युुवाओं में बढ़ता ऑब्सेसिव लव डिसआर्डर

आत्मविश्वास की कमी और असुरक्षा की भावना भी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की बड़ी वजहें हैं। ऐसा भी देखने में आया है कि जिन लोगों को बचपन और किशोरावस्था में परिवार या करीबियों का प्यार नहीं मिलता, बाद में वो कभी न कभी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर से गुजरते हैं। हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि यहां पुरुष अपनी भावनाएं ज्यादा आसानी से जाहिर कर लेते हैं, जबकि महिलाओं के लिए ये आसान नहीं होता। शायद यही वजह है कि पुरुषों का ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर अक्सर गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है। वो लड़कियों का पीछा करने, उन्हें नुकसान पहुंचाने तक करने लग जाते हैं। दूसरी तरफ लड़कियां सोशल मीडिया का सहारा लेती हैं। यूं तो ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर को काबू नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस नामुराद जुनून को मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग के जरिए कम किया जा सकता है…

देश में अनेक युवा ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर नाम की मानसिक बीमारी की गिरफ्त में हैं। अधेड़ उम्र के व्यक्ति भी इससे अछूते नहीं रहते हैं। नामवर अमरीकी हेल्थ वेबसाइट ‘हेल्थलाइन’ के मुताबिक ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर एक तरह की साइकोलॉजिकल कंडीशन है जिसमें लोग किसी एक शख्स पर असामान्य रूप से मुग्ध हो जाते हैं और उन्हें लगता है कि वो उससे प्यार करते हैं। उन्हें ऐसा लगने लगता है कि उस शख्स पर सिर्फ उनका हक है और उसे भी बदले में उनसे प्यार करना चाहिए। अगर दूसरा शख्स उनसे प्यार नहीं करता तो वो इसे स्वीकार नहीं कर पाते। वो दूसरे शख्स और उसकी भावनाओं पर पूरी तरह काबू पाना चाहते हैं। ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर के कुछ खास लक्षण इस प्रकार के हैं, जैसे दूसरों से भी उस खास की बातें करना, उस खास का जिक्र करने का कोई बहाना ढूंढना, किसी खास की वजह से बाकी रिश्तों को भूल जाना, उस विशेष को बार-बार मैसेज या कॉल करना, उसका पीछा करना, सोशल मीडिया पर उसे स्टॉक करना, उसे ब्लैकमेल करना, किसी भी तरह अपना प्रस्ताव मनवाने की कोशिश करना। बता दें कि किसी का पीछा करना, ब्लैकमेल करना, लगातार मैसेज और कॉल के जरिये तंग करना आदि को ‘स्टॉकिंग’ कहते हैं।

ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर कई प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि ‘अटैचमेंट डिसऑर्डर’। इसकी वजह से लोगों में अपनी भावनाओं और किसी से जुड़ाव को काबू करने में परेशानी होती है। कई बार वो दूसरों से जरूरत से ज्यादा दूर हो जाते हैं और कई बार दूसरों पर जरूरत से ज्यादा निर्भर। ऐसा बचपन या किशोरवास्था के बुरे पारिवारिक रिश्तों या कड़वे अनुभवों की वजह से भी हो सकता है। दूसरे स्थान पर बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर होता है। इसे ‘इमोशनली अनस्टेबल पर्सनैलिटी डिसऑर्डर’ भी कहा जाता है। इसकी वजह से लोग अपनी भावनाओं को समझने में कठिनाई का अनुभव करते हैं। उनमें रिश्तों को लेकर डर और असुरक्षा की भावना भी होताी है। बॉर्डरलाइन पर्सनैलिटी डिसऑर्डर से जूझ रहे शख्स को ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर होने की आशंका बढ़ जाती है। तीसरी प्रकार का डिसऑर्डर इरोटोमेनिया कहलाता है। इरोटोमेनिया से ग्रसित शख्स को ऐसा भ्रम (डिल्यूजन) होता है कि दूसरा शख्स उससे प्यार करता है, जबकि असल में ऐसा नहीं होता। इरोटोमेनिया की वजह से भी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर होने का खतरा बढ़ जाता है। ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर (ओल्ड) एक साइकोलॉजिकल कंडीशन है, जिसमें मरीज किसी एक व्यक्ति पर असामान्य रूप से मुग्ध हो जाता है और उसे लगता है कि वो उससे प्यार करता है और उस पर सिर्फ उसी का हक है। बदले में वो जुनूनी प्यार की कल्पना करता है। क्या आप हमेशा अपने पार्टनर के बारे में सोचते रहते हैं। क्या आप सोचते हैं कि वो इस वक्त क्या कर रहा होगा, बाथरूम जाने का वक्त, खाना खाने का वक्त, नहाने का वक्त, उसकी हर चीज के बारे में सोचते हैं। जब आपका दिमाग हर समय खुद को भूलकर सिर्फ अपने बारे में सोचने लगे तो समझ जाएं कि ये अलर्ट होने का संकेत है, क्योंकि ये ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर का पहला लक्षण है।

