खेल मंत्री की खेल संघों के साथ बैठक

By: May 19th, 2023 12:07 am

साथ ही साथ यहां पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पूर्व लगने वाले कोचिंग कैम्प भी अनिवार्य रूप से लगाए जाएं ताकि पहाड़ के लोगों को भी वही सुविधा उपलब्ध हो जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट प्रदर्शन किए जा सकें। यह सब तभी संभव है जब सरकार बजट में प्रावधान करे। हर खेल नीति खिलाड़ी व प्रशिक्षक के इर्द-गिर्द होनी चाहिए…

हिमाचल की राजधानी शिमला में 16 मई 2023 को प्रदेश सरकार के खेल मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने राज्य के खेल संघों के साथ बैठक कर खेल उत्थान के विभिन्न मुद्दों पर की चर्चा में नयी खेल नीति के साथ-साथ सरकारी नौकरियों में खेल आरक्षण को तीन प्रतिशत से पांच प्रतिशत करने की बातें प्रमुख रही। पिछली भाजपा सरकार के पांच सालों में हिमाचल प्रदेश में खेल नीति को नया स्वरूप देने की बात चलती रही थी। अंतिम साल में नयी खेल नीति को मंत्रिमंडल की बैठक में कानूनी जामा पहनाया गया है, मगर इसको जमीन पर उतारने से पहले सरकार का कार्यकाल ही खत्म हो गया। अब सरकार कांग्रेस की है और विक्रमादित्य उसमें खेल मंत्री हैं। हिमाचल प्रदेश में कई खेलों के लिए विश्व स्तरीय खेल ढांचा तो बन कर तैयार हो चुका है, मगर प्रशिक्षकों व अन्य सुविधाओं के अभाव में वहां पर उस तरह का प्रशिक्षण कार्यक्रम आरम्भ नहीं हो पाया है। हिमाचल प्रदेश में अभी तक भी खेल संस्कृति का अभाव साफ देखा जा सकता है। प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल सरकार में बनी खेल नीति में हिमाचल के खिलाडिय़ों को सरकारी नौकरी में तीन प्रतिशत आरक्षण बहुत बड़ी सौगात है। अब दो दशक बाद विभिन्न पहलुओं के ऊपर चर्चा कर बनी नयी खेल नीति में खिलाडिय़ों के प्रशिक्षण पर बल दिया गया है। राष्ट्रीय स्तर से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पदक विजेता खिलाडिय़ों की नगद ईनामी राशि का सम्मानजनक स्तर तक बढऩा भाजपा सरकार का बहुत अच्छा कदम रहा है। केन्द्र व केरल सरकार की तर्ज पर हिमाचल प्रदेश में पहली बार पदक विजेता खिलाडिय़ों के प्रशिक्षकों को भी नगद ईनामी राशि देने की बात की है।

वर्तमान खेल मंत्री विक्रमादित्य की तरह ही पिछली भाजपा सरकार में तत्कालीन खेल मंत्री राकेश पठानिया की अध्यक्षता में धर्मशाला के मिनी सचिवालय में नयी खेल नीति के लिए राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुके खिलाडिय़ों, प्रशिक्षकों व खेल संघों के पदाधिकारियों के साथ एक मैराथन बैठक हुई थी। इस बैठक में खेल उत्थान से संबंधित विभिन्न पहलुओं पर चर्चा हुई थी। इसके बाद भी खेल मंत्री ने व्यक्तिगत तौर पर विभिन्न खेल संघों से मिल कर लंबी चर्चा कर नयी खेल नीति के लिए व्यावहारिक पहलुओं तक जाने की सोची थी, मगर कोरोना के दोबारा कहर से वह सब नहीं हो पा रहा था। इसके बाद अब खेल विभाग के अधिकारी व खेल के जानकार खेल नीति को नये स्वरूप तक ले जाने के लिए संघर्षशील हो गये और देर बाद ही सही हिमाचल प्रदेश को अब नयी खेल नीति मिल गई है, मगर जब तक धरातल पर कार्य नहीं होगा, आप फिर चाहे कागजों में कई बार नयी खेल नीति बनाते रहें। खेलों में अधिक से अधिक लोगों की भागीदारी सुनिश्चित हो, इससे जब हजारों विद्यार्थी फिटनेस कार्यक्रम से गुजरेंगे तो उनमें कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे। खिलाडिय़ों से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन के लिए राज्य में अधिक से अधिक खेल अकादमियां व शिक्षा संस्थानों में खेल विंग स्थान की सुविधा व प्रतिभा को देखते हुये सरकारी व खेल संघों के माध्यम से खोलने को बात को अमलीजामा पहनाया जाए।

