विधानसभा चुनाव और विपक्षी एकता

By: Oct 20th, 2023 7:23 pm

पूर्व में जनाधार के कारण कांग्रेस को यहां सीटों पर समझौता किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। ऐसे में इन दलों की दूरियां बढ़ती जा रही हैं…

विपक्षी गठबंधन इंडिया बनने से पहले ही बिखरने के कगार पर आ गया है। गठबंधन के दलों में आपसी मतभेद अब खुल कर सामने आते जा रहे हैं। इस बात की पहले ही आशंका थी कि विपक्षी दलों का यह बेमेल गठबंधन बगैर सिद्धान्तों, पारदर्शिता और नीति के आगे नहीं बढ़ पाएगा। गठबंधन के सामने भाजपा से निपटने की असली चुनौती सीटों का तालमेल है। इस मुद्दे पर गठबंधन की बैठकों में चर्चा तक नहीं हो पाई। इस मुद्दे पर बिखराव की शुरुआत हो चुकी है। हालांकि विपक्षी इंडिया ने गठबंधन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा से मुकाबला करने के लिए खड़ा किया है। इससे पहले पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में गठबंधन की कमजोर नींव खिसकती नजर आ रही है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस और सपा की बात नहीं बन पाई है, जिसे लेकर दोनों दलों के रिश्ते तल्खियों तक पहुंच गए। समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की सख्त टिप्पणी के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ ने पलटवार किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व सीएम कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि कांग्रेस की दूसरी सूची आने पर सभी कार्यकर्ताओं में गजब का उत्साह है और हमें जितनी उम्मीद थी उससे भी कहीं ज्यादा सीटों पर हम चुनाव जीतेंगे। अखिलेश यादव से जुड़े एक सवाल पर कमलनाथ ने कह दिया, अरे छोडि़ए अखिलेश, वखिलेश।

इससे समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव कांग्रेस से नाराज हो गए हैं। उन्हें मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से सीट की चाहत थी जो पूरी नहीं हुई। इसके साथ ही यह भी कह रहे हैं कि गठबंधन के रूपरेखा को वह शायद समझ नहीं पाए। बीते दिनों उन्होंने यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय को निशाने पर लेते हुए चिरकुट नेता बोल दिया। अब एमपी चुनाव में कांग्रेस के सबसे बड़े चेहरे कमलनाथ ने भी अखिलेश को इसी लहजे में जवाब दिया। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा एक भी सीट नहीं दिए जाने से नाराज समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तीखे लहजे में कहा कि कांग्रेस नेतृत्व को अपने छोटे नेताओं को उनकी पार्टी के बारे में टिप्पणी करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए। सपा प्रमुख ने कहा कि यदि उन्हें पता होता कि इंडिया गठबंधन बस राष्ट्रीय स्तर के लिए है तो उनकी पार्टी के नेताओं ने मध्य प्रदेश की बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस का फोन नहीं उठाया होता। सीतापुर में उन्होंने कटाक्ष भरे स्वर में कहा कि मैं भ्रमित हो गया था। यादव ने कहा कि यदि यह गठबंधन केवल संसदीय चुनाव के लिए है तो उनकी पार्टी इसे स्वीकार करती है, लेकिन उन्होंने संकेत दिया कि जब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए उत्तर प्रदेश में सीटों के बंटवारे पर चर्चा होगी तो कांग्रेस के लिए मुश्किल होगी। अखिलेश यादव ने कहा कि यदि उत्तर प्रदेश में गठबंधन केवल केंद्र के लिए होगा तो इस पर उस वक्त चर्चा की जाएगी और जिस तरह समाजवादी पार्टी के साथ बर्ताव किया गया, यहां उन्हें भी वैसा ही बर्ताव नजर आयेगा। आगामी मध्य प्रदेश चुनाव के बारे में उन्होंने कहा कि यदि मुझे पहले दिन पता होता कि विधानसभा स्तर पर कोई गठजोड़ नहीं होगा तो हमारी पार्टी के नेता बैठकों में नहीं जाते। हमने उन्हें सूची नहीं दी होती कि सपा मध्य प्रदेश में किन-किन और कितनी सीटों पर चुनाव लडऩा चाहती है और न ही हम उनका फोन उठाते। समाजवादी पार्टी ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने 22 और उम्मीदवारों के नाम घोषित कर दिए। पार्टी अब तक कुल 31 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है।

