जीवन का विकास

By: Jul 8th, 2023 12:15 am

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

हर विचार, भावना, और कार्य आपके अंदर मौजूद सिर्फ पिछली छापों से आता है। वे ही तय करते हैं कि आप अभी कौन हैं। जिस तरह से आप सोचते, महसूस करते और जीवन को समझते हैं, वह बस इस पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह से अपने अंदर आई चीजों को आत्मसात किया है…

जिसे आप ‘मेरा जीवन’ कहते हैं वह एक खास मात्रा में ऊर्जा है जो कुछ खास जानकारी से नियंत्रित होती है। आज की शब्दावली में, इस जानकारी को साफ्टवेयर कह सकते हैं। एक खास मात्रा में ऊर्जा में कुछ खास मात्रा में जानकारी भरी होती है। ये दोनों साथ मिलकर ‘आप’ बन जाते हैं। आपके अंदर भरी जानकारी की किस्म के कारण आप एक खास तरह के व्यक्तित्व बन जाते हैं। जब से आप पैदा हुए, तब से अभी तक, जिस किस्म का परिवार, घर, मित्र और आपने जो चीजें कीं और जो नहीं कीं, ये सारी चीजें आपको प्रभावित कर रही हैं। हर विचार, भावना, और कार्य आपके अंदर मौजूद सिर्फ पिछली छापों से आता है। वे ही तय करते हैं कि आप अभी कौन हैं।

जिस तरह से आप सोचते, महसूस करते और जीवन को समझते हैं, वह बस इस पर निर्भर करता है कि आपने किस तरह से अपने अंदर आई चीजों को आत्मसात किया है। जीवन की पिछली छापें आपके पैदा होने के पल से काफी पहले तक की हैं, लेकिन अभी आपके बोध में, जिस पल आप पैदा हुए, कम से कम तब से आज तक, किस तरह के माता-पिता, परिवार और शिक्षा आपको मिली, किस तरह की धार्मिक और सामाजिक पृष्ठभूमि, किस तरह की सांस्कृतिक हकीकतें, ये सारी छापें आपके अंदर गई हैं। किसी व्यक्ति के अंदर किस तरह की जानकारी गई है, सिर्फ उसी वजह से वह एक अलग व्यक्तित्व बन गया है। यही कर्म है। इस जानकारी को कर्म या कर्म शरीर या कारणात्मक शरीर कहते हैं, जिस कारण जीवन बना है।
कर्म के चार आयाम हैं जिनमें से दो अभी प्रासंगिक नहीं हैं। समझने के लिए, हम दूसरे दो के बारे में बात कर सकते हैं। एक संचित कर्म है। यह कर्म का गोदाम है, जो एक कोशिकीय जीव से और उन निर्जीव पदार्थों से शुरू होता है जहां से जीवन का विकास हुआ है। वह सारी जानकारी मौजूद है।

अगर आप अपनी आंखें बंद करते हैं और पर्याप्त जागरूक बन जाते हैं और अपने अंदर देखते हैं, तो आप ब्रह्मांड की प्रकृति को जान जाएंगे, इसलिए नहीं कि आप उसे अपने मन के जरिए देख रहे हैं, बल्कि सिर्फ इसलिए क्योंकि शरीर के निर्माण में यह जानकारी मौजूद है। सृष्टि की शुरुआत से जानकारी का गोदाम मौजूद है। यह आपका संचित कर्म है। लेकिन आप अपना गोदाम लेकर खुदरा धंधा नहीं कर सकते। खुदरा धंधे के लिए आपको दुकान चाहिए। उस रिटेल दुकान को, जो इस जीवन के लिए है, जिसे प्रारब्ध कहते हैं।


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