मालदीव को मुंहतोड़ जवाब

By: Jan 10th, 2024 12:03 am

मालदीव का अस्तित्व ही क्या है? उसकी धडक़नें, सक्रियता, स्थिरता, शेष लोकतंत्र और बुनियादी अर्थव्यवस्था सिर्फ भारत की बदौलत है। मालदीव ने पानी मांगा, तो भारत ने उसकी प्यास बुझाई। मालदीव को भूख लगी, तो खाना और अनाज मुहैया कराए गए, आर्थिक मदद ही नहीं की गई, बल्कि 2023-24 के बजट में 400 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया, ताकि चालू परियोजनाएं जारी रह सकें। बागियों ने लोकतंत्र का अपहरण कर तख्तापलट करना चाहा, तो भारत ने सैन्य सहायता भेजकर मालदीव की सुरक्षा और स्थिरता तय की। मालदीव में 30 फीसदी डॉक्टर और 25 फीसदी शिक्षक ‘भारतीय’ हैं। वहां के 2200 से अधिक लोकसेवकों, नौकरशाहों, तकनीशियन, न्यायाधीशों, पुलिस अधिकारियों और सार्वजनिक प्रसारकों को भारत ने ही प्रशिक्षण देकर तैयार किया है। जब मालदीव में खसरे का प्रकोप फैला, तो उस रोग के इंजेक्शन भारत ने दिए। कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान टीके की एक लाख से अधिक खुराकें भी भारत ने ही मुहैया कराईं। भारत नियमित तौर पर दवाइयां, फल और सब्जियों की आपूर्ति भी करता है, ताकि मालदीव में खाद्य संकट न हो और वह हमारे एक इलाके जितना देश बीमार भी न पड़े।

यह तथ्य भी गौरतलब है कि मालदीव के लोग बीमारियों का इलाज कराने भारत ही आते हैं। इतने एहसानों तले दबे देश के तीन युवा मंत्रियों को भारतीय पसीने में बदबू आती है। भारत खुले में शौच करने वाला देश है। इन मंत्रियों की इतनी औकात और हिमाकत है कि वे भारत के प्रधानमंत्री और भारत राष्ट्र के प्रति अभद्र, अपमानजनक बदजुबानी कर सकें। भारत मालदीव का क्या कर सकता है, वह सिर्फ 3-4 दिन में ही सामने आ गया। हमारे अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों, सुपर स्टार अभिनेताओं, उद्योगपतियों ने फिलहाल मालदीव का बहिष्कार घोषित किया है। दुनिया में सबसे ज्यादा 2.09 लाख भारतीय सालाना तौर पर मालदीव पर्यटन को जाते हैं। लक्षद्वीप पर प्रधानमंत्री मोदी के बयान और उनकी अपील के बाद ‘मेक माय ट्रिप’ प्लेटफॉर्म पर लक्षद्वीप की सर्च 3400 फीसदी बढ़ गई है। गूगल पर लक्षद्वीप की सर्च ने रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। ट्रेवल एंड टूर कंपनियों ने तुरंत प्रभाव से हवाई उड़ानों की टिकट और होटल, रिसॉर्ट की बुकिंग रद्द करवा दी हैं। इस बीच इजरायल सरकार ने लक्षद्वीप में विशेष प्रोजेक्ट शुरू करने की घोषणा की है। यदि यह सिलसिला जारी रहा और भारतीयों ने लक्षद्वीप में सैर-सपाटे का नया विकल्प ढूंढ लिया, तो मालदीव की आर्थिकी ध्वस्त हो सकती है। बहरहाल सवाल राजनयिक मर्यादाओं का है। उन्हें लांघ कर मालदीव एक एहसानफरामोश देश बन गया है। विदेश मंत्रालय ने उसके उच्चायुक्त को तलब कर अपनी नाराजगी जता दी है।


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