कुदरत से खिलवाड़़: काट दिए पेड़, खोखले कर दिए पहाड़

By: Aug 19th, 2023 12:05 am

एम्स, हाइड्रो कालेज, फोरलेन के आसपास बेतरतीब निर्माण, भानुपल्ली-बिलासपुर रेलवे लाइन के लिए बलि चढ़ रहे पहाड़-पेड़ पौधे

अश्वनी पंडित — बिलासपुर

प्रतिस्पर्धा के इस दौर में अनियोजित तरीके से भवन एवं अन्य निर्माण विनाश का कारण बन रहा है। यही वजह है कि इस बार की बरसात का रौद्र रूप कई बड़े जख्म दे गया। विकास के नाम पर सैंकड़ों हजारों पेड़ों को बलि चढ़ाया जा रहा है और निरंतर भू-कटाव की वजह से पहाड़ कमजोर हो रहे हैं। फोरलेन व नई सडक़ों के निर्माण से भी पहाड़ धंसने लगे हैं। इसके अलावा खड्डों व नदी-नालों के किनारे नई बस्तियों का निर्माण भी चिंतनीय है। बिलासपुर जिला के कोठीपुरा में एम्स व बंदलाधार पर हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज के बाद 41 किलोमीटर लंबे कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन का निर्माण कार्य हुआ है तो वहीं, भानुपल्ली-बिलासपुर-बैरी ब्रॉडगेज रेलवे लाइन का निर्माण कार्य भी जारी है। बड़े प्रोजेक्टों के निर्माण के लिए पहाड़ों की कटाई की गई है और सुरंग निर्माण के लिए भी पहाड़ों का सीना छलनी किया जा रहा है। इसके साथ ही पेड़ पौधों का कटान हो रहा है।

बिलासपुर शहर की बात करें, तो इसका दायरा भी बढ़ रहा है और बामटा से लेकर लखनपुर तक एनएच किनारे तेज गति से निर्माण कार्य जारी है। एम्स के पास आने वाले समय में एक नया शहर बस जाएगा तो वहीं, फोरलेन किनारे औहर व ऋषिकेश में एक नया शहर बस रहा है। ऐसे में प्रकृति के साथ छेड़छाड़ प्राकृतिक आपदा का कारण बन रही है। फोरलेन निर्माण के दौरान पहाड़ी के कटान के दौरान निकल रहे मलबे को गोबिंदसागर झील में डंप किया जाता रहा और मामला उठने पर हाई कोर्ट ने भी कड़ा संज्ञान लिया है। हालांकि फोरलेन तो बनकर तैयार है और बगैर उद्घाटन यातायात के लिए शुरू कर दिया गया है, लेकिन इस फोरलेन पर कई ऐसे प्वाइंट हैं, जहां हर पर लैंडस्लाइड का खतरा है। इस रोड पर पनोह के नजदीक लैंडस्लाइड से फोरलेन को नुकसान पहुंचा है और समलेटू सहित कुछ प्वाइंट्स पर खतरा बरकरार है।

इस आपदा में घुमारवीं उपमंडल में आधा दर्जन गांवों के अस्तित्व पर आए संकट की वजह से 100 लोग बेघर हुए हैं। झंडूता उपमंडल में री पंचायत में नुकसान हुआ है। हालांकि सदर व नयनादेवी विधानसभा क्षेत्र में सडक़ों, लोगों के मकान व गोशालाओं और स्कूल भवनों को नुकसान हुआ है, लेकिन खड्डों और नदी-नालों के किनारे मनमर्जी से किया जा रहा निर्माण भविष्य के लिए चिंताजनक है। सीर व सहयोगी खड्डों के विकराल रूप धारण करने से कई जगहों पर भूमि कटाव हुआ है। उधर, घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी का कहना है कि उनके क्षेत्र में पहाड़ दरकने की वजह से आधा दर्जन गांव खतरे की जद में आए हैं और ग्रामीणों को सुरक्षित ठिकानों पर आश्रय दिया गया है। जल्द ही मसला सरकार से उठाया जाएगा और जियोग्राफिकल स्टडी करवाई जाएगी, ताकि भविष्य के लिए निर्माण की एक कार्ययोजना बनाई जा सके। (एचडीएम)

झील के पानी पर नजर रख रहा प्रशासन

सदर एसडीएम अभिषेक गर्ग का कहना है कि हर दिन झील की मॉनिटरिंग की जा रही है। झील से सटे गांवों के लोगों को अत्यधिक बारिश होने की स्थिति में अलर्ट रहने के लिए कहा गया है। घुमारवीं के एसडीएम गौरव चौधरी के अनुसार सीरखड्ड से सटे ऐसे कई गांव हैं जहां भविष्य में बाढ़ तबाही मचा सकती है।

सरहयाली खड्ड किनारे बसी शाहतलाई में संकट

शाहतलाई सरहयाली खडड के किनारे बसी है। नगर पंचायत क्षेत्र में भी अनियोजित तरीके से निर्माण जारी है और खड्ड का तटीकरण भी नहीं हुआ है लिहाजा भविष्य में सरहयाली खड्ड तलाई शहर में बाढ़ से तबाही बचा सकती है।

खड्डों व नदी नालों के किनारे निर्माण बड़ा खतरा

सदर, घुमारवीं व झंडूता और नयनादेवी उपमंडलों के कई ऐसे गांव हैं, जो गोबिंदसागर जलाशय और सीरखड्ड व सहयोगी खड्डों के किनारे किनारे बसे हैं। घुमारवीं उपमंडल में सीरखड्ड किनारे बम्म पंचायत, गाहर पंचायत, दाबला पंचायत और झंडूता में सुन्हाणी पंचायत व री पंचायत इत्यादि के कुछ गांव व बस्तियां भविष्य में खतरे की जद में आ सकती हैं। इसी तरह झंडूता में शुक्र खड्ड किनारे बलोह पंचायत और सरहयाली खड्ड किनारे तांबड़ी व झबोला इत्यादि गांव सटे हुए हैं। सदर उपमंडल में गोबिंदसागर झील किनारे बरमाणा, कंदरौर, औहर, बल्ह-बल्हवाणा और नयनादेवी उपमंडल के कुछ गांव व बस्तियां बसी हैं। ऐसे में अनियोजित ढंग से खड़े किए जा रहे मकान भी भविष्य के लिए खतरा बन सकते हैं।

बंदला में हाइड्रो कॉलेज के पास अंधाधुंध निर्माण

बंदलाधार पर हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज निर्माण के बाद होटल, रेस्तरां सहित मकान व भवन निर्माण कार्य तेज गति से जारी है। आने वाले समय में यह जगह एक शहर बनेगी। ऐसे में यहां कई जगह नियमों के विपरीत निर्माण कार्य हो रहा है। जो कि भविष्य में त्रासदी का सबब बन सकता है।

पहाड़ पर बसा है नयनादेवी, भविष्य के लिए खतरा

जिला में नयनादेवी शहर पहाड़ पर बसा हुआ है। शहर में शिमला की तरह ही भवन व मकान बने हैं। ऐसे में आबादी बढऩे के साथ साथ तेज गति से अनियोजित ढंग से किया जा रहा निर्माण कार्य भी भविष्य के लिए आपदा का कारण बन सकता है।


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