रामायण मनका (108)

By: Jun 3rd, 2023 12:28 am

-गतांक से आगे…

नन्दी ग्राम पवनसुत आये, भाई भरत को वचन सुनाए, लंका से आए हैं राम।। पतितपावन सीताराम।।

कहो विप्र तुम कहाँ से आये, भाई भरत को गले लगाए

अवधपुरी रघुनन्दन आये, मन्दिर मन्दिर मंगल छाये, माताओं को किया प्रणाम।। पतितपावन सीताराम।।

भाई भरत को गले लगाया, सिंहासन बैठे रघुराया, जग ने कहा ‘हैं राजा राम’ ।। पतितपावन सीताराम।।

सब भूमि विप्रो को दीनी विप्रो ने वापस दे दीनी, हम तो भजन करेंगे राम।। पतितपावन सीताराम।।

धोबी ने धोबन धमकाई, रामचन्द्र जी ने यह पाई, वन में सीता भेजी राम।। पतितपावन सीताराम।।

बाल्मीकि आश्रम में आई, लव व कुश हुए दो भाई, धीर वीर ज्ञानी बलवान।। पतितपावन सीताराम।। -क्रमश: