चुनावी हवा का रुख

By: Nov 15th, 2023 12:05 am

प्रधानमंत्री मोदी का दावा है कि वह ‘हवा का रुख’ पढऩे में सक्षम हैं। यह दावा छत्तीसगढ़ चुनाव के संदर्भ में किया गया। प्रधानमंत्री ने यह भी ऐलान किया कि कांग्रेस सरकार की ‘चला-चली’ की बेला है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल भी चुनाव हार रहे हैं। दरअसल यह चुनावी मौसम का दौर है। कांग्रेस नेता भी दावे कर रहे हैं कि भाजपा की करारी पराजय होगी। कांग्रेस पांचों राज्यों में विजयी होने के भी दावे कर रही है। बेशक प्रधानमंत्री को ‘हवा के रुख’ की जानकारी रहती है, क्योंकि सभी स्तरों पर खुफिया एजेंसियां उन्हें ब्रीफ करती हैं। जो खुफिया लीड्स प्रधानमंत्री तक पहुंचती हैं, उनमें चुनावी आकलन भी शामिल होते हैं, लेकिन खुफिया विश्लेषण चुनाव के संदर्भ में गलत भी होते रहे हैं। बेशक प्रधानमंत्री मोदी को सार्वजनिक जीवन का लंबा अनुभव है, लेकिन कई राज्यों में वह ‘हवा का रुख’ पढऩे में नाकाम साबित हुए हैं। भाजपा कर्नाटक, हिमाचल, पंजाब आदि राज्यों के विधानसभा चुनाव हार गई, जबकि प्रधानमंत्री मोदी पार्टी के स्टार प्रचारक थे। उन्होंने खूब जनसभाओं को संबोधित किया। उनके ‘रोड शो’ भी आयोजित किए गए और उन्हें जनता का जबरदस्त समर्थन मिलता भी दिखाई दिया, लेकिन भाजपा पराजित हो गई।

भाजपा पंजाब के पड़ोसी राज्य हरियाणा में सत्तारूढ़ है और हिमाचल में भी उसकी सत्ता हर पांच साल बाद आती रही है, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा आज तक पंजाब की राजनीतिक और चुनावी ‘हवाओं का रुख’ नहीं जान पाए हैं, ताकि वे चुनावी प्रतिद्वंद्विता में शामिल रह सकें। अकाली दल के साथ गठजोड़ कर चुनाव लडऩे की बात और है, लेकिन पंजाब में अकेली भाजपा लगभग ‘शून्य’ है। तमिलनाडु, केरल, आंध्रप्रदेश आदि दक्षिणी राज्यों में भाजपा आज भी लगभग गायब है, जबकि वह केंद्र सरकार में साढ़े नौ साल शासन कर चुकी है और आम चुनाव तक 10 साल पूरे कर लेगी। 2024 के आम चुनाव के जनादेश के प्रति भी भाजपा और प्रधानमंत्री आशान्वित हैं। देश के कई राज्यों में नरेंद्र मोदी पार्टी संगठन के प्रभारी महासचिव रह चुके हैं। वहां आरएसएस की शाखाएं भी हैं। वह समर्थन भी भाजपा के साथ है और उन राज्यों में हिंदू वोट बैंक भी व्यापक और सुदृढ़ है, लेकिन वहां के हिंदू, ओबीसी और दलित आदि भाजपा के पक्ष में, चुनावी तौर पर, धु्रवीकृत नहीं होते। उन राज्यों की ‘हवाओं का रुख’ प्रधानमंत्री मोदी क्यों नहीं पढ़ पाते? तेलंगाना में भाजपा खूब सक्रिय थी और सत्ता के लिए भरपूर कोशिशें कर रही थी, लेकिन संगठन में अचानक कुछ हुआ अथवा ‘हवा का रुख’ बेहद विपरीत लगा, लिहाजा कोशिशें शिथिल पड़ गईं। अब 3 दिसंबर को स्पष्ट हो जाएगा कि किस पार्टी को, किस राज्य में कितना, जनादेश हासिल हुआ? वैसे राजस्थान और मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकारें बनने के आसार हैं और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की ही सरकार बरकरार रह सकती है।

अभी तक जितने भी सर्वेक्षण किए गए हैं और जो भी उनके निष्कर्ष रहे हैं, उनमें भी छत्तीसगढ़ कांग्रेस के हिस्से में ही है। इसका बुनियादी कारण यह है कि विपक्ष में होने के बावजूद भाजपा पूरे पांच साल निष्क्रिय दिखाई दी है। डॉ. रमन सिंह लगातार 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन विपक्ष में आते ही उन्हें भी हाशिए पर धकेल दिया गया। हालांकि वह अब भी चुनाव लड़ रहे हैं। भाजपा पूरे पांच साल कांग्रेसी सरकार के लिए चुनौती नहीं बन सकी। प्रधानमंत्री मोदी ने जनसभाओं में ‘हवा के रुख’ के दावे किए हैं और कांग्रेसी मुख्यमंत्री बघेल के पराजित होने का ऐलान कर रहे हैं, क्योंकि ‘महादेव सट्टा एप’ और 508 करोड़ रुपए की मुख्यमंत्री को दी गई घूस के गंभीर आरोप हवाओं में हैं। असली स्थिति जल्द स्पष्ट होगी।


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