पार्टनर पर थोड़ा सा अधिकार होना स्वाभाविक है, लेकिन जब आप उसे निर्देश देने लगें कि आपको उसकी क्या चीज पसंद नहीं है या जब वो आपकी अनुपस्थिति में अपने सबसे अच्छे दोस्तों से मिले, तो आपको पसंद न आए। आपका पार्टनर ऑफिस के सहयोगियों या बॉस के साथ लंच-डिनर पर जाए और आपको पसंद न आए। आपके सामने वो अपने पुराने पार्टनर की बातें करें या दूसरों को उसके करीब देखकर आपको जलन होने लगे तो समझ जाएं आप उनको लेकर बहुत पजेसिव हो गए हैं। आपकी टोका-टाकी और इस तरह का व्यवहार आपके रिश्ते के लिए खतरा बन सकता है। क्या आप अपने पार्टनर को लगातार मैसेज, कॉल्स या मेल करते हैं। आप निरंतर उनके संपर्क में रहने की कोशिश करते हैं। आप जानने की कोशिश करते हैं कि वे किसके साथ हैं या क्या कर रहे हैं, तो समझ जाएं कि आपको ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर हो गया है। यदि आप किसी के प्यार में हैं और अपने उस पार्टनर के प्रति इतने आसक्त हैं कि आपको अपने आसपास के लोगों से कोई फर्क नहीं पड़ता। आप अपने दोस्तों, परिवार और समाज से भी खुद को काट लेते हैं तो ये ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर का लक्षण है। पार्टनर कहां जा रहा है, किससे मिल रहा है, इतनी देर से फोन पर क्यों और किससे बात कर रहे हो, उससे इतनी बार क्यों मिलते हो (भले ही समान लिंग और सिर्फ दोस्त हों), जब ये प्रश्न पूछे जाने लगें तो समझ लें कि ये खतरे की घंटी है।

मनोवैज्ञानिक मत है कि आम तौर पर ऊपर बताई गई भावनाएं लोगों में उस वक्त भी देखने को मिलती हैं जब वो इश्क या फिर उलफत में होते हैं, लेकिन जब ये भावनाएं सामान्य रूप से बढ़ जाएं तो मुमकिन है कि शख्स ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर से गुजर रहा हो। ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर का सम्बन्ध दूसरी मानसिक तकलीफों से भी हो सकता है। साइकियाट्रिक के अनुसार ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की कोई एक ही वजह हो, ऐसा जरूरी नहीं है। कई बार इसका संबंध कई तरह की अन्य मानसिक तकलीफों से भी होता है। आत्मविश्वास की कमी और असुरक्षा की भावना भी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की बड़ी वजहों में शामिल हैं। इस बीमारी से पीडि़त व्यक्ति न सिर्फ स्वयं को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि दूसरे इनसान को भी मुश्किल में डाल रहा होता है। आत्मविश्वास की कमी और असुरक्षा की भावना भी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर की बड़ी वजहें हैं। ऐसा भी देखने में आया है कि जिन लोगों को बचपन और किशोरावस्था में परिवार या करीबियों का प्यार नहीं मिलता, बाद में वो कभी न कभी ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर से गुजरते हैं। हमारा सामाजिक ढांचा ऐसा है कि यहां पुरुष अपनी भावनाएं ज्यादा आसानी से जाहिर कर लेते हैं, जबकि महिलाओं के लिए ये आसान नहीं होता। शायद यही वजह है कि पुरुषों का ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर अक्सर गंभीर स्तर पर पहुंच जाता है। वो लड़कियों का पीछा करने, उन्हें नुकसान पहुंचाने तक करने लग जाते हैं। दूसरी तरफ लड़कियां सोशल मीडिया का सहारा लेती हैं। यूं तो ऑब्सेसिव लव डिसऑर्डर को काबू नहीं किया जा सकता है, लेकिन इस नामुराद जुनून को मनोवैज्ञानिक काउंसिलिंग के जरिए काफी हद तक कम किया जा सकता है। अगर कोई दिक्कत महसूस हो, तो तुरंत डाक्टर की सलाह लेनी चाहिए।

डा. वरिंद्र भाटिया

कालेज प्रिंसीपल

ईमेल : hellobhatiaji@gmail.com


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