हवाई किराए बढऩे का सिलसिला कैसे थमेगा

By: Jun 20th, 2023 12:08 am

अब चूंकि एयर इंडिया टाटा समूह का हिस्सा है, विमानन में प्रतिस्पर्धा बनाए रखने के लिए गो-फस्र्ट और स्पाइसजेट को बचाना और भी जरूरी हो गया है। बड़ी बात यह है कि ये कंपनियां वित्तीय अनियमितताओं के कारण नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय विमान एवं इंजन निर्माताओं द्वारा की गई कोताही के कारण संकट में हैं। ऐसे में भारत सरकार द्वारा इस मामले में दखल और जरूरी हो जाता है…

पिछले कुछ समय से देश के अंतर्देशीय वायु परिवहन में हवाई किराये लगातार बढ़ते जा रहे हैं। दिल्ली-मुंबई का अधिकतम हवाई किराया 20,000 रुपए तक पहुंच गया, जो पूर्व में मात्र 7000 रुपए ही होता था । शेष मार्गों पर भी किराये में वृद्धि के संकेत मिल रहे हैं, जिससे यात्रियों को खासी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। केंद्र सरकार के हस्तक्षेप के बाद किरायों में कुछ कमी देखने को तो मिल रही है लेकिन अभी भी हवाई किराये काफी अधिक हैं। कोविड के बाद यात्रियों की आवाजाही में काफी वृद्धि हुई है। हाल ही में मात्र एक ही दिन में 30 अप्रैल 2023 को 4.56 लाख यात्रियों द्वारा देश में अंतर्देशीय हवाई यात्रा कर अभी तक का एक रिकार्ड भी बनाया है। हवाई यात्राओं की मासिक यात्री संख्या 1.2 करोड़ से 1.3 करोड़ बनी हुई है। पिछले दो दशकों में हवाई किरायों में खासी कमी के चलते कई यात्री जो परंपरागत तरीके से रेल में सफर करते थे, अब सस्ते किरायों के बलबूते हवाई यात्रा करने लगे हैं। गौरतलब है कि दिल्ली-मुंबई का एसी प्रथम दर्जे का राजधानी गाड़ी में रेल किराया 4730 रुपए है, जबकि समय पर बुकिंग करने पर हवाई किराया सामान्यत: उससे कम ही बैठता था, ऐसे में काफी लोग रेल की बजाय हवाई यात्रा को प्राथमिकता देने लगे थे। लेकिन हवाई किराये बढऩे से लोग अब पुन: अन्य साधनों की ओर मुड़ सकते हैं जिससे हवाई यात्रा की मांग कम हो सकती है और इस उद्योग का विकास बाधित हो सकता है।

हवाई किरायों में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी वृद्धि हो रही है। एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल (एशिया पेसिफिक) की रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय हवाई किरायों में 50 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज हुई है। रिपोर्ट का यह भी कहना है कि भारत में हवाई किराये में सर्वाधिक वृद्धि 41 प्रतिशत थी, जबकि यूनाईटेड अरब अमीरात में यह वृद्धि 34 प्रतिशत, सिंगापुर में 30 प्रतिशत और आस्ट्रेलिया में यह 23 प्रतिशत ही रही। हालांकि यह कहा जा रहा है कि विमानन किरायों में वृद्धि के दो प्रमुख कारण हैं – पहला, ईंधन की कीमत में वृद्धि और दूसरा, सामान्य महंगाई की दर में वृद्धि। वर्ष 2019 से अब तक विमानन ईंधन की कीमतों में 76 प्रतिशत वृद्धि हो चुकी है, जबकि विमानन कंपनियों की अन्य लागतें 10 प्रतिशत महंगाई की दर से बढ़ रही हैं। लेकिन साथ ही एयरपोर्ट काउंसिल इंटरनेशनल का मानना है कि किरायों को ऊंचा रखने के लिए विमानन कंपनियां आपूर्ति (सीट उपलब्धता) को सीमित रखकर कीमतों को ऊंचा रखने का प्रयास कर रही हैं। रिपोर्ट का यह भी मानना है कि कंपनियों का यह कृत्य विमानन उद्योग में ग्रोथ को प्रभावित कर सकता है। भारत में घरेलू विमानन क्षेत्र में कई कंपनियां कार्यरत हैं। फरवरी 2023 में 55.9 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ पहले स्थान पर इंडिगो, दूसरे और तीसरे स्थान पर टाटा समूह की एयर इंडिया और विस्तारा हैं, जिनकी बाजार में हिस्सेदारी क्रमश: 8.9 प्रतिशत और 8.7 प्रतिशत की थी। हालांकि एयर इंडिया और विस्तारा जल्दी ही मिलकर एक इकाई होने वाले हैं, लेकिन उसके बावजूद वे मिलकर भी इंडिगो से लगभग एक तिहाई से थोड़ा अधिक हो पाएंगे। चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमश: गोफस्र्ट और स्पाईसजेट दो एयरलाईन हैं, जिनका बाजार में हिस्सा 8.0 प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत है।

