पांच सौ का हत्यारा कौन?

By: Oct 20th, 2023 12:05 am

गाजा पट्टी में एक महाविस्फोट हुआ और ‘अल अहली अरब’ अस्पताल में 500 लाशें बिछ गईं। यकीनन यह नरसंहार है और युद्ध के नियमों और नैतिकताओं के विपरीत है। अस्पताल में लोग उपचाराधीन थे अथवा इजरायल की बमबारी से बचने के लिए छिपे थे। उनकी हत्या कर दी गई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पहले हमास और फिलिस्तीन के पक्ष में रूस और चीन ने ‘वीटो’ का इस्तेमाल किया। फिर इजरायल के ‘आत्मरक्षा के अधिकार’ को लेकर अमरीका ने ‘वीटो’ का प्रयोग किया। दोनों प्रस्ताव ही ढह गए और सुरक्षा परिषद में कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। अस्पताल पर मिसाइल हमला किया गया अथवा कोई रॉकेट मिसफायर हो गया। उसका हत्यारा हमास था अथवा इजरायल की सेना ने वह नरसंहारी प्रहार किया? इस सवाल पर विरोधाभासी आरोप हैं। अरब और इस्लामी देश इजरायल को ‘नरसंहारी’ मान रहे हैं, जबकि इजरायल की दलील है कि यह महाविस्फोट हमास के आतंकियों ने किया था, क्योंकि इसके रॉकेट, मिसाइल मिसफायर करने का इतिहास रहा है। बीती मई, 2023 में ही हमास ने 1469 रॉकेट दागे थे, जिनमें से 291 रॉकेट बीच रास्ते में ही फट गए। कुछ रॉकेट समंदर में गिर गए। इजरायल अस्पताल वाले महाविस्फोट के मद्देनजर कुछ सबूत सुरक्षा परिषद के सामने पेश करना चाहता है। मुस्लिम देशों को ईरान भडक़ा रहा है और इजरायल के खिलाफ सडक़ों पर लामबंद होने की धमकियां दे रहा है। अमरीका ने ईरान को ऐसे रवैये के लिए आगाह किया है। अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडेन कुछ घंटों के लिए इजरायल गए थे।

कुछ लोगों पर प्रतिबंध लगाए, इजरायल को खुला समर्थन दिया, हमास को आईएसआईएस से भी घातक और बदतर करार दिया और वॉशिंगटन लौट गए। बाइडेन और नेतन्याहू में क्या गुप्त बातचीत हुई है, उसकी कोई ब्रीफिंग नहीं की गई। अलबत्ता बाइडेन जॉर्डन जाकर अरब देशों के नेताओं संग शिखर वार्ता नहीं कर सके, इसे कितना गंभीर माना जा सकता है? बहरहाल इजरायल ने गाजा के अलावा, लेबनान और सीरिया में भी हवाई हमले किए हैं। इजरायल पर अब भी रॉकेट, मिसाइल दागे जा रहे हैं। ये विभीषिकाएं कहां जाकर थमेंगी? गाजा से लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं, लेकिन लाखों अब भी गाजा में ही हैं। वे ‘नारकीय चक्रव्यूह’ में फंसे हैं। हमास उन्हें ‘मानव ढाल’ की तरह इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन मार भी रहा है। कुछ पानी, बिजली, ईंधन, दवा आदि की सप्लाई गाजा वालों के लिए इजरायल ने शुरू की है, लेकिन इजरायल की बमबारी बदस्तूर जारी है। मौत के बाद लोगों को एक ‘सामूहिक कब्रगाह’ में दफनाया जा रहा है। यदि संयुक्त राष्ट्र के पास विशेषाधिकार हैं, तो वह दखल देकर इन हत्याओं और युद्ध को रुकवा क्यों नहीं सकता?

हमें तो संयुक्त राष्ट्र ‘सफेद हाथी’ लगता है, क्योंकि विश्व के अलग-अलग चार हिस्सों में युद्ध लड़े जा रहे हैं। गाजा में किए गए महाविस्फोट के हत्यारे को कौन तय करेगा, क्योंकि दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं। संयुक्त राष्ट्र में 22 अरब देशों के समूह ‘अरब लीग’ ने कहा है कि इजरायल को तुरंत हमले बंद करने होंगे। इजरायल युद्धविराम की भी घोषणा करे। मौजूदा युद्ध में दोनों तरफ के 4500 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और घायल 13,000 से ज्यादा बताए जा रहे हैं। विश्व दो हिस्सों में बंटता-सा लग रहा है। एक ओर मुस्लिम तथा फिलिस्तीन समर्थक हैं। वे स्पष्टत: हमास-विरोधी भी नहीं हैं। दूसरी तरफ यहूदी और उनके समर्थक हैं। अमरीका, भारत, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस आदि देश इजरायल का समर्थन कर रहे हैं। क्या यह विभाजन विश्व-हित में है? अरब देशों के लाखों नागरिक इन बड़े देशों में नौकरियां कर रहे हैं या व्यवसाय में जुटे हैं। यदि उन्हें उन देशों से निष्कासित करने की नौबत आ गई और अरब देशों ने भी पलटवार किया, तो पूरी विश्व-व्यवस्था ही गड़बड़ा जाएगी। दरअसल यह मुस्लिम-यहूदी युद्ध है, जो सनातन है। 21वीं सदी में ऐसे सांप्रदायिक युद्ध अस्वीकार्य होने चाहिए।


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