संसद की सुरक्षा में सेंध और विपक्ष

अपना रोष प्रकट करने के लिए उस वक्त युवाओं ने जहाज हाईजैक करने का रास्ता चुना था और अब युवा संसद के अंदर आकर धुआं फैला रहे हैं। इसमें सुरक्षा को खतरा कहां है? वैसे केवल रिकार्ड के लिए जहाज हाईजैक करने वाले ‘निराश युवाओं’ को कांग्रेस ने ईनाम भी दिया था। दोनों को कांग्रेस ने अपनी टिकट पर चुनाव लड़वाया। देवेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव का पद दिया गया। बलिया के रहने वाले भोलानाथ पांडेय को यूथ कांग्रेस में महासचिव और कांग्रेस पार्टी में सचिव बनाया गया। सुरक्षा में इस सेंध की जब पूरी तरह जांच हो जाएगी तो निश्चय ही सारा सच सामने आएगा, और हो सकता है कुछ वे चेहरे भी बेनकाब हो जाएं जो सबसे ज्यादा हल्ला मचा रहे हैं। अगर संसद में कुछ अशुभ हो जाता, कुछ हिंसक हो जाता, तो उसके परिणाम सभी दलों को भुगतने पड़ सकते थे। इसलिए यह सीधा-सीधा संसद की सुरक्षा का मामला है, इस मामले में गहन जांच होनी चाहिए तथा दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी की जानी चाहिए। वहीं सरकार को यह आश्वासन भी जनता को देना है कि संसद सुरक्षित है…

पिछले दिनों सुरक्षा को भेदकर दो युवक संसद के अंदर पहुंच गए और वहां नारे लगाने लगे और किसी कैन से पीला धुआं भी छोडऩे लगे। वे अध्यक्ष के आसन की ओर बढ़ रहे थे कि दो सांसदों ने उन्हें पकड़ लिया। जिस समय वे संसद में नारे लगा रहे थे उसी समय उनके दो साथी संसद के बाहर नारे लगा रहे थे और धुआं भी फैला रहे थे। एक तीसरा शख्स इस सारे घटनाक्रम की वीडियो बना रहा था। अलबत्ता संसद के अंदर और संसद के बाहर हल्ला कर रहे इन चारों लोगों के टैलीफोन भी वीडियो बना रहे इस पांचवें शख्स ने ही संभाल रखे थे। वीडियो बना कर और उसे सोशल मीडिया पर डालकर पांचवां शख्स गायब हो गया और उसने ये सभी टैलीफोन जला दिए। इस कड़ी से जुड़े हुए सभी व्यक्ति देश के अलग-अलग प्रांतों के रहने वाले थे। कर्नाटक, हरियाणा, बंगाल और उत्तर प्रदेश। कहा जा रहा है कि वे सोशल मीडिया के माध्यम से ही एक-दूसरे से परिचित थे। वैसे वे देश में जहां भी कोई आंदोलन होता था, चाहे आंदोलन का मकसद कुछ भी हो, ये वहां भी शामिल होते थे। एक प्रकार से ये चिर आंदोलनजीवी थे। लेकिन यह सचमुच सुरक्षा व्यवस्था का गंभीर मामला था। इसकी जांच जरूरी थी ताकि इस पूरे षड्यंत्र के पीछे के सूत्रधारों तक पहुंचा जा सके। यह किसी पार्टी या व्यक्ति का मसला नहीं था, बल्कि देश की सुरक्षा का प्रश्न है। लगता था देश की सुरक्षा के इस मसले पर पक्ष-विपक्ष एक स्वर से बोलेंगे, लेकिन आश्चर्य कि एक-दो दिन बाद ही सुरक्षा के इस मसले पर भी राजनीति होने लगी। शिव सेना के उद्धव ठाकरे गुट के नेता संजय राऊत ने कहा कि दो-चार लडक़े महंगाई और बेरोजगारी के बारे में नारे लगाते हुए संसद के अंदर चले गए।