अवार्डी व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता खिलाडिय़ों को पेंशन योजना का भी प्रावधान किया गया है तो उन्हें उनका हक दो। खेल नीति में विद्यार्थियों को प्रशिक्षण व प्रतियोगिता के लिए विशेष अवकाश की बात है, क्या ऐसा हो पाता है? खेलों के लिए प्रेरित कर खेल मैदान तक ले जाने के लिए विद्यार्थियों को स्कूल व कालेज स्तर पर सुविधाएं उपलब्ध कराने की बात तो खेल नीति में कही गई है, मगर हकीकत सबके सामने है। हिमाचल प्रदेश में विभिन्न खेलों का स्तर राज्य में खेल छात्रावासों के खुलने के बाद भी अभी तक सुधरा नहीं है। यह अलग बात है कि कुछ जुनूनी प्रशिक्षकों के बल पर कभी-कभी अच्छे परिणाम देने वाला हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर कुछ एक खेलों को छोड़ कर अधिकांश बार पिछड़ा ही रहा है। हिमाचल हो या देश का कोई अन्य राज्य, उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने के लिए केवल प्रशिक्षक ही मुख्य किरदार दिखाई देता है। यही कारण है कि भारत का खेल मंत्रालय व कई राज्य भी अपने यहां हाई परफॉर्मेंस प्रशिक्षण केन्द्र खोलने पर जोर दे रहे हैंं तथा वहां पर उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने वाले प्रशिक्षकों को अनुबंधित कर रहे हैं। खेलो इंडिया, गुजरात व पंजाब के उच्च खेल परिणाम दिलाने वाले प्रशिक्षण केन्द्रों की तरह ही हिमाचल प्रदेश में भी अधिक से अधिक इस तरह के हाई परफॉर्मेंस केंद्र व अकादमियां खोलनी होंगी। इन प्रशिक्षण केन्द्रों पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक विजेता प्रदर्शन करवाने वाले अनुभवी प्रशिक्षकों को उत्कृष्ट प्रदर्शन करवाने की शर्तों पर पांच वर्षों के लिए अनुबंधित करना चाहिए ताकि हिमाचल प्रदेश की संतानों को भी हिमाचल प्रदेश में रह कर ही बेहतर प्रशिक्षण सुविधा मिल सके। आप हर विद्यार्थी को फिटनेस के लिए खेल मैदान में ले जाएंगे तो उनमें से जरूर कुछ अच्छे खिलाड़ी भी मिलेंगे।

प्रतिभा खोज के बाद पढ़ाई के साथ साथ प्रशिक्षण के लिए अच्छी खेल सुविधाएं मुहैया कराई जानी चाहिए। इसके लिए राष्ट्रीय क्रीड़ा संस्थान की तर्ज पर अपना राज्य क्रीड़ा संस्थान हो। वहां पर हिमाचल प्रदेश के खिलाडिय़ों को वैज्ञानिक आधार पर लंबी अवधि के प्रशिक्षण शिविर लगें तथा प्रदेश के शारीरिक शिक्षकों व पूर्व राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों के लिए सेमिनार व कम अवधि के प्रशिक्षक बनने के कोर्सेज हों। साथ ही साथ यहां पर राष्ट्रीय प्रतियोगिता के पूर्व लगने वाले कोचिंग कैम्प भी अनिवार्य रूप से लगाये जाएं ताकि पहाड़ के लोगों को भी वही सुविधा उपलब्ध हो जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्कृष्ट प्रदर्शन किये जा सकें। यह सब अब तभी संभव है जब सरकार बजट में प्रावधान करे। हर खेल नीति खिलाड़ी व प्रशिक्षक के इर्द-गिर्द तो होती है मगर कागज से उतार कर इसे धरातल पर लाया जाए। तभी विश्व स्तर के परिणाम आएंगे। देखते हैं नयी सरकार के खेल मंत्री किस तरह की नीति को बनवा कर कितनी जल्दी उसे लागू करवाते हैं।

भूपिंद्र सिंह

अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स प्रशिक्षक

ईमेल: bhupindersinghhmr@gmail.com


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