प्रदूषण मुक्त पर्यटन

By: Nov 16th, 2023 12:05 am

छह हरित गलियारों के तहत अपने ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को पूरी तरह ग्रीन करने की मंशा रखने वाले हिमाचल को अपने आचरण की परीक्षा ले लेनी चाहिए। इसी दीपावली के पटाखों ने यह साबित कर दिया है कि हम अपनी शोहरत-दौलत और दिखावट के लिए पर्यावरण में जहर घोल सकते हैं। दिवाली गुजरने के बाद एयर क्वालिटी का सूचनांक बता रहा है कि हवा में हमारी भी सांसें अटक सकती हैं। शिमला व धर्मशाला जैसे पर्यटक शहरों में अगर हवा बिगड़ रही है, तो दिल्ली की तर्ज पर हमें भी अपने इर्द-गिर्द प्रदूषण के खिलाफ आचरण को संयमित करना पड़ेगा। बेशक प्रदेश 107 ई चार्जिंग स्टेशनों का निर्माण करके प्रदूषण के खिलाफ जंग का ऐलान कर रहा है। ई वाहनों की खरीद में सबसिडी का प्रावधान, सरकारी वाहनों में पेट्रोल-डीजल से मुक्ति व राज्य परिवहन निगम के तहत इलेक्ट्रिक बसों के संचालन की तरफ प्राथमिकताओं का इजहार करके सरकार ने जो वाह वाही लूटी थी, वह दिवाली के उत्सव ने छीन ली। अब वक्त आ गया है जब हिमाचल को भी सख्ती से पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाना पड़ेगा। हिमाचल में प्रदूषण मुक्त पर्यटन की राह पर चलते हुए कई परिवर्तन करने होंगे, खासतौर पर उत्सव या इवेंट टूरिज्म के उन्मादी अंदाज को संबोधित करना ही पड़ेगा। तब हम कह पाएंगे कि इस बार पटाखों से दूर शांत परिवेश में आकर हिमाचल संग दिवाली मनाएं।

जाहिर है पर्यटन के लिए हमारा सोच ईको फ्रेंडली माहौल की गारंटी जनता की ओर से ही आनी चाहिए। कम से कम दिवाली से पर्यावरण के बिगड़े मूड़ को दुरुस्त करने के लिए अब न्यू इयर सेलिब्रेशन को पूरी तरह शांत और व्यवस्थित बनाने के लिए अभी से मेहनत करनी होगी। यूं तो चर्चा यह है कि एशियन विकास बैंक के 1311 करोड़ हमारा हुलिया संवार देंगे, लेकिन एक यथार्थ यह भी है कि हम हल्के से उत्साह में भी ट्रैफिक जाम कर लेते हैं। कांगड़ा के घुरकड़ी चौक में एचआरटीसी की एक बस बीच सडक़ पर खराब क्या हुई कि मीलों लंबे जाम में छह-सात हजार वाहन फंस गए। जाहिर है ये गाडिय़ां खड़े-खड़े तेल फूंक कर प्रदूषण फैलाती रही होंगी। दिवाली के पर्व पर ही कमोबेश हर शहर, हर कस्बे और चौराहे पर आकर ट्रैफिक व्यवस्था हांफी है और लंबे जाम की शिनाख्त में आसपास की हवा का हुलिया बदल गया। ऐसे में जब हम पांच करोड़ पर्यटकों को हिमाचल लाने का सपना देखते हैं, तो यह निमंत्रण ट्रैफिक जाम, प्रदूषण और अव्यवस्था को भी रहेगा। हिमाचल की जनता खुद भी सैलानी है। उसे भी मनोरंजन की तलाश है। उसने अपने सामथ्र्य से ही 22 लाख वाहनों का पंजीकरण करा रखा है। वह सुलाह, घुमारवीं, जोगिंद्रनगर, कुल्लू, ऊना, सोलन या नाहन के बाजार में जब वाहन लेकर उतरती है, तो कोहराम मच जाता है। यह इसलिए कि हमारे पास आधुनिक बाजार नहीं, बल्कि हर सडक़ पर हमने जंगल पाल कर जमीन गंवा दी है। हमारे बच्चों के पास दो पहिया वाहन तो हो सकता है, लेकिन खेलने को मैदान नहीं। हर शहर की चारों दिशाओं में कम से कम एक-एक मैदान विकसित कर दें, तो ये सांसें प्रदान करेंगे और हमारा बोझ भी उठा लेंगे।

दिवाली के बाद सारा देश क्रिसमिस और न्यू ईयर सेलिब्रेशन की दृष्टि से हिमाचल की ओर से देख रहा है। बसों और एयरलाइंस की बुकिंग, ट्रैवल एजेंसियों की यात्राओं में शिरकत और पहाड़ की सडक़ों पर अपने वाहन दौड़ाने की प्रबल इच्छा कार्यक्रम बना रही है, तो क्या यह हिमाचल की चुनौती नहीं। क्या हम अटल टनल को इस बार वाहनों के बेदर्द इम्तिहान से बचा पाएंगे। पर्यटक शहरों या यहां तक कि क्या शिमला को न्यू ईयर की भीड़ से सुरक्षित निकाल पाएंगे। ऐसे में पर्यटन विकास निगम के अध्यक्ष व कैबिनेट रैंक से सुसज्जित आरएस बाली की युवा क्षमता को पूरा उद्योग और प्रदेश देखेगा कि वह इस बार क्रिसमिस व न्यू ईयर आगमन के उत्साह किस तरह सुविचारित व सुव्यवस्थित कर पाते हंै। ये सारे सेलिब्रेशन पर्यटक शहरों पर ही चढ़ाई न करें, इसलिए तमाम धार्मिक स्थलों के अलावा धरोहर व ऐतिहासिक स्थलों तक कैसे पहुंचे, कैसे हिमाचल के कलात्मक पक्ष का प्रदर्शन किया जाए, स्थानीय कलाकार को कैसे अवसर मिले और इस दौरान हिमाचल से संबंधित व्यापार मेले, फूड फेस्टिवल, साहसिक आयोजन और कार्निवाल कहां-कहां आयेजित किए जा सकते हैं, इसके ऊपर काम करना चाहिए। अब वक्त आ गया है जब पर्यटन, सूचना एवं जनसंपर्क तथा भाषा-संस्कृति आदि विभागों को एक किया जाए।


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