अब कानूनी राय लेगा पंचायतीराज विभाग

By: Jun 3rd, 2023 12:01 am

अश्वनी पंडित — बिलासपुर

बिलासपुर जिला परिषद में तख्तापलट को लेकर लंबे समय से चल रही खींचतान की वजह से पेचीदा बन चुके इस मामले के समाधान को लेकर पंचायतीराज विभाग अब कानूनी राय लेगा। क्योंकि इस तरह का मामला पहली मर्तबा ही सामने आया है और एक्ट में भी इस तरह के मामलों के समाधान को लेकर स्थिति स्पष्ट न होने की वजह से विभाग के समक्ष असमंजस की स्थिति बनी। उपाध्यक्ष की कुर्सी जा चुकी है, जबकि ऐन वक्त इस्तीफा देने के चलते अध्यक्ष को पद से हटाने की नाखुश पार्षदों की उम्मीदें धराशायी हो गईं। इस वक्त जिला परिषद बिलासपुर में भाजपा का पलड़ा भारी है। इसलिए बीजेपी समर्थित अध्यक्ष व उपाध्यक्ष की ताजपोशी हुई थी, मगर दोनों की कार्यशैली से खफा 11 पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया। पहली बार मार्च महीने में अविश्वास प्रस्ताव की प्रति उपायुक्त को पे्रषित की गई, लेकिन निर्धारित बैठक से पहले अध्यक्ष व उपाध्यक्ष द्वारा अपना इस्तीफा वापस लिए जाने की वजह से चुनाव नहीं करवाया जा सका।

मई में एक बार फिर से नाखुश पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया, जिस पर उपायुक्त ने पिछले दिन बैठक बुलाई थी, मगर बैठक से ठीक एक दिन पहले जिला परिषद अध्यक्ष ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उपाध्यक्ष द्वारा इस्तीफा नहीं देने व नाखुश पार्षदों की वोटिंग में माहौल खिलाफ होने के चलते उनकी कुर्सी चली गई। चुनाव आठ जून को करवाया जाएगा, लेकिन अध्यक्ष के ऐन मौके पर इस्तीफा देने की वजह से नाखुश पार्षदों की उम्मीदों को झटका लगा। वहीं ऋग्वेद मिलिंद ठाकुर, निदेशक, पंचायतीराज विभाग ने कहा कि बिलासपुर जिला परिषद का मामला काफी पेचीदा हो गया है। पहली बार ही इस तरह का मामला सामने आया है। इसको लेकर एक्ट में भी कुछ स्पष्ट नहीं है। इसलिए इस मसले पर अब कानूनी राय ली जाएगी। (एचडीएम)

इस्तीफा वापस लेने को 30 दिन का समय

बिलासपुर जिला परिषद में कुल 14 पार्षद हैं। इसमें आठ भाजपा, जबकि शेष छह कांग्रेस से संबंधित हैं। नाखुश पार्षदों के लिए अध्यक्ष कड़ी चुनौती बन गई हंै। इस्तीफा वापस के लिए 30 दिन की अवधि है और इस अवधि में उनके इस्तीफा वापस लेने की स्थिति में अध्यक्ष कुर्सी बचाने में कामयाब होंगी।


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