धर्म की नगरी अयोध्या

By: Dec 30th, 2023 12:23 am

अथर्ववेद के मुताबिक धर्म नगरी अयोध्या को देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। स्कंद पुराण के मुताबिक सरयू तट पर बसी प्रभु राम की नगरी अयोध्या को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पवित्र स्थल भी कहा गया है…

अयोध्या जिसे साकेत और राम नगरी भी कहा जाता है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक और घार्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण नगर है। यह पवित्र नगर सरयू नदी के तट पर बसा हुआ है और अयोध्या जिले का मुख्यालय है। इतिहास में इसे ‘कोशल जनपद’ भी कहा जाता था। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार अयोध्या में सूर्यवंशी/ रघुवंशी/अर्कवंशी राजाओं का राज हुआ करता था, जिसमें भगवान श्री राम ने अवतार लिया था। सप्तपुरियों में एक प्रभु राम की नगरी अयोध्या ऐसे ही खास नहीं है, बल्कि इस नगरी से कई विशेष धार्मिक महत्त्व जुड़े हैं। अथर्ववेद के मुताबिक धर्म नगरी अयोध्या को देवताओं का स्वर्ग बताया गया है। स्कंद पुराण के मुताबिक सरयू तट पर बसी प्रभु राम की नगरी अयोध्या को ब्रह्मा, विष्णु और महेश का पवित्र स्थल भी कहा गया है। रामायण के अनुसार अयोध्या की स्थापना मनु ने की थी।

यह पुरी सरयू के तट पर 12 योजन लंबाई और 3 योजन चौड़ाई में बसी थी। कई शताब्दी तक यह नगर सूर्यवंशी राजाओं की राजधानी रहा। स्कंद पुराण के अनुसार सरयू के तट पर दिव्य शोभा से युक्त दूसरी अमरावती के समान अयोध्या नगरी है। अयोध्या मूल रूप से हिंदू मंदिरों का शहर है। यहां आज भी हिंदू धर्म से जुड़े अवशेष देखे जा सकते हैं। इतना ही नहीं स्कंद पुराण के मुताबिक जिस प्रकार बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी भगवान शंकर के त्रिशूल पर टिकी है, ठीक उसी तरह अयोध्या विष्णु जी के सुदर्शन चक्र पर बसी है। जैन मत के अनुसार यहां चौबीस तीर्थंकरों में से पांच तीर्थंकरों का जन्म हुआ था। इसके अलावा जैन और वैदिक दोनों मतों के अनुसार भगवान रामचंद्र जी का जन्म भी इसी भूमि पर हुआ। उक्त सभी तीर्थंकर और भगवान रामचंद्र जी सभी इक्ष्वाकु वंश से थे। इसका महत्त्व इसके प्राचीन इतिहास में निहित है, क्योंकि भारत के प्रसिद्ध एवं प्रतापी क्षत्रियों (सूर्यवंशी) की राजधानी यही नगर रहा है। उक्त क्षत्रियों में दशरथी रामचंद्र अवतार के रूप में पूजे जाते हैं।

महाकाव्य में अयोध्या- वाल्मीकि रामायण के पांचवें स्वर्ग के बालकांड में अयोध्या का वर्णन करते हुए बताया गया है कि अयोध्या नगरी मठ-मंदिर और घाटों की प्रसिद्ध नगरी भी है। सरयू नदी के किनारे प्रमुख 14 घाट स्थित है। जिसमें गुप्तार घाट के कई घाट आज भी स्थित हैं और अयोध्या में प्रभु राम का जन्म हुआ, इसलिए इसे राम जन्मभूमि भी कहा जाता है। इसके साथ यहां कई महान योद्धा ऋषि-मुनि और अवतारी पुरुष भी हुए हैं। कहा जाता है कि भगवान श्री राम जब अपने धाम को जाने लगे, उसके बाद अयोध्या नगरी उजड़ सी गई थी, लेकिन उनके पुत्र ने अयोध्या को एक बार फिर से बसाया था।

मुख्य आकर्षण- मानव सभ्यता की पहली पुरी होने का पौराणिक गौरव अयोध्या को स्वाभाविक रूप से प्राप्त है। फिर भी राम जन्मभूमि, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, राजद्वार मंदिर, दशरथ महल, लक्ष्मण किला, कालेराम मंदिर, मणिपर्वत, श्रीराम की पैड़ी, नागेश्वरनाथ, क्षीरेश्वरनाथ श्री अनादि पञ्चमुखी महादेव मंदिर, गुप्तार घाट समेत अनेक मंदिर यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। बिरला मंदिर, श्रीमणिरामदास जी की छावनी, श्रीरामवल्लभाकुञ्ज, श्रीलक्ष्मणकिला, श्रीसियारामकिला, उदासीन आश्रम रानोपाली तथा हनुमान बाग जैसे अनेक आश्रम आगंतुकों का कंेद्र हैं।

मुख्य पर्व- अयोध्या यूं तो सदैव किसी न किसी आयोजन में व्यस्त रहती है, परंतु यहां कुछ विशेष अवसर हैं, जो अत्यंत हर्षोल्लास के साथ मनाए जाते हैं। श्रीरामनवमी, श्रीजानकी नवमी, गुरुपूर्णिमा, सावन झूला, कार्तिक परिक्रमा, श्रीराम विवाहोत्सव आदि यहां बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। यहां भारत और विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं का साल भर आना-जाना लगा रहता है। जहां साक्षात परमात्मा ने जन्म लिया हो, उसका बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता। अयोध्या की महिमा अपरंपार है।


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