बनाने में अहम योगदान देते हुए दिखाई देंगे।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


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