मुगल दरबार का इतिहास नहीं पढ़ेंगे 12वीं के छात्र, एनसीईआरटी ने इतिहास की किताब में किया बदलाव
सीबीएसई ने हटाए कई चैप्टर
दिव्य हिमाचल ब्यूरो— नई दिल्ली
यूपी बोर्ड और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के 12वीं के छात्र अब मुगल दरबार का इतिहास नहीं पढ़ेंगे। राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) ने शैक्षिक सत्र 2023-24 से इंटरमीडिएट में चलने वाली इतिहास की किताब ‘भारतीय इतिहास के कुछ विषय- 11’ से शासक और इतिवृत्त-मुगल दरबार (लगभग सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दियां) को हटा दिया है। इसके तहत बच्चों को अकबरनामा और बादशाहनामा, मुगल शासक और उनका साम्राज्य, पांडुलिपियों की रचना, रंगीन चित्र, आदर्श राज्य, राजधानियां और दरबार, पदवियां, उपहार और भेंट, शाही परिवार, शाही नौकरशाही, मुगल अभिजात वर्ग, सूचना तथा साम्राज्य, सीमाओं के परे, औपचारिक धर्म पर प्रश्न उठाना जैसे बिन्दुओं को पढ़ाया जाता था। इसी प्रकार 11वीं की किताब से इस्लाम का उदय, संस्कृतियों में टकराव, औद्योगिक क्रांति, समय की शुरुआत से पाठ हटाए गए हैं। एनसीईआरटी की ओर से सत्र 2023-24 के लिए विषयवार पुनर्संयोजित पाठ्यवस्तु के लिंक यूपी बोर्ड की वेबसाइट पर उपलब्ध कराए गए हैं। संशोधित पाठ्यक्रम के अनुसार प्रकाशित पुस्तकें बाजार में उपलब्ध हैं। दिब्यकांत शुक्ल, सचिव यूपी बोर्ड राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत एनसीईआरटी की किताबें अपडेट की जा रही हैं। जो चीजें अप्रासंगिक हो गई थीं, उन्हें हटाकर नई विषयवस्तु को जोड़ा जा रहा है। समय-समय पर पाठ्यक्रम में बदलाव होते रहते हैं, जो अच्छी बात है।
समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व भी हटाया
12वीं की ‘नागरिकशास्त्र’ की किताब समकालीन विश्व राजनीति से समकालीन विश्व में अमरीकी वर्चस्व और शीतयुद्ध का दौर पाठ पूरी तरह से हटा दिया गया है। स्वतंत्र भारत में राजनीति की किताब से जन आंदोलनों का उदय और एक दल के प्रभुत्व का दौर हटाया गया है। इसमें कांग्रेस के प्रभुत्व की प्रकृति, सोशलिस्ट पार्टी, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, भारतीय जनसंघ, स्वतंत्र पार्टी के विषय में पढ़ाया जाता था। 10वीं की लोकतांत्रिक राजनीति-2 की किताब से लोकतंत्र और विविधता, जनसंघर्ष और आंदोलन, लोकतंत्र की चुनौतियां पाठ हटाए गए हैं।
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