भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग

By: Aug 12th, 2023 12:22 am

भगवान शंकर के 12 ज्योतिर्लिंग में छठा स्थान भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का आता है। यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे से लगभग 110 किमी. दूर सहयाद्रि पर्वत पर स्थित है। शिव पुराण में उल्लेख मिलता है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग में सूर्योदय के बाद जो भी सच्चे मन से भगवान शिव की पूजा अर्चना करता है, उसे सभी पापों से मुक्ति मिलती है। आइए जानते हैं भीमाशंकर मंदिर का महत्त्व। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। यहां शिवलिंग का आकार काफी मोटा है, इसलिए इसे मोटेश्वर महादेव कहा जाता है। इस मंदिर के समीप एक नदी बहती है, जिसका नाम भीमा नदी है। यह नदी आगे जाकर कृष्णा नदी में मिलती है। शिव पुराण के अनुसार यहां राक्षस भीमा और भगवान शंकर के बीच भयंकर युद्ध हुआ था। शिव के शरीर से निकले पसीने की बूंद से ही भीमारथी नदी का निर्माण हुआ है।

भीमाशंकर से है कुंभकरण के बेटे का संबंध-त्रेतायुग में रावण के भाई कुंभकर्ण का एक पुत्र था भीमा। भीमा का जन्म कुंभकर्ण की मृत्यु के बाद हुआ, जब उसे ज्ञात हुआ कि उसके पिता का वध भगवान विष्णु के अवतार श्रीराम ने किया है, तो वह क्रोधित हुआ। उसने भगवान विष्णु से बदला लेने के लिए ब्रह्मा को तप कर प्रसन्न कर लिया। ब्रह्मा जी के वरदान से भीमा बहुत शक्तिशाली हो गया और देवलोक पर अपना राज्य स्थापित कर लिया।

शिव ने किया भीमा का विनाश- संसार को इस राक्षस से बचाने के लिए राजा कामरूप शिव जी की भक्ति करने लगे। भीमा को जब ये पता चला, तो उसने राजा को कारागार में डाल दिया। राजा वहां भी शिवलिंग बनाकर पूजा करने लगा, क्रोध में आकर भीमा ने जैसे ही तलवार से शिवलिंग को तोडऩे का प्रयास किया, स्वयं शिव जी प्रकट हो गए। भीम और शिव जी के बीच भयंकर युद्ध हुआ और उसमें महादेव की हुंकार से भीमा का विनाश हो गया। इसके बाद सभी देवताओं ने महादेव से इसी स्थान पर शिवलिंग रूप में निवास करने को कहा, तब से ही यहां शिव को भीमाशंकर के नाम से पूजा जाता है।

मंदिर की संरचना- भीमाशंकर मंदिर नागर शैली की वास्तुकला से बनी एक प्राचीन और नई संरचनाओं का सम्मिश्रण है। इस मंदिर से प्राचीन विश्वकर्मा वास्तुशिल्पियों की कौशल श्रेष्ठता का पता चलता है। इस सुंदर मंदिर का शिखर नाना फडऩवीस द्वारा 18वीं सदी में बनाया गया था। कहा जाता है कि महान मराठा शासक शिवाजी ने इस मंदिर की पूजा के लिए कई तरह की सुविधाएं प्रदान की। नाना फडऩवीस द्वारा निर्मित हेमादपंथि की संरचना में बनाया गया एक बड़ा घंटा भीमशंकर की एक विशेषता है। अगर आप यहां जाएं, तो आपको हनुमान झील, गुप्त भीमशंकर, भीमा नदी की उत्पत्ति, नागफनी, साक्षी विनायक जैसे स्थानों का दौरा करने का मौका मिल सकता है। यह मंदिर पुणे में बहुत ही प्रसिद्ध है। दुनिया भर से लोग इस मंदिर को देखने और पूजा करने के लिए आते हैं। भीमाशंकर मंदिर के पास कमलजा मंदिर है। कमलजा पार्वती जी का अवतार हैं। मान्यता है कि इसी स्थान पर देवी ने राक्षस त्रिपुरासुर से युद्ध किया था। युद्ध के बाद ब्रह्माजी ने देवी पार्वती की कमल के फूलों से पूजा की थी। मंदिर के पास ही कई कुंड भी हैं। यहां मोक्ष कुंड, सर्वतीर्थ कुंड, ज्ञान कुंड और कुषारण्य नाम के कुंड हैं।

कैसे पहुंच सकते हैं भीमाशंकर- इस ज्योतिर्लिंग तक पहुंचने के लिए आपको पहले पुणे या नासिक पहुंचना होगा। पुणे या नासिक के बाद सडक़ मार्ग से मंदिर तक पहुंच सकते हैं।


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