लॉजिस्टिक लागत घटने का सुकूनदेह परिदृश्य

ऐसे में शहरों में सडक़ एवं यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए कदम बढ़ाना जरूरी है। इससे एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा। खास तौर से जहां नए शहरों में अच्छी सडक़ों और पुराने शहरों में उपलब्ध जगह में ही पार्किंग बढ़ाने पर पूरा ध्यान देना होगा, वहीं अब वाहन चालकों को भी लाइसेंस आवंटित करते समय चालक के वाहन चलाने की क्षमता के साथ-साथ भीड़ भरे यातायात के बीच दूसरे लोगों को दिक्कत पहुंचाए बिना वाहन चलाने की क्षमता का परीक्षण भी अनिवार्य किया जाना लाभप्रद होगा…

इस समय लॉजिस्टिक लागत से संबंधित विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में यह कहा जा रहा है कि भारत में लॉजिस्टिक लागत में कमी करके उत्पादकता और निर्यात तेजी से बढ़ाए जा सकते हैं। इसके साथ-साथ यातायात प्रबंधन में सुधार करके जहां लॉजिस्टिक लागत को और कम किया जा सकता है, वहीं समय व ऊर्जा की बचत करते हुए दुर्घटनाओं में भी कमी लाई जा सकती है। ऐसे में आम आदमी से लेकर संपूर्ण अर्थव्यवस्था को लाभान्वित किया जा सकता है। गौरतलब है कि देश में पिछले एक-दो वर्षों में लॉजिस्टिक लागत में कुछ कमी दिखाई देने लगी है। हाल ही में प्रकाशित विश्व बैंक के लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक 2023 में भारत 6 पायदान की छलांग के साथ 139 देशों की सूची में 38वें स्थान पर पहुंच गया है। भारत 2018 में इस सूचकांक में 44वें तथा 2014 में 54वें स्थान पर था। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में अक्टूबर 2021 में घोषित पीएम गति शक्ति योजना और सितंबर 2022 में घोषित राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति (एनएलपी) के कार्यान्वयन और वर्ष 2020 से लागू उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के प्रारंभिक अपेक्षित परिणामों से लॉजिस्टिक लागत में कमी आने का परिदृश्य निर्मित होने लगा है। ज्ञातव्य है कि विश्व बैंक के ताजा लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक के तहत कुछ महत्वपूर्ण मापदंडों, बुनियादी ढांचे, अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट और लॉजिस्टिक क्षमता संबंधी भारत की बढ़त दुनियाभर में रेखांकित हो रही है। आधुनिकीकरण व डिजिटलीकरण से भी भारत का लॉजिस्टिक प्रदर्शन बेहतर हुआ है।

सामान्यतया वस्तु के उत्पादन में कच्चे माल की लागत पहले क्रम पर और मजदूरी की लागत दूसरे क्रम पर होती है। फिर लॉजिस्टिक लागत का क्रम आता है। लॉजिस्टिक लागत का मतलब है उत्पादों एवं वस्तुओं को उत्पादित स्थान से गंतव्य स्थान तक पहुंचाने तक लगने वाले परिवहन, भंडारण व अन्य खर्च। लॉजिस्टिक लागत कम या अधिक होने में बुनियादी ढांचे की अहम भूमिका होती है। यदि सडक़ें बेहतर और अन्य बुनियादी ढांचे की सुविधाएं उपयुक्त हों तो तेजी से सामान पहुंचने, परिवहन संबंधी चुनौतियां और ईंधन की लागत कम होने से भी लॉजिस्टिक लागत कम हो जाती है। यदि निर्धारित समय में बुनियादी ढांचे संबंधी परियोजनाएं पूरी हो जाती हैं तो भी लॉजिस्टिक लागत में कमी आती है। उल्लेखनीय है कि भारत सरकार की गति शक्ति योजना करीब 100 लाख करोड़ रुपये की महत्त्वाकांक्षी परियोजना है जिसका लक्ष्य देश में एकीकृत रूप से बुनियादी ढांचे का विकास करना है। वस्तुत: देश में सडक़, रेल, जलमार्ग आदि का जो इंफ्रास्ट्रक्चर है, वह अलग-अलग 16 मंत्रालयों और विभागों के अधीन है, उनके बीच में सहकार व समन्वय बढ़ाना गति शक्ति योजना का मुख्य फोकस है। वस्तुत: नई लॉजिस्टिक पॉलिसी गतिशक्ति योजना की अनुपूरक है।

