हिमाचल में वल्र्ड कप ट्रॉफी

By: Oct 3rd, 2023 12:05 am

क्रिकेट के विश्व कप में हिमाचल के पांव कितना चलते हैं, यह देखने भले ही पर्यटक धर्मशाला के पांच मैचों की फेहरिस्त में मनोरंजन खोजने आ रहे हैं, लेकिन हिमाचल का पर्यटन इससे क्या हासिल करना चाहता है। यह तैयारियों की लेटलतीफी और पर्यटन नेतृत्व की कमजोरी मानी जाएगी कि जब सुक्खू सरकार कांगड़ा को टूरिस्ट कैपिटल का तमगा पहना रही है, तो यह इवेंट यूं ही कहीं संभावनाओं के किनारों से न गुजर जाए। वल्र्ड कप के एक साथ पांच मैचों का आयोजन प्रदेश के पर्यटन ध्रुव पर उम्मीदों का सवेरा कर रहा है। आपदा से ग्रस्त प्रदेश को मदद के बजाय तोहमतें मिलीं नतीजतन तौबा करने वालों ने पर्यटन का एक बड़ा सूखा लिख दिया। ऐसे में क्रिकेट वल्र्ड कप सिर्फ एक बहार लेकर नहीं आ रहा, बल्कि हिमाचल के पर्यटन के लिए सशक्त प्रचार भी कर रहा है। हिमाचल अपनी रूह में फिर से प्रकृति की बुलंदी लेकर तैयार हो रहा है, तो क्रिकेट मैचों के जरिए खेल पर्यटन को नया नाम, नया मुकाम दे रहा है। अगर वल्र्ड कप की श्रृंखला के लिए धर्मशाला में घूमती ट्रॉफी एक गौरव है, तो इन मैचों के जिक्र में देश के आंकड़े व क्रिकेट की परंपराओं से जुड़े बड़े शहरों के साथ इसका भी नाम हो रहा है। आश्चर्य यह कि हर बार अंतरराष्ट्रीय मैच यूं ही निकल जाते हैं एक अफसाना बन कर और यह प्रदेश पर्यटन के इस मजमून को गंवा देता है अनजान बनकर। करीब दो दशकों से अस्तित्व की पैमाइश करता धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम अपनी खूबियों का पुष्पहार हिमाचल को पहनाता है, लेकिन ये फूल कभी पौधे नहीं बने।

बेशक इस शहर ने खेल महाकुंभों के मुताबिक खुद को ढाल लिया, लेकिन स्मार्ट सिटी की परियोजनाएं यह भी नहीं समझ पाईं कि शहर की आर्थिक तकदीर को कैसे क्रिकेट सेतु के जरिए मुकम्मल किया जाए। स्टेडियम के आसपास महापार्किंग, पर्यटक मनोरंजन केंद्र तथा पर्यटन मार्किट का ही विकास कर दें, तो एक मॉडल खुद ब खुद बन जाएगा। जिस स्थान को कभी पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने खेल नगरी कहा या वर्तमान सुक्खू सरकार यहीं अगर पर्यटन राजधानी के चिन्ह ढूंढ रही है, तो इवेंट शहर की तर्ज पर इस एहसास को बढ़ावा देना होगा। प्रदेश की उपराजधानी, खेल नगरी, पर्यटन राजधानी, तिब्बत की निर्वासित सरकार की राजधानी और क्रिकेट का मक्का बनी यह नगरी, सारे हिमाचल को प्रचार व आर्थिक आधार दे सकती है, बशर्ते इस मुकाम को एक नया नाम दिया जाए। इस बार भी खेल प्रेमी आएंगे बहुत। विभिन्न प्रवेश द्वारों से आएंगे, लेकिन क्या हम उन्हें एक दिन में ही निपटा कर लौटा देंगे। क्या हमने सोचा कि खेल के बहाने आ रहे पर्यटक को पूरे प्रदेश में कैसे और किस वजह से आगे ले जाएं। अगर अटल टनल में महफिल थी, तो कल धर्मशाला में हो जाएगी, मगर हमने इससे किस पर्यटक को चुना और स्थायी रूप से जोड़ा। धर्मशाला एक उदाहरण हो सकता है।

क्रिकेट हो या अटल टनल, इस बहाने नव निर्माण के आयाम कहीं तकनीक को आकर्षक बना गए, तो कहीं क्रिकेट के रोमांच पर फिदा हो गए। हिमाचल में पर्यटक फिदा होना चाहता है, मगर हम दौलत के पंजे में अपने ही शहर को कंक्रीट का आलेप कर रहे हैं। अगर क्रिकेट यह अजूबा कर सकता है तो अन्य खेलों का ढांचा, मेलों की सूरत, सांस्कृतिक समारोहों का आयोजन तथा मंडी, मनाली, सोलन तथा धर्मशाला में आयोजित हो रही राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं को इससे जोडऩा चाहिए। धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम के साथ क्रिकेट एसोसिएशन, हिमाचल पर्यटन, स्मार्ट सिटी, नगर निगम और भाषा संस्कृति इत्यादि विभागों को मिल कर हिमाचली उत्पादों के साथ-साथ राष्ट्रीय उत्पादों खास तौर पर खादी को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके अलावा इसी क्रिकेट मॉल में एक प्रदर्शनी हाल का निर्माण करके प्रदेश के सांस्कृतिक, ट्राइबल, धरोहर व पर्यटन पक्ष को पेश करके सैलानियों को सारे प्रदेश के भ्रमण के लिए प्रेरित किया जा सकता है।


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