लेकिन ये दोनों विमानन कंपनियां काफी कठिनाई में आ चुकी हैं। हाल ही में जहांगीर वाडिया की अगुवाई वाली गोफस्र्ट एयरलाइंस जो 8 प्रतिशत बाजार हिस्से के साथ भारत की चौथी बड़ी सबसे बड़ी एयरलाइंस थी, वित्तीय कठिनाइयों से ही नहीं गुजर रही, बल्कि उसकी दिवालिया प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हालांकि उसकी कठिनाइयों के पीछे वित्तीय कारणों से ज्यादा तकनीकी कारण हैं, जिसके लिए ईंजन आपूर्ति करने वाली कंपनी ‘प्रैट एंड विटनी इंजन्स’ जिम्मेदार है। गौरतलब है कि एयरबस ए-320 नियो हवाई जहाज के लिए यह कंपनी इंजनों की आपूर्ति करती है। पिछले कुछ समय से इस कंपनी द्वारा दिए गए इंजनों की खराबी के कारण गो-फस्र्ट को अपने कई हवाई जहाज ग्राउंड करने पड़े। इन सबके कारण से कंपनी भारी नुकसान में चली गई। गत 3 मई से गो-फस्र्ट ने अपनी सभी उड़ानों को स्थगित कर दिया है और दिवालिएपन का आवेदन जमा किया है। इसी प्रकार नागरिक उड्डयन में पांचवें पायदान पर स्पाईसजेट कंपनी भी आर्थिक मुश्किलों से गुजर रही है। यह एयरलाइन भी जहाजों में कई तकनीकी गड़बडिय़ों से जूझ रही है और इसके लिए नागरिक उड्डयन महाप्रबंधक ने कंपनी को अपने 10 बोईंग-737 मैक्स जहाजों को ग्राउंड करने का निर्देश दिया है। 2022-23 की पहली तिमाही से यह कंपनी नुकसान में जाना शुरू हो गई थी। बढ़ती ईंधन की लागतों, मुद्रास्फीति और रुपए के अवमूल्यन के कारण यह कंपनी लगातार घाटे से जूझ रही है। हालांकि कंपनी ने हार नहीं मानी है, लेकिन इसकी सेवाएं अवश्य बाधित हो रही हैं। इंडिगो और टाटा समूह की एयर इंडिया, विस्तारा और एयर एशिया सरीखी बड़ी कंपनियों को स्पाईसजेट और गो-फस्र्ट खासी प्रतिस्पद्र्धा देती थी। इन विमानन कंपनियों के मुश्किल में पडऩे के बाद इंडिगो और टाटा समूह की कंपनियों की प्रतिस्पद्र्धा घट गई है। इस कारण से ये कंपनियां अनाप-शनाप रूप से हवाई किराए बढ़ा रही हैं।

कैसे रोकें बढ़ते हवाई किराए : नागरिक विमानन क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश के बाद सामान्य तौर पर हवाई किरायों का निर्णय विमानन कंपनियों पर छोड़ा गया है, ताकि वे बाजार के अनुसार कीमतें तय करें और उन्हें बिना वजह घाटा न सहना पड़े और विमानन क्षेत्र का स्वस्थ विकास भी हो। बड़ी संख्या में विमानन कंपनियों की आपसी प्रतिस्पद्र्धा के चलते न केवल हवाई किराए काफी हद तक किफायती बने रहे और साथ ही साथ नागरिक उड्डयन क्षेत्र का स्वस्थ विकास भी हुआ। गौरतलब है कि हाल ही में एयर इंडिया द्वारा 550 नए विमानों सहित भारतीय विमानन कंपनियों द्वारा 1000 विमानों के ऑर्डर ने दुनिया को अचंभित कर दिया था।

यह हमारे नागरिक उड्डयन क्षेत्र की विकास गाथा को परिलक्षित करता है। लेकिन दो प्रमुख विमानन कंपनियों की आर्थिक कठिनाइयों के चलते नागरिक उड्डयन क्षेत्र में एक संकट का निर्माण हुआ है। पिछले काफी समय से सरकार द्वारा आर्थिक संकट में फंसी कंपनियों के प्रमोटरों को जल्द निजात दिलाने के लिए दिवालिया कानून में बड़े बदलाव करते हुए इस प्रक्रिया को आसान बना दिया गया है। लेकिन विमानन क्षेत्र की स्थिति अलग है। यदि गो फस्र्ट और स्पाइसजेट ये दोनों कंपनियां दिवालिया होती हैं तो विमानन क्षेत्र में वस्तुत: इंडिगो और टाटा समूह का एकाधिकार हो जाएगा। ऐसे में पिछले दो दशकों से विमानन क्षेत्र में विकास और प्रतिस्पर्धा का लाभ जो आम जन को सस्ती हवाई यात्रा के रूप में मिल रहा था, अब समाप्त हो जाएगा। गौरतलब है कि पूर्व में एयर इंडिया सावर्जनिक क्षेत्र में होने के कारण हवाई यात्रा में स्वाभाविक रूप से प्रतिस्पर्धा का लाभ जनता को मिल रहा था। अब चूंकि एयर इंडिया टाटा समूह का हिस्सा है, विमानन में प्रतिस्पर्धा बनाये रखने के लिए गो फस्र्ट और स्पाइसजेट को बचाना और भी जरूरी हो गया है। बड़ी बात यह है कि ये कंपनियां वित्तीय अनियमितताओं के कारण नहीं बल्कि बहुराष्ट्रीय विमान एवं इंजन निर्माताओं द्वारा की गयी कोताही के कारण संकट में हैं। ऐसे में भारत सरकार द्वारा इस मामले में दखल और जरूरी हो जाता है।

डा. अश्वनी महाजन

कालेज प्रोफेसर


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