अद्भुत है सारण में बना द्वारिकाधीश मंदिर

By: Dec 9th, 2023 12:22 am

हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की कई कथाएं और लीलाएं पढऩे और सुनने को मिलती हैं। देश में भगवान के अनेक मंदिर स्थापित हैं। भगवान की जन्मभूमि मथुरा और वृदांवन के कण-कण में इनकी रासलीलाओं के दर्शन करने पर मन में बहुत सुकून और आनंद की अनुभूति होती है। द्वारिकाधीश मंदिर गुजरात की तर्ज पर बना बिहार के छपरा का द्वारिकाधीश मंदिर भी अब पर्यटन स्थल के रूप में उभर रहा है और मंदिर की दर्शनीयता को देखने के लिए दूर-दूर से लोग बिहार के छपरा नैनी गांव में आते हैं। यह मंदिर गुजरात के द्वारिकाधीश मंदिर की याद दिलाता है और उसी तरह विशेष धार्मिक महत्त्व रखता है। गुजरात से भी श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। छपरा-बनियापुर सडक़ से सटे नैनी गांव में स्थापित है द्वारिकाधीश मंदिर। छपरा शहर से महज 6 किलोमीटर की दूरी पर एनएच 331 स्थित नैनी में बना द्वारिकाधीश मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बिंदु बन गया है। साढ़े आठ करोड़ की लागत से तैयार इस भव्य मंदिर में राधा-कृष्ण के साथ शिव-पार्वती, दुर्गा, गणेश, हनुमान जी की मूर्तियां भी स्थापित हैं।

गुजरात से लाई गई संगमरमर- इस मंदिर की भव्यता काबिले तारीफ है। इसे देखने दूर-दूर से लोग आते हैं। इस मंदिर के निर्माण में गुजरात से ही पूरा संगमरमर लाया गया था। इसकी खासियत है कि इसे गुजरात के ही कारीगरों द्वारा 14 वर्षों में पूरी तरह तैयार किया गया है। इस तरह यह गुजरात के ही द्वारिकाधीश मंदिर की दूसरी प्रतिकृति लगता है। गुंबद पर लगे ध्वज को मिलाकर इसकी कुल ऊंचाई चालीस फीट है। मंदिर निर्माण का कार्य 2005 मे शुरू हुआ था, तब से लेकर 25 से 30 कारीगरों ने प्रतिदिन यहां काम किया है।

मंदिर में नहीं है लोहे का इस्तेमाल-यह मंदिर अपने आप में कलाकारी का बेजोड़ नमूना है। गुजरात के कारीगरों ने मंदिर का निर्माण 14 वर्षों में किया है। पूरे मंदिर में लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। दरवाजे और चौखट भी लकड़ी के कील और गोंद से तैयार किया गए हंै। इस मंदिर की खासियत यह भी है कि इस मंदिर के निर्माण में ईंट, सीमेंट, सरिया और बालू का इस्तेमाल नहीं हुआ है। पत्थरों को खास क्लिप कट पद्धति से जोड़ा गया है। मंदिर की सुंदरता देख हर कोई मंत्रमुग्ध हो जाता है।


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