सावन झूला मेला अयोध्या
राम जन्मभूमि से एक किलोमीटर दूर मणि पर्वत है। मणि पर्वत पर सावन मेला आयोजित किया जाता है। रामनगरी के बहुप्रतीक्षित सावन झूला मेले का श्रीगणेश मणि पर्वत के झूलनोत्सव से ही होता है। सावन शुक्ल तृतीया से शुरू होने वाले इस मेले की तिथि अधिक मास के कारण इस बार 19 अगस्त को पड़ रही है। इस अवसर पर यहां प्रतिष्ठित कनक भवन, दशरथ राजमहल बड़ा स्थान, रंगमहल, रामवल्लभा कुंज, मणिराम छावनी, राम हर्षण कुंज, जानकी महल, हनुमत निवास, सद्गुरु सदन, रामसखी मंदिर सहित सभी मंदिरों में विराजमान भगवान का विशेष शृंगार कर यहां शोभायात्रा के रूप में लाकर झूले पर झुलाया जाता है और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन होता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं और मणि पर्वत पर स्थित मंदिर में दर्शन करते हैं।
द्वापर में मणियों का था पहाड़- धार्मिक ग्रंथों में मान्यता है कि भगवान राम जब विवाह के उपरांत माता सीता को अयोध्या लेकर आए थे, तब महाराज जनक ने महाराज दशरथ को उपहार स्वरूप मणियों की श्रृंखला भेट की थी, जिसको राजा दशरथ ने विद्या कुंड के पास रखवा दिया था। मणियां इतनी ज्यादा थी कि वहां मणियों का धीरे-धीरे पहाड़ बन गया था। इसलिए इस टीले को आज भी मणि पर्वत के नाम से जाना जाता है।
भगवान राम ने माता सीता के साथ झूला झूला था-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मणि पर्वत पर भगवान राम ने माता सीता के साथ श्रावण मास में तृतीया तिथि (हरियाली तीज) के दिन झूला झूला था। त्रेतायुग की यह परंपरा कलियुग में भी चली आ रही है। मणि पर्वत पर भगवान झूला झूलते हैं, तो वहीं श्रद्धालु मंदिरों में झूलन उत्सव का आनंद लेते हैं, पूजा अर्चना व दर्शन करते हैं।
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