नया कानून वापस लेने को अड़े ड्राइवर; भारतीय न्याय संहिता के खिलाफ प्रदर्शन; सजा, जुर्माने का विरोध

By: Jan 3rd, 2024 12:06 am

केंद्र सरकार की भारतीय न्याय संहिता के खिलाफ प्रदर्शन; दस साल सजा, सात लाख जुर्माने का विरोध

निजी संवाददाता — नारायणगढ़

केंद्र सरकार द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह बनाई गई भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) में ड्राइवर को दुर्घटना होने पर दस साल की सजा व सात लाख रुपए जुर्माना लगाने के विरोध में ट्रांसपोर्ट वर्कर्स ने दूसरे दिन भी काम बंद कर भाजपा सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए कानून को वापस लेने की मांग की। ट्रांसपोर्ट वर्कर्स यूनियन के सचिव अंकित की अध्यक्षता में अनाजमंडी में हुई आक्रोश सभा में सैंकड़ो ड्राइवर्स व कंडक्टर शामिल हुए। दूसरी और यूनियन के उपप्रधान जोनी के नेतृत्व में कालाअंब में भी ड्राइवरों ने एकजुटता प्रकट करते हुए काले कानून को वापस लेने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया।

उपप्रधान काण्रमेश नन्हेड़ा व केशियर रमजान ने कहा कि अचानक दुर्घटना होने पर ड्राइवर पहले भी घायल व्यक्ति की मदद करते थे और आज भी करते है। क्योकि उनकी किसी को चोट पहुंचाने की कोई मंशा नही होती। वह तो अपना व परिवार का पेट पालने के लिए ड्राईवर की नोकरी करते है, परंतु दुर्घटना के बाद भीड़ ड्राइवरों पर जानलेवा हमला कर देती है। ऐसे हादसों में कई ड्राईवर को अपनी जान भी गवानी पड़ी है। इसलिए भागना उनकी मजबूरी बन जाती है, परंतु सरकार ने भारी भरकम सजा व जुर्माना लगाते समय ड्राइवर का कोई पक्ष नही सुना। सभा को संबोधित करते हुए सीटू जिला सचिव सतीश सेठी ने कहा कि कानून में संशोधन करने से पहले सरकार को देश के विकास में ड्राईवर के योगदान तथा जिन विकट परिस्थितियों में वह काम करता है, उनका बारीकी से अध्ययन करना चाहिए था।


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