घोषणापत्रों से गायब है भ्रष्टाचार का मुद्दा

By: Nov 25th, 2023 12:05 am

विपक्षी दल दुर्भावना से कार्रवाई का आरोप लगाने तक सीमित हैं। भ्रष्टाचार से निपटने का उपाय कोई राजनीतिक दल नहीं देता। इसके अलावा कांग्रेस और विपक्षी दल चुनावी राज्यों में भी यह नहीं बता रहे हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में उनकी नीति क्या रहेगी। इस मुद्दे को चुनावी घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया। यह निश्चित है कि जब तक गैर भाजपा दल भ्रष्टाचार को लेकर कोई सार्वजनिक नीति बनाकर कार्रवाई की दृढ़ता नहीं दिखाएंगे, तब तक शक की सुई उनकी तरफ घूमती रहेगी…

पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों द्वारा वायदों की लोकलुभावन घोषणाओं के बीच से भ्रष्टाचार का मुद्दा गायब है। विशेषकर गैर भाजपा दलों ने भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाना जरूरी नहीं समझा। किसी भी विपक्षी दल ने चुनावी घोषणा पत्र में भ्रष्टाचार मिटाने का जिक्र तक नहीं किया, जबकि भाजपा सरेआम भ्रष्टाचार के मामलों में विपक्षी दलों के नेताओं पर निशाना साध रही है। विपक्षी दल भाजपा के खिलाफ बदनीयती से ईडी और सीबीआई की कार्रवाई के जरिए चुनावी फायदे का आरोप लगा रहे हैं, किन्तु यह नहीं बता रहे कि भ्रष्टाचार आखिर खत्म कैसा होगा। नेशनल हैराल्ड के मामले में सोनिया गांधी और खडग़े के खिलाफ कार्रवाई के मामले में कांग्रेस ने भाजपा पर ईडी और सीबीआई से डराने-धमकाने का आरोप लगाया है। चुनावी सभाओं में कांग्रेस नेता राहुल गांधी अडानी-अंबानी और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मिलीभगत का आरोप लगा रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि राहुल गांधी सहित कांग्रेस और किसी भी विपक्षी दल के नेता ने अभी तक इन आरोपों को कोर्ट में चुनौती नहीं दी।

गौरतलब है कि जनहित रिट याचिकाओं के जरिए पूर्व में भ्रष्टाचार के मामलों मेें अदालतों ने कई बड़े निर्णय दिए हैं। फ्रांस से लिए युद्धक विमान राफेल में भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया था। इसी तरह विपक्षी दलों ने संयुक्त रूप से प्रवर्तन निदेशालय और केंद्रीय जांच ब्यूरो के खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इन दोनों मामलों में विपक्षी दलों को भाजपा के खिलाफ कोई सफलता नहीं मिल सकी। ईडी ने पिछले 9 साल में 5000 केस फाइल किए। इनमें से 95 प्रतिशत केस विरोधी दलों के नेताओं और उनके रिश्तेदारों के खिलाफ हैं। सवाल यही उठता है कि देश के प्रधानमंत्री पर विपक्ष के नेता राहुल गांधी उद्योगपतियों से मिलकर भ्रष्टाचार का आरोप लगा रहे हैं। चुनावी सभाओं में राहुल गांधी ने इसे प्रमुख मुद्दा बनाया हुआ है। इसके बावजूद राहुल गांधी या कांग्रेस इस मुद्दे पर अदालत के जरिए कानूनी कार्रवाई से कतरा रहे हैं। इससे यही साबित होता है कि ये आरोप सिर्फ चुनावी फायदे के लिए लगाए जा रहे हैं। इसके विपरीत ईडी और सीबीआई की कार्रवाई विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ लगातार जारी है। दिल्ली में शराब घोटाले के केस में केजरीवाल की पार्टी के तीन बड़े नेता पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। चुनावी सभाओं में प्रधानमंत्री मोदी भ्रष्टाचार के मामलों में लगातार विपक्षी दलों पर हमला कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने सभाओं में घोटालों की बात की, भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया, फिर कहा कि जनता का पैसा खाने वालों को लूट का माल भी लौटाना पड़ेगा और जेल भी जाना पड़ेगा। शराब घोटाले के केस में अरविंद केजरीवाल ईडी के समक्ष पेश नहीं हुए।

