सफलता का सच

By: Aug 24th, 2023 12:06 am

इस प्रक्रिया का लाभ यह है कि इस प्रकार हम न केवल केवल को समझ पाते हैं बल्कि उसका प्रभावी समाधान भी खोज लेते हैं। समस्या का इस प्रकार से विश्लेषण करने की प्रक्रिया में हमारी जिज्ञासा जागृत होती है और हम मामले की गहराई में उतरते हैं। किसी समस्या के समाधान के लिए हम जितना गहराई में जाते हैं, उतना ही उस समस्या को समझ पाने की समझ विकसित होती है और हमारा समाधान भी उतना ही प्रभावी होता है। तो समझने की बात यह है कि समस्या कोई समस्या नहीं है, बल्कि समस्या को लेकर हमारा दृष्टिकोण असली समस्या है…

समय यानी ‘काल’ को तीन हिस्सों में बांटा जा सकता है। वे तीन हिस्से हैं- भूत (वह समय जो गुजर गया), वर्तमान (समय जो अभी चल रहा है) और भविष्य (समय जो अभी आएगा)। भूतकाल, वर्तमान काल और भविष्य काल। अंग्रेजी में कहा जाता है- पास्ट टेंस, प्रेजेंट टेंस और फ्यूचर टेंस। टेंस का मतलब काल खंड तो है ही, टेंस का एक अर्थ ‘तनाव’ भी होता है। अब यदि इस मतलब के साथ पास्ट, प्रेजेंट और फ्यूचर को जोड़ें तो हमारे पास आएगा- पास्ट टेंस, यानी तनाव भरा भूत काल, प्रेजेंट टेंस, यानी तनाव भरा वर्तमान काल, फ्यूचर टेंस, यानी तनाव भरा भविष्य काल। यानी, हमारे जीवन के तीनों मुख्य काल भूत, वर्तमान और भविष्य तनावपूर्ण हो जाते हैं। कुछ लोग अपने जीवन में अंग्रेजी के इस अनुवाद को हूबहू उतार लेते हैं और पूरा जीवन तनाव से ग्रसित रहते हैं। समय रहते वे समय की कद्र नहीं करते और जब समय बीत जाता है तो पछताते हैं और चिंतित होकर और भी समय बर्बाद करते हैं। हमारा जीवन समय से बना है, इसीलिए कहा जाता है कि फलां व्यक्ति इतने साल जिया। लेकिन ध्यान रखिए, साल दिनों से बने होते हैं और दिन घंटों से। एक दिन में चौबीस घंटे होते हैं और आप कुछ भी कर लें, दिन का समय बढ़ा नहीं सकते, चौबीस घंटे, चौबीस ही रहेंगे, आप इन्हें 25 नहीं कर सकते, 26 नहीं कर सकते, 30 नहीं कर सकते। और हमारी काबीलियत इसी में है कि हम इन 24 घंटों का पूरा लाभ उठायें। इन 24 घंटों में इतना कुछ कर जाएं कि दुनिया याद करे। इस हफ्ते जब मैं अपनी अलमारी की सफाई कर रहा था तो रीडर्स डाइजेस्ट का एक बीस वर्ष पुराना अंक अचानक मेरे हाथ लग गया।

दिसंबर 1996 के इस अंक में प्रकाशित एक लेख में मुंबई उच्च न्यायालय तथा मुंबई नगरपालिका कार्यालय पर लगे एक सूचनापट्ट का उल्लेख है, जिसने बरबस मेरा ध्यान खींचा। लेख में बताया गया है कि मुंबई उच्च न्यायालय की मुख्य सीढिय़ों के पहले पायदान पर ही एक तरफ बड़े से पट्ट पर इमारत के निर्माण के विवरण दर्ज हैं। इस विवरण में जो सूचना दी गई है, वह इस प्रकार से है : कार्य का आरंभ 1 अप्रैल 1871, काम समाप्त हुआ नवंबर 1878, खर्च का स्वीकृत पूर्वानुमान 1647196 रुपए, खर्च जो वास्तव में हुआ 1644528 रुपए। इसके अतिरिक्त इस बोर्ड पर उन लोगों के नाम भी हैं जिन्होंने परियोजना को मंजूरी दी और इसका काम पूरा किया। इस सूचना के दो पहलू हमें तत्काल प्रभावित करते हैं, और वे हैं पारदर्शिता और जवाबदेही। इस सूचना पट्ट के माध्यम से इस परियोजना को मिले धन, समय और इसके लिए उत्तरदायी लोगों के बारे में जनता को बता दिया गया था, हालांकि इसमें यह उल्लेख नहीं है कि परियोजना को पूरा करने के लिए कितना समय दिया गया था, लेकिन जब वास्तविक खर्च एस्टीमेट से कम है तो यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि काम सख्त देखरेख में पूरा हुआ और परियोजना समय पर पूरी हुई। मजे की बात है कि जब यह लेख छपा था तो इमारत को बने 118 वर्ष गुजर चुके थे तो और वह इमारत तब भी मजबूती के साथ खड़ी थी। मुंबई नगर पालिका के कार्यालय पर भी ऐसा भी सूचना पट्ट लगा होने का उल्लेख है। ऐसे चमत्कार हम सिर्फ तब कर सकते हैं जब हम समय की कीमत समझें, समय का सदुपयोग करें, कठिनाइयों से न घबराएं, चिंतित न हों और अपने काम में लगे रहें। आशा के होते हुए भी अगर डर बना रहे तो आदमी आधे-अधूरे मन से कार्य करता है और अपनी असफलता की स्वयं ही गारंटी कर लेता है। डर हमारे आत्मविश्वास को हर लेता है और हम नाकारा होकर रह जाते हैं। डर और निराशा के कारण योग्य से योग्य व्यक्ति भी अपाहिजों का-सा जीवन जीने को विवश हो जाता है। यदि हम सिक्के के दूसरे पहलू पर दृष्टिपात करें तो हम पायेंगे कि डर के बावजूद हम आशा का दामन थामे रहें तो डर जाता रहेगा अथवा कम हो जाएगा।

