अब बढ़ेगा बाजार तेजी का ग्राफ

उल्लेखनीय है कि रेटिंग एजेंसी मूडीज की ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2024 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मजबूत वस्तु एवं सेवा कर संग्रह, बढ़ती ऑटो बिक्री, बढ़ती उपभोक्ता आशावादिता और दोहरे अंक की ऋण वृद्धि उपभोग मांग की परिचायक है। इतना ही नहीं, मूडीज ने यह भी कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका की तुलना में भारत में कम प्रतिबंधात्मक व्यापार नीतियां, बेहतर बुनियादी ढांचे और मजबूत घरेलू मांग से जिस तरह भारत के बाजार और उद्योग कारोबार आगे बढ़ रहे हैं, उससे भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में 2023-24 और 2024-25 के लिए देश की विकास दर 6.7 और 6.1 प्रतिशत रहने की संभावना है। हमें नए चुनावी नतीजों की खुमार में मुस्कुराते हुए बाजार को आगे बढ़ाने के लिए खाद्यान्नों की महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखना होगा…

यकीनन 3 दिसंबर को मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के परिणामों में भाजपा की ऐतिहासिक जीत के बाद केंद्र में स्थिर सरकार की उम्मीदों से देश के विभिन्न बाजारों में मुस्कुराहट बढऩे का ग्राफ उभरकर दिखाई दे रहा है। जहां सेंसक्स और निफ्टी नई ऊंचाइयों पर पहुंच गए हैं, वहीं बाजारों में मांग में तेजी का परिदृश्य निर्मित हुआ है। गौरतलब है कि हाल ही में प्रकाशित एनआईक्यू इंडिया रिपोर्ट के मुताबिक एशिया-प्रशांत क्षेत्र के बाजारों की तुलना में भारत में हाल के महीनों से बाजारों में तेज सुधार आगे बढ़े हैं। इस समय देश की कंपनियों का मुनाफा भी बढ़ गया है। घरेलू निवेशकों के दम पर शेयर बाजार लगातार बढ़ रहा है। अक्टूबर 2023 में पाया गया कि भारतीय कंपनियों की ग्रोथ अमेरिका के बाद सबसे ज्यादा है। हमारी कंपनियों का मार्केट कैप 4 ट्रिलियन डॉलर का स्तर छू रहा है। भारतीय कंपनियों के दुनिया के मार्केट कैप में चौथे स्थान की ऊंचाई पर पहुंचने के पीछे छोटी और मझोली फर्मों का बढ़ता दबदबा प्रमुख कारण है। निश्चित रूप से जिस तरह देश के कोने-कोने के बाजारों में लगातार मांग में वृद्धि से बाजार में मुस्कुराहट का परिदृश्य उभरा है, वह परिदृश्य आगे भी बने रहने की अनुकूलताएं दिखाई दे रही हैं।

हाल ही में व्यापारियों के राष्ट्रीय संगठन कनफेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने कहा कि देशभर में त्योहारों के दौरान दीपावली तक खुदरा और स्थानीय बाजारों में अच्छी रौनक रही और 3.75 लाख करोड़ रुपए का रिकार्ड कारोबार हुआ है। बाजारों में तेज सुधार से चालू वित्त वर्ष 2023-24 में सरकार की कुल कर प्राप्तियां बजट अनुमान से काफी अधिक रहने की संभावना है। उम्मीद है कि प्रत्यक्ष कर और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह में त्योहार के महीनों में आई मौजूदा तेजी वित्त वर्ष के बाकी बचे महीनों में भी बनी रहेगी। इससे राजस्व प्राप्तियों के अनुमान को बढ़ाया जा सकता है। वित्त वर्ष 2023-24 में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष कर का सकल संग्रह 10.45 फीसदी बढक़र 33.61 लाख करोड़ रुपए पहुंच सकता है। इनमें से सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए कॉर्पोरेट और व्यक्तिगत आयकर से प्राप्त होने वाला राजस्व 10.5 फीसदी बढक़र 18.23 लाख करोड़ रुपए रहने का अनुमान लगाया है। इसी तरह जीएसटी संग्रह 12 फीसदी बढऩे का अनुमान लगाया गया है। चालू वित्त वर्ष में अक्टूबर में जीएसटी संग्रह 1.72 लाख करोड़ रुपए रहा, जो अप्रैल के 1.87 लाख करोड़ रुपए कर प्राप्तियों के बाद दूसरा सबसे ज्यादा आंकड़ा है। वस्तुत: इस समय देश में बढ़ती मांग के तीन प्रमुख आधार हैं। एक, महंगाई में नरमी। दो, बेरोजगारी के आंकड़े में हालिया गिरावट और तीन, सरकारी योजनाओं से लोगों के पास अधिक धन का प्रवाह। इन कारणों से ग्राहक अधिक खर्च करने के लिए प्रेरित हुए हैं। नि:संदेह थोक एवं खुदरा महंगाई के सूचकांक महंगाई में राहत का परिदृश्य प्रस्तुत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह कोई छोटी बात नहीं है कि इन दिनों वैश्विक खाद्यान्न संकट से वैश्विक महंगाई बढ़ी हुई है और दुनिया के बाजार ढहते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं ऐसी प्रतिकूलताओं के बीच भी भारत के बाजारों में महंगाई से कमी से रौनक दिखाई दे रही है। देश में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में रोजगार बढऩे से बाजार में सुधार को गति मिली है।