इसका प्रमुख लक्ष्य माल परिवहन की लागत घटाकर सभी प्रकार के उद्योग-कारोबार को बढ़ावा देना और वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाना भी है। देश में नई लॉजिस्टिक नीति के जरिए अगले 10 सालों में लॉजिस्टिक्स सेक्टर की लागत को 10 प्रतिशत तक लाया जाएगा। चूंकि वर्तमान में लॉजिस्टिक्स का ज्यादातर काम सडक़ों के जरिए होता है, अतएव अब नई नीति के तहत रेल ट्रांसपोर्ट के साथ-साथ शिपिंग और एयर ट्रांसपोर्ट पर जोर दिया जा रहा है। लगभग 50 प्रतिशत कार्गो को रेलवे के जरिए भेजे जाने का लक्ष्य आगे बढ़ाया जा रहा है और सडक़ों पर ट्रैफिक को कम किया जा रहा है। देश में बुनियादी ढांचे का तेजी से निर्माण होने लगा है। ऐसे में इंजीनियरिंग, डिजिटलीकरण और बहु-साधन परिवहन जैसे क्षेत्रों पर जोर देकर माल ढुलाई क्षमता में सुधार की ओर कदम बढ़ा दिए गए हैं। इस समय केंद्र सरकार सडक़ और रेल मार्ग, दोनों में सुधार पर ध्यान दे रही है। देश के प्रमुख शहरों और औद्योगिक एवं कारोबारी केंद्रों के बीच की दूरी कम करने के लिए एक तरफ डेडिकेटेड फ्रेट कोरिडोर के जरिए रेल मार्ग से माल ढुलाई को तेज करने की कवायद कर रही है, दूसरी तरफ देश के लगभग हर हिस्से में ग्रीनफील्ड हाईवे प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इसके साथ ही राजमार्गों पर आधारित इंडस्ट्रियल कोरिडोर भी बनाए जा रहे हैं। यह बात भी उभरकर दिखाई दे रही है कि देश में बुनियादी ढांचे के तहत सडक़ों, रेलवे, बिजली और हवाई अड्डों के अलावा बंदरगाह से संबंधित सडक़ और रेल कनेक्टिविटी में भी निजी निवेश का प्रवाह अहम भूमिका निभा रहा है। यात्रा के आधार पर भारत का लगभग 95 फीसदी विदेश व्यापार समुद्री मार्ग से होता है।

देश में नवीनतम बंदरगाह नीति के तहत बंदरगाह ‘लैंडलॉर्ड मॉडल’ की शुरुआत के साथ सरकार के स्वामित्व वाले ‘प्रमुख बंदरगाह’ की परिचालन जिम्मेदारियां निजी क्षेत्र को सौंपने की रणनीति के कारण बंदरगाह विकास और संचालन में घरेलू और विदेशी निजी क्षेत्र की भागीदारी तेजी से बढ़ी है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि देश के कोने-कोने के शहरी भागों में सडक़ों पर वाहनों की भरमार और इससे यातायात में होने वाली असुविधाओं से जहां समय और ऊर्जा की हानि होती है, वहीं इसका उत्पादकता एवं सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर प्रभाव पड़ता है। सामान्यतया विश्व स्तरीय सडक़ों के मापदंडों पर सडक़ निर्माण पर काफी धनराशि खर्च की जाती है, मगर यातायात सुगम बनाने के परिप्रेक्ष्य में उपयुक्त पार्किंग पर पर्याप्त खर्च पर ध्यान नहीं दिया जाता है। ऐसे में वाहन चालक सडक़ों के किसी भी हिस्से पर वाहन खड़ा करना शुरू कर देते हैं। इससे आवागमन में असुविधा होती है, साथ ही सडक़ों पर बड़ी संख्या में लोग तनाव, वाद-विवाद और दुर्घटनाओं का सामना भी करते हैं। 15 मई 2023 को रोड एक्सीडेंट सैंपलिंग सिस्टम फॉर इंडिया के डेटाबेस के आधार पर बॉश लिमिटेड की प्रकाशित रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में 2021 में सडक़ों पर पैदल चलने वाले घायल लोगों की संख्या 29200 थी जोकि पूरे यूरोप और जापान की संयुक्त सडक़ दुर्घटनाओं से अधिक थी।

ऐसे में शहरों में सडक़ एवं यातायात व्यवस्था में सुधार के लिए कदम बढ़ाना जरूरी है। इससे एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचने में लगने वाला समय काफी कम हो जाएगा। खास तौर से जहां नए शहरों में अच्छी सडक़ों और पुराने शहरों में उपलब्ध जगह में ही पार्किंग बढ़ाने पर पूरा ध्यान देना होगा, वहीं अब वाहन चालकों को भी लाइसेंस आवंटित करते समय चालक के वाहन चलाने की क्षमता के साथ-साथ भीड़ भरे यातायात के बीच दूसरे लोगों को दिक्कत पहुंचाए बिना वाहन चलाने की क्षमता का परीक्षण भी अनिवार्य किया जाना लाभप्रद होगा। इससे भी सडक़ों पर यातायात व्यवस्था में सुधार लाने के साथ-साथ विभिन्न लागतों में कमी लाई जा सकेगी। हम उम्मीद करें कि सरकार ऐसी नई रणनीति पर आगे बढ़ेगी जिससे विश्व बैंक के लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक 2023 में 38वें स्थान के बाद अब आगामी 2027 के सूचकांक में भारत की और ऊंची छलांग लग सकेगी। साथ ही देश में यातायात प्रबंध सुधार से समय और ऊर्जा की बचत होगी। इससे महंगाई में कमी, रोजगार में वृद्धि और जीडीपी में तेज वृद्धि के कारण विकास के नए अध्याय भी लिखे जा सकेंगे।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App