साहित्यिक रचनाओं से विमुख होते समाज की दिशाहीनता

By: Oct 7th, 2023 12:14 am

जे.पी. शर्मा, मनोवैज्ञानिक
नीलकंठ, मेन बाजार ऊना मो. 9816168952

साहित्य एक गहन, विस्तृत, सारगर्भित पाठयक्रम है, जो समाज और उसकी मूलभूत इकाई यानी मानव व्यक्तित्व के निर्धारण पर गहरी छाप छोड़ता है। लेख, कहानी, कविता, उपन्यास, शिल्पकला, सौंदर्यकला रंगमच आदि सभी शिक्षा पद्धतियां सहित्य के अंतर्गत ही आती हैं। साहित्य ही समाज को दिशा प्रदान करता है। साहित्य के विभिन्न अंगों में एवं भिन्न वर्गीकरण में ही सौंदर्य संवेदनशीलता आती है, जिसका शाब्दिक अर्थ सौंदर्य जरूर है परंतु भावार्थ है रुचियों की संवदेनशीलता जो साहित्यनिहित कई रंगों में रंगी होकर ही व्यक्ति के मनोवैज्ञानिक व्यक्तित्व की संरचना व निर्माण करती है।

उसी अनुरूप उसका आचरण, जीवनशैली, नैतिक एवं व्यावहारिक मूल्य, सवेदनशीलताएं, प्राथमिकताएं बन जाती हैं, जो उसको एक दिशा प्रदान करती हैं, जिनका संगठित रूप पूरे समाज को विशिष्ट दिशा मार्ग दिखाता है। रोजमर्रा जीवन में देखने को मिलता है कि एक कवि, शायर, चित्रकला प्रेमी हृदय से कोमल, स्वभाव से विन्रम, व्यवहार में मृदु होता है, एक लेखक कवि की मानिंद संवेदनशील न होकर यथार्थ के अस्तित्व को समझता है, संवारता है। समाज को विभिन्न तरीकों से अपने लेखन के माध्यम से चिंतन का विषय देता है। समाजिक कुरीतियों को उजागर करता है और समाज को जागरूक करता है। रंगमंच एवं चलचित्र से संबंधित कलाकार जीवन दर्शन के प्रस्तुति करण का कार्य संभालते है। साहित्यिक रचनाएं व प्रस्तुतियां समाज को दिशा प्रदान करने में एक अहम योगदान प्रदान करती हैं, परंतु विडंबना कहें या बदनसीबी कि आज का समाज इन संवेदनशील विधाओं व कलाओं से विमुख होकर भौतिक व तथाकथित नाटकीय रूपेण आधुनिक जीवनशैली में संलिप्त ही नहीं गुम ही होता जा रहा है। साहित्य का हिस्सा बनना तो दूर साहित्य प्रेम से भी भाग रहा है। भारतीय समाज की महानता गरिमा, सांस्कृतिक विरासत, धार्मिक आस्था, सनातन व्यवस्था, पारंपरिक मर्यादाएं गौण होती-होती इतिहास मात्र बन कर रह जाएंगी अत: पाठकों से विन्रम निवेदन है कि इस भागदौड़ भरी तनावग्रस्त जिंदगी को पूर्णतया भौतिकता व आधुनिकता की भेंट न चढ़ाकर कुछ फुर्सत के लमहात साहित्यक विधाओं को भी दें।

कविताएं न कर सकंे, तो सुने जरूर। संगीत की महफिलों में शिरकत करें, टीवी एवं मोबाइल माध्यमों से कविताओं, शेयरों, पुराने सार्थक गीतों के सुरों से अपनी नीरस जिंदगी में रंग भरें। अपने जीवन को धन्य बनाएं एवं नीरस जीवनशैली से निजात पाएं।


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