हाल ही में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के द्वारा प्रकाशित ताजा रिपोर्ट के मुताबिक इस वर्ष 2023 में ग्रामीण और शहरी दोनों ही जगहों पर बेरोजगारी दरों में कमी आई है। असंगठित और संगठित दोनों क्षेत्रों में रोजगार की अच्छी स्थिति दिख रही है। हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक देश में पिछले छह वर्षों में बेरोजगारी दर छह फीसदी से घटकर 3.2 फीसदी पर आ गई है। निश्चित रूप से जहां ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी दर घटाने में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) की अहम भूमिका है, वहीं शहरी बेरोजगारी घटाने में कौशल विकास, डिजिटल स्किल्स तथा गिग अर्थव्यवस्था की अहम भूमिका दिखाई दे रही है। रोजगार के ऐसे बढ़ते अवसरों से लोगों की मुठ्ठियों में जो धन आ रहा है, उससे की जाने वाली खरीददारी बाजार को आगे बढ़ा रही है। निश्चित रूप से शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की मुठ्ठियों में सरकारी योजनाओं का अधिक पैसा आने से भी बाजार में मांग बढ़ी है। यह धन लाभार्थियों के जनधन खातों में नकद हस्तांतरित होने से गरीब और कमजोर वर्ग के उपभोक्ता भी अपने धन को सीधे बाजार में खर्च करते हुए दिखाई दे रहे हैं। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत इस वित्त वर्ष 2023-24 में काम की मांग तेज बनी हुई है। मनरेगा वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल 2023 से अक्टूबर 2023 तक इस योजना में व्यय करीब 77634 करोड़ रुपए रहा है। यह व्यय इस योजना के लिए आवंटित धन से अधिक है। ऐसे में 9619 करोड़ रुपए अतिरिक्त खर्च हो चुके हैं। अप्रैल से अक्टूबर 2023 के अंत तक करीब 206.9 करोड़ रुपए कार्यदिवस का सृजन किया गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 188.9 करोड़ कार्यदिवस का सृजन किया गया था। इससे इस दौरान काम की मांग में 9.8 प्रतिशत वृद्धि का पता चलता है। अब चालू वित्त वर्ष के शेष 5 महीने में भी ऐसी स्थिति बनती दिख रही है। अनुमान है कि अब नवंबर 2023 से मार्च 2024 के बीच 117.84 करोड़ कार्यदिवस का सृजन हो सकता है।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि देश ही नहीं, वैश्विक एजेंसियां भी भारत के बाजारों के बढऩे के आकलन प्रस्तुत कर रही हैं। उल्लेखनीय है कि रेटिंग एजेंसी मूडीज की ग्लोबल मैक्रो आउटलुक 2024 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में मजबूत वस्तु एवं सेवा कर संग्रह, बढ़ती ऑटो बिक्री, बढ़ती उपभोक्ता आशावादिता और दोहरे अंक की ऋण वृद्धि उपभोग मांग की परिचायक है। इतना ही नहीं, मूडीज ने यह भी कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और श्रीलंका की तुलना में भारत में कम प्रतिबंधात्मक व्यापार नीतियां, बेहतर बुनियादी ढांचे और मजबूत घरेलू मांग से जिस तरह भारत के बाजार और उद्योग कारोबार आगे बढ़ रहे हैं, उससे भारत की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में 2023-24 और 2024-25 के लिए देश की विकास दर 6.7 और 6.1 प्रतिशत रहने की संभावना है। हमें नए चुनावी नतीजों की खुमार में मुस्कुराते हुए बाजार को आगे बढ़ाने के लिए जहां खाद्यान्नों की महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए प्रयास करने होंगे, वहीं व्यापार की सरलता और रोजगार अवसरों की बढ़ोतरी पर भी ध्यान देना होगा।

डा. जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App