सरकार की हर नीति का विरोध जायज नहीं

By: Mar 10th, 2023 8:18 pm

प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर अपने सहयोगियों के साथ सरकार की नीतियों और निर्णयों, जिनमें 900 संस्थाओं को बंद करने का आरोप है, पर सरकार को आड़े हाथों लेने की फिराक में हैं। भारतीय जनता पार्टी का जन आक्रोश पूरे प्रदेश में फैलेगा। जयराम ठाकुर को मौजूदा सरकार की जनहित नीतियों और फैसलों का स्वागत भी करना चाहिए…

हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत के बाद 11 दिसम्बर को कांग्रेस की सरकार बनी थी। 11 मार्च को इस सरकार को बने हुए तीन महीने हो जाएंगे। हिमाचल प्रदेश विधानसभा की 68 सीटों में से 40 पर कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की है और 25 पर भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार जीत कर आए थे। तीन निर्दलीय हैं। कांग्रेस पार्टी को स्पष्ट बहुमत प्राप्त है और भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस के बीच 15 सीटों का अंतर है। 68 सीटों की विधानसभा में यह अंतर काफी है। केंद्र में भले ही भारतीय जनता पार्टी की सरकार हो लेकिन हिमाचल में कांग्रेस को बहुमत मिला है। यह बात प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को स्वीकार कर लेनी चाहिए। जय राम ठाकुर एक ईमानदार, अनुभवी नेता और प्रखर वक्ता हैं। अगर हम भारतीय जनता पार्टी के पूर्व मुख्यमंत्रियों की बात करें तो उनमें शांता कुमार व प्रेम कुमार धूमल शामिल हैं जिन्होंने हिमाचल की जनता के लिए कुछ अभूतपूर्व कार्य किए। उसी तरह कांग्रेस पार्टी में स्व. यशवंत सिंह परमार, स्व. वीरभद्र सिंह, स्व. ठाकुर राम लाल प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। स्व. यशवंत सिंह परमार को हिमाचल निर्माता भी कहा जाता है। स्व. वीरभद्र सिंह भी काफी लोकप्रिय रहे। कांग्रेस पार्टी के सुखविंदर सिंह सुक्खू पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं। भले ही वे छात्र राजनीति में रहे हों या कांग्रेस के जुझारू कार्यकर्ता रहे हों, मुख्यमंत्री का पद बहुत सारे समीकरणों और जिम्मेदारियों के साथ आता है।

यह बात पहली बार मुख्यमंत्री बने भारतीय जनता पार्टी के जय राम ठाकुर के बारे में भी लागू थी। सरकार को सुचारू रूप से चले हुए अभी ज्यादा वक्त नहीं हुआ है। कांग्रेस पार्टी ने जनता से दस वादे किए थे जिनको उन्होंने गारंटियों का नाम दिया था। हिमाचल की जनता से किए गए वादे उन्हें अपने पांच साल के कार्यकाल में पूरे करने हैं। मौजूदा सरकार का यह आरोप है कि पिछली सरकार कांगे्रस पार्टी की नवनिर्वाचित सरकार पर भारी भरकम कर्ज छोड़ गई है। हिमाचल आर्थिक दृष्टि से कभी साधन सम्पन्न नहीं रहा। शांता कुमार की सरकार में हिमाचल पर नाम मात्र कर्ज था। हालांकि हिमाचल में पर्यटन और फलों से प्रदेश को साधन सम्पन्न बनाया जा सकता था। शनिवार 4 मार्च को हिमाचल प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कुल्लू के परिधि गृह में पहले तो पार्टी के कार्यकर्ताओं से बातचीत की, फिर ढालपुर तक एक रैली के रूप में, मौजूदा सरकार के विरोध में नारेबाजी और आक्रोश, विरोध व्यक्त किया। कई बार उनके भाषण को सुन कर ऐसा लगता है कि केंद्रीय नेतृत्व ने तो हिमाचल में पार्टी की हार स्वीकार की है, लेकिन एक मंझे हुए नेता और हिमाचल के लोकप्रिय पूर्व मुख्यमंत्री यह स्वीकार करने में असमर्थ हैं। उनका यह कहना कि सरकार ज्यादा दिन नहीं चलेगी, पांच साल नहीं पूरे कर पाएगी, कहीं न कहीं उनके भीतर कुंठा की कहानी कहता है। भले ही भारतीय जनता पार्टी बहुत कम मार्जिन से हारी है, लेकिन कांग्रेस पार्टी और भारतीय जनता पार्टी में 15 सीटों का अंतर है, जो हिमाचल जैसे छोटे राज्य में बहुत है। जय राम ठाकुर बहुत ही मेहनती, कर्मठ नेता हैं, लेकिन उन्हें यह स्वीकार करना होगा कि हिमाचल की जनता ने उन्हें इस बार के चुनावों में अपना नेता नहीं चुना। वर्तमान सरकार पर 75000 करोड़ रुपए का कर्ज है।

