शांति के लिए भी युद्ध जरूरी, तो नुकसान किसका

पूरा विश्व इस बीच दो गुटों में बंट चुका है। कुछ देश फिलिस्तीन के साथ, तो कुछ इजरायल को समर्थन दे रहे हंै। लेकिन युद्ध के मुख्य किरदार एक-दूसरे के अस्तित्व को ही मिटाने की जिद्द में गोला-बारूद दाग रहे हैं। मानो नामोनिशान ही मिटा देंगे, लेकिन इस बीच खुद को बचाने के लिए कुछ लोग बंकरों में छिप रहे हैं तो कुछ मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध के मैदान में लड़ रहे हैं। युद्ध किसी का भी हो, जख्म बच्चों, महिलाओं को ही ज्यादा मिलते हैं…

विश्व में उथल पुथल कई मोर्चों पर चली रहती है जिस पर दुनिया का ध्यान आकर्षित होता रहता है। साथ में ही इसका प्रभाव शेष विश्व पर भी पड़ता है, लेकिन विश्व में शांति के लिए संघर्ष या युद्ध एक चिंतन का विषय है। एक तरफ अभी यूकेन-रशिया युद्ध की आग बुझी ही नहीं थी कि दूसरी ओर इजरायल और फिलिस्तीन के हमास आतंकवादी संगठन के बीच युद्ध छिड़ गया और ऐसा युद्ध जिसमें केवल बर्बरता, लाशें, आग, मलबा और रॉकेट दिख रहे हैं। लोग बेबस हैं, बच्चे अचंभित हैं, औरतों के साथ बर्बरता हो रही है। आखिर लड़ाई किस चीज के लिए और आतंकवादियों के पास इतना गोला बारूद आया कहां से, ऐसी कैसी ताकत जो 5000 रॉकेट 20 मिनट में दाग कर बर्बादी की कहानी लिख गए, पैराशूट के साथ सीमा पार कर स्पेशल कमांडो की तरह उतरकर दनादन गोलियां बरसाना, आखिर ऐसी ट्रेनिंग आतंकियों की कहां हो रही और आखिर इसके पीछे कौन है? ये चौंकाने वाली कुछ चीजें हैं जो बताती हैं कि ये केवल आतंकी नहीं, बल्कि इनके पीछे और ताकतें हैं। वैसे युद्ध किसी भी देश के लिए लाभदायक सिद्ध नहीं होता है क्योंकि उसमें जीत-हार तो बाद की बात है, पहले इसमें मानवता को हानि और क्षति होती है। इसलिए युद्ध न केवल मृत्यु और विनाश का कारण बनते हैं, बल्कि स्थायी शारीरिक और मानसिक चोट भी पहुंचाते हैं, जो अंत तक उन लोगों को अवश्य ही परेशान करती रहेगी जो उनसे प्रभावित होते हैं।

पृथ्वी पर जीवन अनमोल और अद्वितीय है। तार्किक रूप से, हम अपनी सभ्यता की प्रगति के ऐसे चरण में हैं कि हमें युद्धों के निहितार्थों को जानना चाहिए और उन्हें होने ही नहीं देना चाहिए। युद्धों में कोई वास्तविक विजेता नहीं होता है क्योंकि इसमें शामिल सभी पक्षों को परिणाम भुगतना पड़ता है जिसमें अक्सर दोनों पक्षों के हताहतों की संख्या अधिक होती है। जब भी युद्ध होता है, दोनों देशों को मानवीय मूल्यों से हाथ धोना पड़ता है। उन देशों की तो क्षति होती ही है, इसका असर दूसरे देशों पर भी पड़ता है, चाहे वह आर्थिक तौर पर हो, राजनीतिक, सामाजिक या नैतिक तौर पर हो, युद्धों से होने वाली क्षति की कभी भी भरपाई नहीं हो पाती। रूस के द्वारा यूक्रेन के खिलाफ छेड़ा गया युद्ध अभी तक जारी है और फिलहाल इसका कोई परिणाम नहीं दिख रहा, चाहे अब इजरायल-हमास हो परंतु एक बात निश्चित है कि इसका प्रभाव पूरे विश्व में पड़ रहा है। युद्ध चाहे कोई भी हो, कौनसा भी हो, लेकिन वह कभी भी किसी भी देश की लोकतांत्रिक राजनीति और अर्थव्यवस्था के लिए ठीक नहीं होता। एक युद्ध जिन देशों के बीच में छिड़ता है, केवल उनकी ही नहीं बल्कि पूरे विश्व की शांति भंग करता है, इसका उदाहरण हमें यूक्रेन तथा रूस के युद्ध से मिला। अब इजरायल-हमास युद्ध के परिणामों के लिए हमें तैयार रहना होगा। इजरायल और हमास के बीच जंग छिड़ चुकी है तथा दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। यह जंग सिर्फ अब रॉकेट और मिसाइल के दम पर नहीं लड़ी जा रही है, बल्कि यह जंग साइबर वल्र्ड में भी पहुंच चुकी है।