 यादव ने कहा कि यदि प्रदेश स्तर पर कोई गठबंधन नहीं है तो हम इसे स्वीकार करते हैं और अपनी पार्टी के उम्मीदवार घोषित करते हैं। इसमें हमने क्या गलत किया है। भाजपा इंडिया में शामिल दलों की एकता को लेकर खिल्ली उड़ाने में पीछे नहीं रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के अन्य नेता इंडिया गठबंधन को पहले ही भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का गठबंधन बताते हुए तंज कस चुके हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस और समाजवादी पार्टी की बयानबाजी पर कहा कि दिल्ली में दोस्ती और राज्यों में कुश्ती, ऐसा कहीं होता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी को एक साल तक धोखे में रखा। जिन शब्दों का प्रयोग उन्होंने (अखिलेश यादव) किया है, उससे उनके मन की स्थिति को समझा जा सकता है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस, सपा और आप तीनों लड़ रहे हैं। ये किस बात का गठबंधन है? जनता आश्चर्य के साथ इस गठबंधन को देख रही है कि आज जब ये आपस में लड़ रहे हैं तो इनके हाथों में देश का भविष्य कैसे होगा? इतना ही नहीं विपक्षी एकता गठबंधन को तृणमूल की सांसद महुआ मोइत्रा ने भी मुश्किल में डाल दिया। अब इस मामले से तृणमूल ने अपना पल्ला झाड़ लिया है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा को कोसने में पीछे नहीं रही हैं। हालांकि इस मुद्दे पर विपक्षी दल सुप्रीम कोर्ट तक से मात खा चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए विपक्षी दलों को याचिका वापस लेने को मजबूर होना पड़ा था। तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने विपक्षी एकता की अच्छी किरकिरी करा दी है। इससे भाजपा को विपक्ष के भ्रष्टाचार को लेकर फिर से चुनावी मुद्दा मिल गया है। लोकसभा की एथिक्स कमेटी सांसद महुआ के मामले की जांच कर रही है। कमेटी का कहना है कि उसे उद्योगपति दर्शन हीरानंदानी का हलफनामा मिला है। दर्शन हीरानंदानी ने माना है कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के लिए तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा को रिश्वत दी थी। एथिक्स कमेटी के प्रमुख विनोद सोनकर ने कहा कि हमें दर्शन हीरानंदानी का हलफनामा मिला है। आरोप बहुत गंभीर हैं। कमेटी निशिकांत दुबे की शिकायत पर 26 अक्टूबर को सुनवाई करेगी। जरूरत पड़ी तो महुआ मोइत्रा को भी बुलाया जाएगा। भाजपा के निशिकांत दुबे ने आरोप लगाया है कि मोइत्रा ने अदाणी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत ली थी। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को लिखे पत्र में भाजपा सांसद ने तृणमूल नेता पर संसदीय विशेषाधिकार का उल्लंघन, सदन की अवमानना और आपराधिक साजिश का आरोप लगाया है। अखिलेश यादव के कांग्रेस पर लगाए गए आरोप और तृणमूल सांसद मोइत्रा के मामले से पहले विपक्षी गठबंधन के दल डीएमके नेता उदयगिरी द्वारा सनातन धर्म पर दिए गए बयान को लेकर भाजपा के निशाने पर रहे हैं।

 इस मुद्दे पर कांग्रेस सहित दूसरे बचाव की मुद्रा में आ गए। इस गठबंधन को घमंडिया गठबंधन कहने वाले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, घमंडिया गठबंधन का नाम बदलना पड़ेगा। इन्होंने यूपीए का नाम बदल कर इंडिया एलायंस कर दिया। यह एलायंस सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं। इनके सहयोगी सनातन धर्म को खत्म करने की बात कर कर रहे हैं। इस देश की संस्कृति और सनातन धर्म का अपमान कर रहे हैं। इंडिया गठबंधन के दो प्रमुख दल कांग्रेस और डीएमके (एक वित्त मंत्री का बेटा और एक मुख्यमंत्री का बेटा) कह रहे हैं कि सनातन धर्म को समाप्त कर देना चाहिए। तुष्टिकरण और वोट बैंक की राजनीति करने कि लिए इन लोगों ने सनातन धर्म का अपमान किया है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव दरअसल विपक्षी गठबंधन इंडिया के दोहरे लिहाज से अग्नि परीक्षा है। इन राज्यों में सीटों के तालमेल की विपक्षी एकता की परीक्षा की कवायद चल रही है जिसमें आपसी सामंजस्य की संभावना क्षीण नजर आती है। इन राज्यों में कांग्रेस का जनाधार है। आप और समाजवादी पार्टी, कांग्रेस से सीटों पर समझौते की उम्मीद करके अपने दलों की जडं़े इन राज्यों में जमाना चाहते हैं। पूर्व में जनाधार के कारण कांग्रेस को यहां सीटों पर समझौता किसी भी सूरत में मंजूर नहीं है। ऐसे में इन दलों की दूरियां और मतभेद लगातार बढ़ते जा रहे हैं।

योगेंद्र योगी

स्वतंत्र लेखक


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