देश के युवाओं की दिशा बदल रही है, वे निराश हैं। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है। सरकार किस तरह जिम्मेदार है, इसका खुलासा भी उन्होंने किया कि जिस समय लडक़े निराश होकर संसद के अंदर घुस रहे थे उस समय सरकार सभी राज्यों में शपथ ग्रहण समारोह में व्यस्त थी। देश की सुरक्षा से खिलवाड़ हुआ है और यह कोई बर्दाश्त नहीं करेगा। संजय राऊत की चिंता जायज है। देश की सुरक्षा से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं हो सकता। लेकिन उन्होंने इस पूरी घटना की व्याख्या बहुत ही चालाकी से, सुरक्षा से हटा कर महंगाई और बेरोजगारी से जोडक़र कर दी। उनके अनुसार महंगाई और बेरोजगारी से निराश होकर अब देश का युवा आंदोलन का यह रास्ता अपना रहा है। यानी संसद के अंदर घुस कर नारे लगाना, धुआं फैलाना व पटाखे चलाना भी महंगाई और बेरोजगारी के खिलाफ आंदोलन का हिस्सा ही है। संजय राऊत को सुन कर यह लगा कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस गंभीर मसले का कोई इतना सरलीकरण कैसे कर सकता है। यकीनन यह संजय राऊत का अपना व्यक्तिगत मत हो सकता है, पूरे विपक्ष का नहीं, चाहे उद्धव गुट की शिव सेना भी इंडी गठबंधन के भीतर ही है। लेकिन जल्दी ही संकेत मिलने शुरू हुए, संजय राऊत राष्ट्रीय सुरक्षा के इस गंभीर मसले पर इंडी गठबंधन का मत ही व्यक्त कर रहे थे। संजय राऊत के इस बयान के बाद राहुल गांधी प्रकट हुए। उन्होंने संजय राऊत की व्याख्या को आगे बढ़ाया। उन्होंने लगभग सभी आरोपियों को बरी करते हुए कहा कि यह मसला देश में बढ़ रही महंगाई व बेरोजगारी से जुड़ा हुआ है। इसीलिए इस प्रकार के कांड हो रहे हैं। राहुल गांधी का अभिप्राय साफ था कि देश में महंगाई व बेरोजगारी बढ़ रही है, इसलिए युवा संसद के अंदर घुस आए हैं ताकि सरकार का ध्यान महंगाई और बेरोजगारी की ओर आकर्षित किया जा सके। राहुल गांधी की व्याख्या इसलिए चिंताजनक है क्योंकि इस कांड की जांच अभी प्रारम्भिक दौर में है। लेकिन जांच शुरू होने से पहले ही कांग्रेस देश के लोगों को समझा रही है कि मामले को तूल दिया जा रहा है। इस मामले की जड़ तो महंगाई और बेरोजगारी में है। सरकार महंगाई और बेरोजगारी से न लड कर, युवा पीढ़ी को पकड़ रही है। निराश युवा संसद के अंदर नहीं घुसेगा तो और क्या करेगा? कांग्रेस की यह सोच चिंताजनक ही नहीं, देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा है। वैसे कांग्रेस के इतिहास में ‘निराशा में इस प्रकार के कांड’ उसकी परम्परा रही है। 1978 में जब इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया था तो उसके दो ‘युवा’ कार्यकर्ताओं ने इंडियन एयरलाइंस के लखनऊ से दिल्ली जाने वाले जहाज को हाईजैक कर लिया था। उनकी मांग थी कि इंदिरा गांधी को रिहा किया जाए और उन पर से सभी मुकद्दमे हटा लिए जाएं। राहुल गांधी के बयान से तो लगता है कि उस वक्त युवा इसलिए निराश हो गए थे कि इंदिरा गांधी को गिरफ्तार क्यों किया गया है और अब युवा इसलिए निराश हैं कि सरकार महंगाई और बेरोजगारी को समाप्त क्यों नहीं कर पा रही है।

अपना रोष प्रकट करने के लिए उस वक्त युवाओं ने जहाज हाईजैक करने का रास्ता चुना था और अब युवा संसद के अंदर आकर धुआं फैला रहे हैं। इसमें सुरक्षा को खतरा कहां है? वैसे केवल रिकार्ड के लिए जहाज हाईजैक करने वाले ‘निराश युवाओं’ को कांग्रेस ने ईनाम भी दिया था। दोनों को कांग्रेस ने अपनी टिकट पर चुनाव लड़वाया। देवेंद्र नाथ पांडेय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव का पद दिया गया। बलिया के रहने वाले भोलानाथ पांडेय को यूथ कांग्रेस में महासचिव और कांग्रेस पार्टी में सचिव बनाया गया। सुरक्षा में इस सेंध की जब पूरी तरह जांच हो जाएगी तो निश्चय ही सारा सच सामने आएगा, और हो सकता है कुछ वे चेहरे भी बेनकाब हो जाएं जो सबसे ज्यादा हल्ला मचा रहे हैं। अगर संसद में कुछ अशुभ हो जाता, कुछ हिंसक हो जाता, तो उसके परिणाम सभी दलों को भुगतने पड़ सकते थे। इसलिए यह सीधा-सीधा संसद की सुरक्षा का मामला है, इस मामले में गहन जांच होनी चाहिए तथा दोषी पाए जाने पर कार्रवाई भी की जानी चाहिए। वहीं सरकार को यह आश्वासन भी जनता को देना है कि संसद सुरक्षित है।

कुलदीप चंद अग्निहोत्री

वरिष्ठ स्तंभकार

ईमेल:kuldeepagnihotri@gmail.com


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