यह कोई पहला मौका नहीं है, जब कोई जंग असल दुनिया से लेकर साइबर वल्र्ड तक पहुंची हो। इससे पहले यूक्रेन और रूस के युद्ध में भी हमने साइबर अटैक के कई मामले देखे हैं। ऐसा ही कुछ हमास और इजरायल के बीच होता दिख रहा है। हाल में हमास ने इजरायल पर अचानक हमला किया। इस हमले में सैकड़ों लोगों की मौत हुई है। इनमें सैनिकों से लेकर आम आदमी तक सभी शामिल हैं। आठ अक्टूबर को इजरायल बेस्ड मीडिया आउटलेट जेरूसलम ने जानकारी दी कि उनके ऊपर कई साइबर अटैक हुए हैं। फोन ऐप को टार्गेट किया गया। इन अटैक की वजह से जेरूसलम पोस्ट की वेबसाइट क्रैश हो गई। यहां तक कि कई लोकेशन से उनकी वेबसाइट को एक्सेस भी नहीं किया जा पा रहा था। इस हैकिंग को एनोनिमस सूडान ने अंजाम दिया था। इसके अलावा कई दूसरे मामले भी देखने को मिले हैं। इजरायल का रेड अलर्ट फोन ऐप सिस्टम भी साइबर अटैक का शिकार हुआ है। इस ऐप की मदद से इजरायल में रॉकेट और मिसाइल हमले के वक्त रियल टाइम अलर्ट मिलता है। ये चीजें बताती हैं कि जंग का अंजाम कितना घातक होता है। अब तक इस युद्ध में 1500 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, तो हजारों लोग बर्बरता का शिकार हो रहे हैं। न जाने अभी और कितने मरेंगे और कितने जीवन भर के लिए युद्ध के जख्म सहने को मजबूर होंगे। पूरा विश्व इस बीच दो गुटों में बंट चुका है। कुछ देश फिलिस्तीन के साथ, तो कुछ इजरायल को समर्थन दे रहे हंै। लेकिन युद्ध के मुख्य किरदार एक-दूसरे के अस्तित्व को ही मिटाने की जिद्द में गोला-बारूद दाग रहे हैं। मानो नामोनिशान ही मिटा देंगे, लेकिन इस बीच खुद को बचाने के लिए कुछ लोग बंकरों में छिप रहे हैं तो कुछ मातृभूमि की रक्षा के लिए युद्ध के मैदान में लड़ रहे हैं। इतिहास गवाह है कि युद्ध किसी का भी हो, जख्म बच्चों, महिलाओं पर बर्बरता के साथ मिलते हैं जो मानवता को शर्मसार करते हैं। ऐसा ही वहां भी हो रहा है।

युद्ध के पीछे कई कारण हैं, लेकिन बर्बरता का आलम देखकर हर कोई चिंतित व स्तब्ध है। युद्ध और उसके अंत से उत्पन्न परिणामों से निपटने के बजाय यह पाठ लोगों, राजनीति, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण पर इसके प्रत्यक्ष प्रभावों पर गौर करेगा। युद्धों में जहां सैनिक शहीद होते हैं वहीं बूढ़े-बच्चे-महिलाएं-पुरुष और न जाने कितने निर्दोष लोग मृत्यु के आगोश में समा जाते हैं, जहां दोनों देशों को इतना बड़ा नुकसान झेलना पड़ता है, चारों तरफ तबाही का मंजर होता है। यहां तक कि आने वाली पीढ़ी भी याद रखती है कि कभी इस धरती पर युद्ध हुआ था। दुआ है कि दोबारा कभी भी युद्ध न हो।

प्रो. मनोज डोगरा

शिक्षाविद


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