उन्होंने ईडी के समन को मानने से इनकार कर दिया। ईडी के नोटिस को केजरीवाल ने राजनीति से प्रेरित बताया। छत्तीसगढ़ के कांकेर में एक रैली को संबोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा कि कोई कितना भी ताकतवर हो, कितने भी बड़े पद पर हो, कितना भी बड़ा नेता हो, अगर भ्रष्टाचार किया है, अगर जनता का पैसा खाया है, तो लूट का माल लौटाना ही पड़ेगा, जेल जाना ही पड़ेगा। मोदी ने सीधे-सीधे न केजरीवाल का नाम लिया, न शराब घोटाले की बात की। पांच राज्यों के चुनाव के दौरान केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई जारी है। प्रवर्तन निदेशालय ने महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके शिवसेना (यूबीटी) नेता रवींद्र वायकर के खिलाफ मामला दर्ज किया है। यह मामला वायकर, उनकी पत्नी और अन्य लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया है। वायकर व उनके परिवार पर आरोप है कि वो बीएमसी के नियमों की अनदेखी कर मुंबई के जोगेश्वरी में एक लग्जरी होटल बनाने वाले थे। आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और तेलगु देशम पार्टी के मुखिया चंद्रबाबू नायडू को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। गौरतलब है कि कथित कौशल विकास निगम घोटाला मामले में चंद्रबाबू नायडू को सीआईडी और पुलिस ने गिरफ्तार किया था। आप के राज्यसभा सांसद संजय सिंह को गिरफ्तार किया गया। संजय सिंह की गिरफ्तारी के अगले ही दिन, गुरुवार को ईडी और आईटी ने चार राज्यों में छापेमारी की है। ईडी ने नगरपालिका भर्ती घोटाले के मामले में पश्चिम बंगाल सरकार के मंत्री रथिन घोष के यहां छापेमारी की।

वहीं आईटी ने चेन्नई में डीएमके सांसद के यहां रेड डाली। इसके अलावा तेलंगाना में बीआरएस विधायक और कर्नाटक के शिवमोगा में डीसीसी बैंक के चेयरमैन के ठिकानों पर छापे की कार्रवाई की गई। पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के मंत्री रथिन घोष के आवास पर ईडी ने छापेमारी की है। यह कार्रवाई नगरपालिका भर्ती घोटाले में भागीदारी होने को लेकर की गई है। रथिन के कोलकाता आवास समेत 13 ठिकानों पर छापेमारी की गई है। रथिन घोष ममता सरकार में खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री के पद पर हैं। तमिलनाडु में डीएमके सांसद एस. जगतरक्षकन के भवन पर आयकर विभाग ने 40 से ज्यादा स्थानों पर दबिश दी। आईटी की ओर से एकॉर्ड डिस्टिलर्स एंड ब्रूअर्स प्राइवेट लिमिटेड पर भी छापेमारी की। इसी तरह तेलंगाना में बीआरएस विधायक मगंती गोपीनाथ से संबंधित ठिकानों पर छापेमारी की गई। आईटी अधिकारियों के दलों ने कुकटपल्ली में उनके आवास और कार्यालयों के साथ हैदराबाद के विभिन्न हिस्सों में तलाशी ली। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सबसे करीबी रहे वरिष्ठ आईपीएस ऑफिसर बीएल सोनी ने बड़ा खुलासा किया। डीजी एंटी करप्शन ब्यूरो के पद से हाल ही में रिटायर हुए बीएल सोनी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस की बात करती है, लेकिन यह बात झूठी है। गहलोत सरकार में भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। सोनी ने बताया कि मेरे एंटी करप्शन ब्यूरो का डीजी रहते, अभी हाल में ही कई बड़ी मछलियों को पकड़ा गया, लेकिन जब वो ट्रैप होते थे तो कार्रवाई के वक्त ऊपर से कोई खुशी जाहिर नहीं होती थी, बल्कि नाराजगी होती थी।

छापों की इन कार्रवाइयों पर विपक्षी दलों के नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं जाहिर की। अखिलेश यादव ने कहा कि इसमें तो कोई शक नहीं है कि बीजेपी जांच एजेंसियों के जरिए विरोधियों को परेशान कर रही है, उन्हें जेल में डाल रही है। जो यूपी में आजम खान के साथ हुआ अब वही दिल्ली में केजरीवाल के साथ हो रहा है, जो भी इस सरकार के खिलाफ बोलता है, उस पर बीजेपी केस कर देती है। अब चुनाव में जनता इसका जवाब देगी। बिहार से आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि विपक्ष की कोई भी सरकार अच्छा काम करती है, तो बीजेपी उसके पीछे ईडी, सीबीआई या आयकर विभाग को लगा देती है। विपक्षी दल दुर्भावना से कार्रवाई का आरोप लगाने तक सीमित हैं। भ्रष्टाचार से निपटने का उपाय कोई राजनीतिक दल नहीं देता। इसके अलावा कांग्रेस और विपक्षी दल चुनावी राज्यों में भी यह नहीं बता रहे हैं कि भ्रष्टाचार के मामले में उनकी नीति क्या रहेगी। कैसे भ्रष्टाचार को जड़-मूल से उखाड़ा जाएगा। इस मुद्दे को एक भी विपक्षी दल ने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल नहीं किया। यह निश्चित है कि जब तक गैर भाजपा दल भ्रष्टाचार को लेकर कोई सार्वजनिक नीति बनाकर कार्रवाई की दृढ़ता नहीं दिखाएंगे, तब तक शक की सुई उनकी तरफ घूमती रहेगी।

योगेंद्र योगी

स्वतंत्र लेखक


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