अधिक मास : व्रत और पूजा से पाएं पुण्य फल

By: Jul 15th, 2023 12:16 am

भारतीय पंचांग (खगोलीय गणना) के अनुसार प्रत्येक तीसरे वर्ष एक अधिक मास होता है। यह सौर और चंद्र मास को एक समान लाने की गणितीय प्रक्रिया है। शास्त्रों के अनुसार पुरुषोत्तम मास में किए गए जप, तप, दान से अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। सूर्य की बारह संक्रांति होती हैं और इसी आधार पर हमारे चंद्र पर आधारित 12 माह होते हैं। हर तीन वर्ष के अंतराल पर अधिक मास या मलमास आता है।

अधिक मास क्या है?
जिस माह में सूर्य संक्रांति नहीं होती, वह अधिक मास होता है। इसी प्रकार जिस माह में दो सूर्य संक्रांति होती हैं, वह क्षय मास कहलाता है। इन दोनों ही मासों में मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं, परंतु धर्म-कर्म के कार्य पुण्य फलदायी होते हैं। सौर वर्ष 365.2422 दिन का होता है जबकि चंद्र वर्ष 354.327 दिन का होता है। इस तरह दोनों के कैलेंडर वर्ष में 10.87 दिन का फर्क आ जाता है और तीन वर्ष में यह अंतर एक माह का हो जाता है। इस असमानता को दूर करने के लिए अधिक मास एवं क्षय मास का नियम बनाया गया है।

अधिक मास क्यों व कब
यह एक खगोलशास्त्रीय तथ्य है कि सूर्य 30.44 दिन में एक राशि को पार कर लेता है और यही सूर्य का सौर महीना है। ऐसे बारह महीनों का समय जो 365.25 दिन का है, एक सौर वर्ष कहलाता है। चंद्रमा का महीना 29.53 दिनों का होता है जिससे चंद्र वर्ष में 354.36 दिन ही होते हैं। यह अंतर 32.5 माह के बाद एक चंद्र माह के बराबर हो जाता है। इस समय को समायोजित करने के लिए हर तीसरे वर्ष एक अधिक मास होता है। एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या के बीच कम से कम एक बार सूर्य की संक्रांति होती है। यह प्राकृतिक नियम है। जब दो अमावस्या के बीच कोई संक्रांति नहीं होती तो वह माह बढ़ा हुआ या अधिक मास होता है। संक्रांति वाला माह शुद्ध माह, संक्रांति रहित माह अधिक माह और दो अमावस्या के बीच दो संक्रांति हो जाएं तो क्षय माह होता है। क्षय मास कभी-कभी होता है।

अधिक मास में क्या करें
इस माह में व्रत, दान, पूजा, हवन, ध्यान करने से पाप कर्म समाप्त हो जाते हैं और किए गए पुण्यों का फल कई गुणा प्राप्त होता है। देवी भागवत पुराण के अनुसार मलमास में किए गए सभी शुभ कर्मों का अनंत गुना फल प्राप्त होता है। इस माह में भागवत कथा श्रवण की भी विशेष महत्ता है। पुरुषोत्तम मास में तीर्थ स्थलों पर स्नान का भी महत्त्व है।


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