यही नहीं, 4430 करोड़ रुपए कर्मचारियों के वेतन की राशि बकाया है। पेंशनधारी कर्मचारियों की देनदारी है जो लगभग 5500 करोड़ है। यह आंकड़े इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन सब की भरपाई या तो केंद्र सरकार से उधार लेकर की जाएगी या फिर हिमाचल में नए कर का अतिरिक्त बोझ डाल कर। भारतीय जनता पार्टी का यह आरोप है कि कांग्रेस सरकार अपनी गारंटियां पूरी करने में असमर्थ रहेगी। उन्हें लगता है कि 10 गारंटियों को सरकार कैसे पूरा करेगी? सरकारी कोष में इतने पैसे हैं ही नहीं, न ही हिमाचल की आर्थिक स्थिति कभी इतनी मज़बूत रही कि हिमाचल पूरी तरह से स्वावलम्बी हो सके। हिमाचल पूरी तरह से केंद्र की दया पर निर्भर करता है। वहां सरकार किसी की भी हो, देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने हिमाचल का पूरी तरह से साथ दिया है। हिमाचल से उनका ख़ास रिश्ता है। और उन्होंने यह भी कहा है कि देश की सरकार हिमाचल में चल रही अधिकतर योजनाओं के लिए वित्तीय सहायता देगी। हिमाचल में कांग्रेस की सरकार के पास पांच साल का समय है अपनी दस गारंटियों को पूरा करने के लिए। यह बात अलग है कि हर चीज को टालमटोल कर, लंबा खींच कर, जनता को यह समझाने की कोशिश की जाएगी कि हमारे पास पैसे नहीं हैं। सुखविंदर सिंह सुक्खू जिन्होंने कांग्रेस के अधिवेशन में, रायपुर में बहुत बढ़ चढ़ कर बातें की, उन्हें जनता से किए अपने वादे पूरे करने में कठिनाई आ रही है। उन्होंने यह इलज़ाम लगाया कि भारतीय जनता पार्टी की पूर्व सरकार उन पर 1000 करोड़ का अतिरिक्त कर्ज छोड़ गयी है। हिमाचल प्रदेश में 14 मार्च से बजट सत्र शुरू होगा।
प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर अपने सहयोगियों के साथ सरकार की नीतियों और निर्णयों, जिनमें 900 संस्थाओं को बंद करने का आरोप है, पर सरकार को आड़े हाथों लेने की फिराक में हैं। बजट सत्र में हंगामा होगा। भारतीय जनता पार्टी का जन आक्रोश पूरे प्रदेश में फैलेगा, भले ही उसमें भाग लेने वालों की संख्या कम ही हो। नेता प्रतिपक्ष जय राम ठाकुर को मौजूदा सरकार की जनहित नीतियों और फैसलों का स्वागत भी करना चाहिए। ओपीएस की बहाली सरकार का बड़ा निर्णय है, जो स्वागत योग्य है। अगर सरकार महिलाओं को 1500 रुपए की मासिक सहायता करने में सफल रहती है और युवाओं को रोजग़ार प्रदान करती है तो प्रदेश की आधी जनता खुश हो जाएगी। यह गारंटी अगर सुक्खू सरकार पूरी करती है तो उनकी लोकप्रियता बढ़ती जाएगी। यह आने वाला समय बताएगा कि इसका पैसा कहां से आएगा और सरकार के पास क्या ठोस विकल्प हैं। कुल मिलाकर कहें तो हिमाचल प्रदेश का बजट सत्र राजनीतिक हंगामे से भरा होगा।

रमेश पठानिया

स्वतंत्र लेखक


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