Himachal News: कालेज प्रिंसीपल प्रोमोशन का रास्ता साफ; हाई कोर्ट में केस खत्म; डीपीसी की प्रक्रिया शुरू

By: Jun 3rd, 2023 12:06 am

हाई कोर्ट में केस खत्म; डीपीसी की प्रक्रिया शुरू, शिक्षा सचिव कार्यालय ने उच्च शिक्षा निदेशालय से मांगा डाटा

स्टाफ रिपोर्टर — शिमला

हिमाचल में डिग्री कालेज के प्रिंसीपल की प्रोमोशन को लेकर चल रहा कोर्ट केस खत्म हो गया है। यह मामला साल 1994 में नियुक्त हुए असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति और वरिष्ठता को लेकर था। कोर्ट ने इस मामले में जजमेंट को रिजर्व रखा था, जिस पर अब फैसला आ गया है। करीब पांच साल बाद अब इस मामले में डीपीसी की प्रकिया शुरू हो पाएगी। हाई कोर्ट से फैसला आने के बाद शिक्षा सचिव कार्यालय ने उच्च शिक्षा निदेशालय से संबंधित डाटा मांग लिया है। इसके बाद अब डीपीसी की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। कालेज टीचर एसोसिएशन ने भी इस फैसले का स्वागत किया है। राज्य में प्रिंसीपल कालेज कैडर में अभी कुल 132 पद हैं, जबकि कालेजों की संख्या ज्यादा हो गई है।

वर्तमान में 110 से ज्यादा कालेज ऐसे हैं, जहां पर रेगुलर प्रिंसीपल ही नहीं हैं। शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने भी कहा था कि कालेज में प्रिंसीपल के खाली पदों को भरा जाना है, लेकिन कोर्ट में मामला लंबित होने के कारण फाइनल डीपीसी नहीं की जा सकती। आधे से ज्यादा कालेज बिना प्रधानाचार्यों के ही चल रहे हैं। तीन साल से प्रधानाचार्य के पद के लिए डीपीसी यानि विभागीय पदोन्नति कमेटी की बैठक ही नहीं हुई है। प्रदेश के 138 कालेजों में से 110 कालेज ऐसे हैं, जिनमें प्रधानाचार्य नहीं हैं। 19 कालेजों में अस्थायी व्यवस्था अपनाते हुए कार्यकारी प्रधानाचार्य लगाए हैं। इन्हें काम प्रधानाचार्य का दिया गया है, लेकिन वेतन में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है। इन शिक्षकों को प्रधानाचार्य का कार्यभार देखने के साथ रूटीन की कक्षाएं भी लेनी पड़ती है। 10 कॉलेज ऐसे हैं, जिनमें प्रधानाचार्य दिसंबर महीने तक सेवानिवृत्त होने वाले हैं।

कालेजों के ग्रेड पर भी असर

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने बजट के लिए ग्रेड की शर्त लगाई हुई है। नैक ए, बी और सी ग्रेड के हिसाब से बजट देता है। ग्रेड के लिए सबसे पहली शर्त पूरा स्टाफ होना चाहिए। प्रधानाचार्य का पद सबसे महत्त्वपूर्ण माना जाता है। नैक की टीम जब कालेजों के निरीक्षण के लिए आती है, तो प्रधानाचार्य ही टीम के साथ रहता है। जब कॉलेजों में प्रधानाचार्य ही नहीं है तो उनका ग्रेड गिरना स्वभाविक है।

ये हैं भर्ती एवं पदोन्नति नियम

पदोन्नति के माध्यम से कॉलेज का प्राचार्य बनने को सरकार ने 27 फरवरी, 2020 को भर्ती-पदोन्नति नियम बनाए थे। सहायक प्रोफेसर वेतन बैंड चार में होना चाहिए। न्यूनतम 20 वर्ष की नियमित सेवा या नियमित तदर्थ सेवा के साथ नियमित सेवा होनी चाहिए। श्रेणी एक और दो के तहत न्यूनतम कुल औसत वार्षिक अंक प्रति वर्ष 100 होना चाहिए। शैक्षणिक योग्यता 55 फीसदी अंकों के साथ स्नातकोत्तर डिग्री होनी चाहिए।


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