जामना स्कूल में शिक्षकों और सुविधाओं का टोटा

By: Jun 30th, 2023 12:55 am

ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूल भगवान भरोसे हैं और बच्चों का भविष्य अंधकारमय
कार्यालय संवाददाता-पांवटा साहिब
हिमाचल की सरकारें अकसर सरकारी स्कूकलों को बेहतर बनाने के दावे करती रहती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यदि जानें तो सरकार के दावे हवा-हवाई होते प्रतीत होते दिखाई देते हैं। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी स्कूल भगवान भरोसे हैं और बच्चों का भविष्य अंधकार में है। ऐसा लगता है जैसे नेताओं को सिर्फ वोट से मतलब है। जब सुविधाओं या क्षेत्र के भविष्य की बात आती है तो वह आंखें बंद कर बैठ जाते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी स्कूलों के हालात पर नजर डालें तो किन परिस्थितियों में क्षेत्र का भविष्य अंधकार में डूबता जा रहा है। ऐसे ही हालात सिरमौर जिला के शिलाई क्षेत्र के सरकारी स्कूलों के हैं। सरकारी स्कूलों में स्टाफ और अन्य सुविधाओं की कमियां हैं तो अपने स्कूल की फोटो सहित डिटेल 9736157400 व्हाट्स ऐप नंबर पर सांझा करें। हमारा प्रयास रहेगा कि आपके बच्चों के भविष्य के लिए हम आपके क्षेत्र के शिक्षण संस्थान की समस्या को प्रकाशित कर सरकार के समक्ष लाएंगे। हालांकि कुछ लोग जनहित व देश के भविष्य के इस मुद्दे को भी राजनैतिक चश्मा पहनकर देखेंगे और सवाल उठाएंगे, लेकिन यह आपको तय करना है कि हमने राजनीति करनी है या अपने बच्चों के भविष्य के बारे में सोचना है।

आज हम बात करेंगे प्रदेश सरकार में उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान के गृहक्षेत्र मस्तभौज के सबसे पुराने सरकारी स्कूल जामना की। राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय जामना स्टाफ के अभाव से जूझ रहा है। स्कूल में प्रमुख रूप से प्रवक्ता अंग्रेजी, राजनीतिक शास्त्र, टीजीटी आट्र्स एक, टीजीटी मेडिकल एक, पीईटी एक पद और एक पोस्ट लैब अटेंडेंट की खाली है। इनमें से अधिकांश पद सालों से रिक्त पड़े हैं तो कुछ एक साल से खाली हैं। यहां करीब 285 छात्र-छात्राएं शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। यहां प्रदेश के मंत्री के गांव च्योग सहित कांडो, माशू, जामना, ठाणा सहित दर्जनों बस्ती से बच्चे शिक्षा ग्रहण करने आते हैं, लेकिन स्टाफ के अभाव में बच्चों के भविष्य पर तलवार लटक गई है। सबसे बड़ी बात यह है कि मंत्री के इस गृहक्षेत्र के बच्चों को यदि कॉमर्स या साइंस की पढ़ाई करनी हो तो उसे क्षेत्र से बाहर निकलना पड़ता है। इतने पुराने स्कूल में विज्ञान और वाणिज्य संकाय ही नहीं हैं। आज जहां सरकार स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा पर जोर दे रही है वहां साइंस और कॉमर्स स्ट्रीम न होना हैरानी की बात है। हालांकि स्कूल में भवन व कमरों की व्यवस्था पूरी है, लेकिन परीक्षा हॉल नहीं हैं। उधर, इस संबंध में स्कूल के प्रधानाचार्य रतन ठाकुर ने कहा कि स्कूल में कुछ पद रिक्त हैं जिनका ब्योरा उच्चाधिकारियों को भेजा गया है। उम्मीद है जल्द ही स्कूल में रिक्त पद भर जाएंगे। उन्होंने कहा कि परीक्षा हॉल बनाने के लिए भी विभाग से मांग की जाएगी। जिससे बच्चों को आ रही दिक्कतें दूर हो जाएगीं।


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