शा का दामन थामे रहने से आत्मविश्वास डिगेगा नहीं और हम पूरे मनोयोग से कार्य करेंगे तथा अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयत्न करेंगे। थोड़ा-सा डर हमारे लिए लाभदायक ही होता है। आशा के साथ थोड़ा डर मिला होने पर हम चौकन्ने रहते हैं और अति-विश्वास के कारण की जाने वाली गलतियों से बचे रहते हैं। भय और आशा का यह मिश्रण बड़ा कारगर साबित हो सकता है, बशर्ते कि हम भयाक्रांत ही न हो जाएं। भय हमें सावधान करता है, भय हमें अनावश्यक जल्दी में गलत निर्णय लेने से बचाता है, भय हमें अपनी खूबियों और खामियों तथा अपने साधनों और स्रोतों का सांगोपांग विश्लेषण करने को बाध्य करता है। आम स्थितियों में हम जिन बातों को नजरअंदाज कर जाते, भय हमें उनसे खबरदार रहने की अक्ल देता है। भय एक नकारात्मक घटक है, परंतु बुद्धिमान और विवेकी लोगों के जीवन में भय बड़े काम की चीज है। भय और आशा के मिश्रण में भय की इस भूमिका को समझने की आवश्यकता है। यदि हम भय की इन खूबियों को समझ लें तो हम भय से पार पाकर भय का लाभ ले सकेंगे। तब हमारा मन आत्मविश्वास से भर जाएगा और जी-जान से अपनी सफलता के लिए कार्य करेंगे। जीवन में कभी भी किसी भी स्थिति में भय का भान होने पर हमें यह सोचना चाहिए कि हम क्यों भयभीत हैं। भय के कारणों का विश्लेषण करने से हमें मालूम पड़ जाता है कि क्या करना हमारे लिए गलत साबित हो सकता है और क्या उपाय करके हम भय के कारकों से दूर रह सकते हैं।

इस प्रकार भय का विश्लेषण करने से समस्या खुद-ब-खुद हल हो जाती है और भय का हल्का-सा भान हमारे लिए लाभदायक सिद्ध होता है। भय का भान होने पर यदि हम यह विश्लेषण करें कि हमारे भय का कारण क्या है तो हम समस्या की जड़ तक पहुंचने का प्रयत्न करते हैं। किसी भी समस्या को समझने का और उसका तोड़ निकालने का सबसे बढिय़ा तरीका यह होता है कि हम समस्या को चरणों में या टुकड़ों में बांट लें। इससे समस्या को समझना आसान हो जाएगा। इस प्रक्रिया का लाभ यह है कि इस प्रकार हम न केवल केवल को समझ पाते हैं बल्कि उसका प्रभावी समाधान भी खोज लेते हैं। समस्या का इस प्रकार से विश्लेषण करने की प्रक्रिया में हमारी जिज्ञासा जागृत होती है और हम मामले की गहराई में उतरते हैं। किसी समस्या के समाधान के लिए हम जितना गहराई में जाते हैं, उतना ही उस समस्या को समझ पाने की समझ विकसित होती है और हमारा समाधान भी उतना ही प्रभावी होता है। तो समझने की बात यह है कि समस्या कोई समस्या नहीं है, बल्कि समस्या को लेकर हमारा दृष्टिकोण असली समस्या है। स्थितियों से असंतुष्ट रहकर कुढ़ते रहना अथवा स्थितियों से असंतुष्ट होने पर उन्हें बदलने की जुगत में जुट जाना, यह हमारे नजरिये पर निर्भर करता है। इस तथ्य की गहराई में हम जितना उतर सकेंगे, अपने जीवन में हम उतने ही सफल अथवा असफल तथा प्रसन्न अथवा दुखी होंगे। यही सच है, यही एकमात्र सच है!

पीके खु्रराना

हैपीनेस गुरु

ई-मेल: indiatotal.features@gmail.com


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App